Kolkata rape-murder case: बदलाव के लिए दूसरे अपराध का इंतज़ार नहीं कर सकते-SC

Kolkata rape-murder case
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Kolkata rape-murder case: ‘दूसरों को स्वास्थ्य सेवा देने वालों के स्वास्थ्य, कल्याण और सुरक्षा से समझौता नहीं होना चाहिए. ज़मीनी स्तर पर वास्तविक बदलाव के लिए देश बलात्कार या हत्या का इंतजार नहीं कर सकता. जैसे-जैसे ज्ञान और विज्ञान के अत्याधुनिक क्षेत्रों में अधिक से अधिक महिलाएं कार्यबल में शामिल हो रही हैं, राष्ट्र के लिए काम की सुरक्षित और सम्मानजनक स्थिति सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. समानता का संवैधानिक मूल्य इसके अलावा और कुछ नहीं मांगता.’

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण बात कही है. वहीं 14 अगस्त को ‘रीक्लेम द नाईट’ विरोध प्रदर्शन के दौरान आरजी कर अस्पताल पर हुए भीड़ के हमले को लेकर भी सवाल पूछे गए हैं.

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सुप्रीम कोर्ट के राज्य सरकार से सवाल

  • अस्पताल पर भीड़ ने हमला किया और महत्वपूर्ण सुविधाओं को नुकसान पहुंचाया गया. पुलिस क्या कर रही थी?
  • पीड़िता का नाम, शव को दिखाने वाली तस्वीरें और वीडियो क्लिप पूरे मीडिया में कैसे फैली?
  • सुबह-सुबह अपराध का पता चलने के बाद, अस्पताल के प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश की.
  • माता-पिता को कुछ घंटों तक शव देखने की अनुमति नहीं दी गई.
  • आरजी कर अस्पताल से इस्तीफा देने के बाद प्रिंसिपल को दूसरे अस्पताल का प्रभार क्यों दिया गया?
  • एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों हुई?
  • प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? पहले इसे आत्महत्या के रूप में पेश करने का प्रयास क्यों किया गया?

सुरक्षा मोर्चे पर कोर्ट की चिंता

  • सीसीटीवी कैमरों का काम नहीं करना या उनका नहीं होना
  • अस्पताल के अंदर कई स्थानों पर खराब रोशनी
  • सभी जगहों पर बेरोकटोक पहुंचने की उपलब्धता
  • प्रवेश द्वार पर हथियारों की जांच का अभाव
  • अस्पतालों में सुरक्षा कर्मियों की कमी
  • मेडिकल स्टाफ के ठहरने का स्थान अस्पतालों से दूर
  • परिवहन सुविधाएं भी कम
  • पर्याप्त शौचालय की सुविधा नहीं
  • महिलाओं-पुरुषों के लिए अलग-अलग ड्यूटी रूम नहीं होना.
  • इंटर्न, रेज़िडेंट और सीनियर रेज़िडेंट डॉक्टरों से 36 घंटे की ड्यूटी
  • नाइट ड्यूटी करने वाले मेडिकल स्टाफ के लिए आराम करने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं होना

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया था. इस पर बात करते हुए चीफ़ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने का फैसला लिया क्योंकि यह कोलकाता के एक अस्पताल में हुई किसी विशेष हत्या से संबंधित मामला नहीं है. यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को उठाता है.”

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CJI ने कहा कि देशभर के डॉक्टरों को शामिल करते हुए एक “राष्ट्रीय टास्क फोर्स” बनाया जा रहा है, जो चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर सिफ़ारिश देंगे. कई राज्यों ने डॉक्टरों के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने के लिए कानून बनाए हैं. लेकिन, ये कानून संस्थागत सुरक्षा मानकों में कमियों को दूर नहीं करते हैं.

Last Updated on August 30, 2024 9:37 pm

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