Ceasefire के लिए भारत ने पहल की या पाकिस्तान ने, 5 थ्योरी जो मीडिया में चल रही है?

चीन को खतरा महसूस हुआ—अगर भारत के आगे उसके हथियार पिटे, तो उनका बिज़नेस ध्वस्त हो जाएगा. ऐसे में चीन ने ही पाकिस्तान पर शांति की चाय पीने का दबाव बनाया.

Ceassefire के लिए कौन झुका, भारत या पाकिस्तान?
Ceassefire के लिए कौन झुका, भारत या पाकिस्तान?

India-Pakistan ceasefire: 10 मई की शाम 5 बजकर 25 मिनट—सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ’ पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की एक लाइन से हलचल मच गई.
“भारत और पाकिस्तान सीजफायर पर सहमत हो गए हैं.”
बस, इसके बाद जो हुआ, वो था अटकलों का सैलाब.

सीमा पर लगातार फायरिंग, मिसाइल अटैक और ड्रोन वार के बीच अचानक शांति का ऐलान. न कोई संयुक्त बयान, न कोई संयुक्त तस्वीर—सिर्फ़ ट्रम्प की एक पोस्ट और दुनिया ने राहत की सांस ली.

तो ये सीजफायर हुआ कैसे?
पाकिस्तान डरा हुआ था या अमेरिका ने बीच में घुसकर डील करवा दी? IMF के डॉलर का दवाब था या चीन के हथियार फुस्स निकले?
आज के एक्सप्लेनर में पढ़िए सीजफायर से जुड़ी पांच सबसे अहम थ्योरीज़—जो मीडिया रिपोर्ट्स में आईं और अब चर्चाओं में हैं.

थ्योरी-1: ब्रह्मोस का शोर, परमाणु ठिकानों का डर और पाकिस्तान की वाशिंगटन कॉल
10 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान के भीतर कई एयरबेस को टारगेट किया—शोरकोट, चकवाल, रहीम यार खान, सियालकोट जैसे नाम सुर्खियों में आ गए।
पहली बार ब्रह्मोस मिसाइल का सुखोई से इस्तेमाल हुआ, जिसने पाकिस्तान की रीढ़ में सिहरन पैदा कर दी. NDTV के मुताबिक, पाक खुफिया एजेंसियों को लगा कि अगला टारगेट न्यूक्लियर फैसिलिटीज हो सकती हैं.

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यहीं से खेल में अमेरिका की एंट्री हुई.
व्हाइट हाउस ने इस्लामाबाद को साफ संकेत दिया—”अब और नहीं. हॉटलाइन उठाओ, बात करो.”
दोपहर 3:35 पर पाक DGMO काशिफ अब्दुल्ला और भारत के DGMO ले. जनरल राजीव घई के बीच हॉटलाइन पर बात हुई.
शाम 5 बजे तक सीजफायर पर सहमति बन गई.

थ्योरी-2: ट्रम्प की टीम का इमरजेंसी प्लान, और वेंस-मोदी की वो कॉल
CNN की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रूबियो और चीफ ऑफ स्टाफ सूसी विल्स, तीनों 9 मई की रात एक साथ हालात पर निगाह रखे हुए थे.

उन्हें एक खुफिया इनपुट मिला—”अगर अभी नहीं रोका, तो देर हो जाएगी.”
वेंस ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी को कॉल किया और कहा—”ये युद्ध बेकाबू हो सकता है, पाकिस्तान से सीधे बात कीजिए.”

इसके बाद अमेरिका ने बैक-टू-बैक कॉल्स किए—PM मोदी, जयशंकर, डोभाल और पाकिस्तान की टॉप लीडरशिप को.
10 मई दोपहर में DGMO बातचीत हुई, शाम को ट्रम्प ने ट्रुथ पर पोस्ट डाली और भारत के विदेश मंत्री विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीजफायर की पुष्टि की.

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थ्योरी-3: IMF का लोन और उसकी ‘सीजफायर की शर्त’
भारत की स्ट्राइक के ठीक तीसरे दिन, IMF ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का लोन मंजूर किया.
भारत ने इसका खुला विरोध किया था. दलील थी—“ये पैसा आतंकवाद को फंड कर सकता है.”

India Today की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि IMF ने इस लोन को सीजफायर से जोड़ा.
IMF की मुहर तब ही लगती है जब अमेरिका हरी झंडी दिखाए—यानी दवाब वॉशिंगटन से आया.

पाकिस्तान की हालत भी ऐसी थी कि मिन्नतें करने के अलावा कोई चारा नहीं था—GDP का 67% कर्ज में डूबा मुल्क, जिसकी सांसें डॉलर के भरोसे चलती हैं.

थ्योरी-4: चीन की हथियार मंडी का डर
7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान ने चीन से खरीदे गए कई हथियार इस्तेमाल किए—JF-17, PL-15, HQ-9 और ड्रोन.
लेकिन भारत ने सब पर “सिस्टम फेल्ड” की मुहर लगा दी.

पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा के मुताबिक, भारत की एयर डिफेंस ने चीनी हथियारों को हवा में ही धूल चटा दी, जिससे चीन को ग्लोबल हथियार बाजार में शर्मिंदगी का डर सताने लगा.

चीन को खतरा महसूस हुआ—अगर भारत के आगे उसके हथियार पिटे, तो उनका बिज़नेस ध्वस्त हो जाएगा. ऐसे में चीन ने ही पाकिस्तान पर शांति की चाय पीने का दबाव बनाया.

थ्योरी-5: ऑपरेशन ‘बुनियान उल मरसूस’ की आहट और भारत की रणनीतिक चाल
CNN ने पाकिस्तान के हवाले से कहा कि 10 मई को भारत ने इस्लामाबाद के पास 3 जगहों पर हवाई हमला किया. जवाब में पाकिस्तान ने भारत पर एक के बाद एक कई मिसाइल और रॉकेट्स दागे. दावे के मुताबिक इस हमले में पाकिस्तान ने LoC समेत भारत की मिलिट्री फैसिलिटीज, एयरबेस और हथियारों के स्टोरेज को टारगेट पर लिया. CNN का दावा है कि मार्को रुबियो के साथ कमरे में मौजूद एक सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान के हमले से भारत बैकफुट पर आ गया था. दावा यह भी है कि भारत ने सीजफायर के 2 घंटे पहले अमेरिका, सऊदी अरब और तुर्किये को कॉल किया और संघर्ष रोकने में मदद की अपील की. जिसके बाद अमेरिका ने दखलअंदाज़ी की और सीजफायर का ऐलान किया.
हालांकि, भारत के बैकफुट पर आने की चर्चा अमेरिका या भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से नहीं की गई है.

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निष्कर्ष: कौन झुका, कौन झुका पाया—अभी तय नहीं हुआ है. सीजफायर तो हो गया, लेकिन इसकी असली कहानी अभी भी धुंध में है. कहीं डिप्लोमेसी थी, कहीं धमकी—कहीं हथियार फेल हुए, तो कहीं डॉलर भारी पड़ा.

अभी ये तय नहीं कि सीजफायर ‘कूटनीतिक जीत’ थी या रणनीतिक ब्रेक. लेकिन इतना तय है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों को इस विराम की जरूरत थी—भले ही वजहें अलग-अलग हों.

Last Updated on May 12, 2025 2:33 pm

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