Kumbh 2025: करोड़ों लोगों ने “अमृत स्नान” किया या “मल स्नान” 28 फ़रवरी को होगा तय? मेला 26 तक

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि ‘बीजेपी वाले इस पानी का इस्तेमाल खाने-पीने और नहाने में करें तब मानेंगे कि गंगा का पानी साफ़ है.’

महाकुंभ पर सरकार के दावे सच या झूठ? (PC- X@shashankjournal)
महाकुंभ पर सरकार के दावे सच या झूठ? (PC- X@shashankjournal)

Kumbh 2025:  छोटी गंगा बोल के नाले में कुदा दिया बे… यह एक फ़िल्म का डायलॉग है. लेकिन लगता है असल में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. लोग गए तो थे “अमृत स्नान” को लेकिन कर आए “मल स्नान”. मैं ऐसा एक रिपोर्ट के आधार पर कह रहा हूं. जिसके मुताबिक संगम के पानी में मल बैक्टीरिया का घनत्व ज़्यादा है. इस रिपोर्ट के बाद से विवाद खड़ा हो गया है. हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ना केवल इस रिपोर्ट को ख़ारिज किया है बल्कि दावा करते हुए कहा है कि त्रिवेणी संगम का पानी नहाने और पीने दोनों के लिए सही है.

दरअसल, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को 3 फ़रवरी को एक रिपोर्ट सौंपी. जिसमें बताया गया कि गंगा-यमुना के पानी में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया तय मानक से कई गुना ज़्यादा हैं.

CPCB ने क्या कहा?

CPCB ने Kumbh मेले के दौरान श्रृंगवेरपुर घाट, लॉर्ड कर्जन ब्रिज, नागवासुकी मंदिर, दीहा घाट, नैनी ब्रिज और संगम क्षेत्र से पानी के सैंपल लिए और इसका परीक्षण किया.

यह सैंपल 13 जनवरी 2025 को लिया गया था. इसके मुताबिक गंगा के दीहा घाट और यमुना के पुराने नैनी ब्रिज के पास से लिए गए सैंपल में 100 मिलीलीटर पानी में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 33,000 एमपीएन मिला.

श्रृंगवेरपुर घाट के सैंपल में बैक्टीरिया 23,000 एमपीएन पाया गया. श्रद्धालुओं की पसंदीदा जगह संगम में सुबह और शाम का परीक्षण किया गया. यहां फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 100 मिलीलीटर पानी में 13,000 एमपीएन है.

CPCB के मुताबिक़ नहाने के लिए 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 एमपीएन सुरक्षित स्तर है. रिपोर्ट में पाया गया कि स्नान क्षेत्र का पानी ना केवल फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया, बल्कि अन्य मानकों पर भी आचमन और स्नान करने योग्य नहीं है.

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हालांकि CPCB ने यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में स्नान के दौरान लोगों के शरीर और कपड़ों से गंदगी निकलती है. इस वजह से भी पानी में मल बैक्टीरिया का घनत्व बढ़ जाता है.

UPCB ने CPCB की रिपोर्ट को किया खारिज 

इसके बाद 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश शासन के अधीन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी कि UPCB ने NGT को एक नई रिपोर्ट दी. जिसमें CPCB की रिपोर्ट को ग़लत बताया गया. विवाद बढ़ा तो NGT ने UPCB से नई रिपोर्ट मांग ली. अब मामले पर 28 फ़रवरी को अगली सुनवाई होगी. जबकि कुंभ 26 फ़रवरी को समाप्त होगा.

वॉशिंगटन स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ (डब्ल्यूओडीओएच) के मुताबिक़ कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया कई सारे बैक्टीरिया का समूह है. जो इंसानों और जानवरों की आंत और मल में पाया जाता है और पानी में मिलने के बाद ख़तरनाक हो जाता है.

इस घटना को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज़ हो गए हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि महाकुंभ की छवि ख़राब करने की कोशिश की जा रही है. संगम का पानी केवल नहाने ही नहीं आचमन के भी योग्य है.

वहीं जवाब में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि ‘बीजेपी वाले इस पानी का इस्तेमाल खाने-पीने और नहाने में करें तब मानेंगे कि गंगा का पानी साफ़ है.’

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बता दें, उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ अब तक क़रीब 58 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं.

Last Updated on February 22, 2025 10:54 am

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