Lok Sabha Speaker पद के लिए आज़ाद भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार बुधवार सुबह 11 बजे चुनाव होगा. बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने कहा कि अध्यक्ष पूरे सदन का होता है, सत्ता या विपक्ष का नहीं. यह सब लोकसभा की परंपरा के अनुरूप नहीं है.
इससे पहले उन्होंने बताया कि जब राजनाथ सिंह ने लोकसभा स्पीकर को लेकर सहमति बनाने का प्रयास किया तब कांग्रेस ने पहले उपाध्यक्ष पद तय करने की शर्त रखी. हमारी पार्टी ऐसी राजनीति की कठोर निंदा करती है.
सवाल उठता है कि अगर स्पीकर पद को लेकर विपक्ष सहमत है तो NDA गठबंधन को डिप्टी स्पीकर वाली शर्त पर क्या आपत्ती है?
इसी आशंका के तहत INDIA गठबंधन ने स्पीकर पद के लिए के सुरेश को अपना कैडिंडेट बनाया है. जबकि राजस्थान के कोटा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद ओम बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए NDA उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा.
वहीं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बीजेपी से कहा है कि इंडिया गठबंधन बीजेपी स्पीकर का तभी समर्थन करेगा, जब बीजेपी डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देगी.
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने राजनाथ सिंह को यह स्पष्ट कर दिया है, कोई गलती न करें. हम लोकसभा में उपाध्यक्ष पद चाहते हैं”
बिग ब्रेकिंग: राहुल गांधी ऑन फायर ⚡
राहुल गांधी ने बीजेपी को साफ चेतावनी दी है कि इंडिया गठबंधन बीजेपी स्पीकर का तभी समर्थन करेगा जब बीजेपी डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देगी
“हमने राजनाथ सिंह को यह स्पष्ट कर दिया है, कोई गलती न करें। हम लोकसभा में उपाध्यक्ष पद चाहते हैं”… pic.twitter.com/iaSuGCVX59
— Anuradha Patel (@Anuradha_Patel9) June 25, 2024
वहीं अखिलेश यादव ने कहा है कि विपक्ष की मांग है कि डिप्टी स्पीकर हमारा होना चाहिए.
विपक्ष की मांग है कि डिप्टी स्पीकर हमारा होना चाहिए – अखिलेश यादव pic.twitter.com/zKUFIR1Zbm
— Sandeep Chaudhary commentary (@newsSChaudhry) June 25, 2024
बता दें ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी लोकसभा अध्यक्ष थे. वहीं केरल के मवेलीकारा संसदीय क्षेत्र से चुने गए के. सुरेश आठवीं बार सांसद बने हैं.
इससे पहले प्रोटेम स्पीकर पद को लेकर भी के. सुरेश के दावेदारी पर हंगामा हुआ था. तब बीजेपी की ओर से दलील दी गई कि भर्तृहरि महताब लगातार सात बार जीतकर सांसद बने हैं, जबकि के. सुरेश दो चुनाव हार चुके हैं.
आजादी से पहले भी हुआ है चुनाव
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अगर इस दफा चुनाव हुआ तो यह आजाद भारत के इतिहास में पहली बार होगा. आजादी से पहले केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पहली बार 24 अगस्त, 1925 को हुआ था. तब स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार विट्ठलभाई जे पटेल ने टी रंगाचारियार के खिलाफ यह प्रतिष्ठित पद जीता था.
अध्यक्ष पद के लिए 1925 से 1946 के बीच छह बार प्रतिस्पर्धा देखी गई. विट्ठलभाई पटेल का पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें 20 जनवरी, 1927 को सर्वसम्मति से इस पद के लिए फिर से चुना गया.
आखिरी बार चुनाव 24 जनवरी, 1946 को हुआ था, जब कांग्रेस नेता जीवी मावलंकर ने कोवासजी जहांगीर के खिलाफ तीन वोट के अंतर से चुनाव जीता था. मावलंकर को 66, जबकि जहांगीर को 63 वोट मिले थे.
Last Updated on June 25, 2024 10:37 am