गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर क्यों दो फाड़ हुई कांग्रेस?

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या (Republic Day) पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को पद्म भूषण पुरस्कार (Padma Bhushan 2022) देने का ऐलान किया गया है. इसके बाद सियासी गलियारों में आजाद को पुरस्कार दिये जाने के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं. सियासी मायने इसलिए क्योंकि आजाद की गिनती जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेताओं में होती है और आने वाले दिनों में चुनाव होने है.

आजाद को अवार्ड की घोषणा पर कांग्रेस दो फाड़ 

गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण मिलने की घोषणा के बाद से कांग्रेस पार्टी में अंतर्विरोध खुलकर सामने आ गया है. कांग्रेस के ‘G-23’  या 23 “विद्रोहियों” का समूह आजाद को बधाई दे रहा है. जबकि गांधी परिवार के समर्थक इसपर निशाना साध रहे हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तो इसी बहाने कांग्रेस पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

सिब्बल ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. बधाई हो भाईजान. यह विडंबना है कि कांग्रेस को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है जबकि राष्ट्र सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को स्वीकार करता है.’ वहीं फिल्म अभिनेता और कांग्रेस के बड़े नेता राज बब्बर और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने देश के तीसरे सर्वोच्च सम्मान मिलने पर गुलाम नबी आजाद को ट्वीट कर बधाई दी है.

वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आजाद पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के पद्म भूषण कबूल करने से मना कर दिया ‘ यह सही है. वह गुलाम नहीं आजाद बनना चाहते हैं.’ गुलाम नबी आजाद को पुरस्कार दिये जाने पर कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.

कांग्रेस के “जी -23” समूह का हिस्सा हैं आजाद

बता दें, गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा सभी कांग्रेस “जी -23” का हिस्सा हैं. यह कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का एक समूह है. यह समूह कांग्रेस की नेतृत्व शैली और रणनीति में बदलाव की मांग कर रहा है. साल 2020 में इन नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में परिवर्तन और जमीन पर सक्रिय संगठन बनाने की मांग की थी. इसके बाद से ही कांग्रेस पार्टी में दरार देखने को मिल रही है.

आजाद की विदाई पर भावुक हुए प्रधानमंत्री

पिछले साल फरवरी में गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा से कार्यकाल खत्म हो गया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद भावुक हो गए थे. वहीं एक कार्यक्रम के दौरान गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा था कि लोगों को उनसे सीख लेनी चाहिए. वह देश के प्रधानमंत्री बन गए लेकिन अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले हैं. वह खुद को गर्व से चायवाला कहते हैं. मेरे उनके साथ सियासी मतभेद हैं लेकिन प्रधानमंत्री एक जमीनी व्यक्ति हैं.

Last Updated on January 26, 2022 2:26 pm

Related Posts