जयप्रकाश नारायण जिन्हे जीते जी दे दी गयी थी श्रद्धांजलि?

क्या आप जानते है कि जेपी के कंधों पर सवार होकर आई जनता सरकार, जेपी की मौत के लिए कितनी उत्साह से भरी हुई थी।

हांजी, बीमार जेपी के मरने के पहले ही, उन्हें संसद में हड़बड़ तड़बड़ श्रद्धाजंलि दे दी थी। फिर पता चला, अभी साहब जिंदा है, तो भरी संसद से माफी मांगी गयी।

गूगल कीजिए, मिल जाएगा।
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जितना पढ़ता हूँ, जेपी का व्यक्तित्व उतना ही जकड़ा हुआ पाता हूँ।

कहीं पढ़ा कि “एक वक्त जेपी नेहरू के उत्तराधिकारी माना जाता था”।इस कथन का कोई एक्सप्लेनेशन या लॉजिक, मिलता नही।

1937 या 41 के इलेक्शंस, 1942 के भारत छोड़ो औऱ 1946- 47 के दौर में गांधी, नेहरू, सरदार, मौलाना आजाद, राजेन्द्र प्रसाद, कृपलानी, जगजीवनराम, पंत, शुक्ला के अलावे जो नेता उल्लेखित होते है, उनमे जेपी कांग्रेस के बड़े नेता के रूप में कहीं उल्लेख नही होते।

संविधान सभा मे 1 सीट पाने वाली हिन्दू महासभा के इकलौते फ्लाइवेट बन्दे, याने श्यामा मुखर्जी को भी मंत्री पद मिल गया था। निर्दल अंबेडकर भी मंत्री हुए।

लेकिन जेपी तो संविधान सभा का सदस्य तक नही बनाया गया। क्या वे शीर्ष 300 नेताओं में भी नही गिने जाते थे??

तो उन्हें नेहरू का उत्तराधिकारी बताने वाली बात मुझे संघी गप से अधिक कुछ नही लगती।
बहरहाल, 47 में आजादी के बाद जेपी राजनीति छोड़कर सर्वोदयी हो गए।

और नेहरू की मौत के बाद एक दिन अचानक, 1974 के गुजरात नवनिर्माण आंदोलन में दिखे।

इंदिरा की “तानाशाही” के खिलाफ…
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वे तानाशाहीपूर्ण निर्णय क्या थे??

प्रिवीपर्स खत्म करना?? बैंक नेशनलाइजेशन?? हरित क्रांति?? पाकिस्तान को दो टुकड़े करना???

या मोरारजी सहित कांग्रेस के सिंडिकेट को बेरोजगार कर देना??

आह, क्या मेस के खाने की फीस बढ़ जाना, गेहूं की कीमत बढ़ जाना, बेरोजगारी बढ़ जाना, रेलवे के वेतन भत्ते न बढ़ाना??

क्या ये इतना बड़ा संकट था, कि देश की सेना और पुलिस से विद्रोह का आव्हान किया जाए।

अगर हां, तो क्या आप आज के विपक्ष को, इन्हीं कृत्यों के लिए, आप समर्थन देंगे??
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दरअसल 1975 के बाद तो आप नसबन्दी, संजय गांधी, तुर्कमान गेट, मीसाबन्दी और किशोर कुमार के गाने न बजाने को, तानाशाही के लक्षण गिना सकते हैं।

लेकिन “इमरजेंसी के पहले” कौन से निर्णय था, जिसके खिलाफ उद्वेलित होकर जेपी आंदोलन को मजबूर हुए ? 2 साल से वो जबरजस्त आंदोलन कर रहे थे। तो मुद्दा क्या था??

कोई बताये…

बार बार पूछता हूँ। कोई आये, बताये। कोई जवाब नही मिलता- सिवाय बेरोजगारी बहुत थी, महंगाई बहुत थी।
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आप बतायें कि चोर को चोर कहने पर राहुल के डिस्क्वॉलिफिकेशन से, आपकी ज्युडिशियली में बढ़ गई??

क्या वह उत्तम फैसला था?? तो..

1- दो सरकारी कर्मचारी द्वारा प्रधानमंत्री का चुनावी मंच सजाने, और ..

2- एक अफसर का, नौकरी से इस्तीफा देकर, (लेकिन उसके मंजूर होने के 3 दिन पहले ही) पीएम की पार्टी में प्रवेश करने, उसका प्रचार करने कारण….

सिटिंग पीएम को डिस्क्वालिफाई करने लायक कारण लगता है ??

मुझे तो नही लगता। जज साहब को लगा। उन्होंने “अन फेयर मीन्स” अपनाने के लिए इंदिरा की सांसदी खत्म कर दी।

चलो ठीक।

बिना सांसद भी, कोई 6 माह पीएम रह सकता है। तो जज साहब ने बेशर्मी से फैसले में यह भी लिखा, कि पार्टी 15 दिन में अपना नया नेता चुने।

किसी पार्टी का नेता कौन रहे, यह भी जज के मुकदमे के दायरे में था?? कतई नही। ही वाज ओवर स्टेपिंग।

फ्रैंकली, सब जानकर मुझे तो यही लगा कि जज जगमोहन लाल सिन्हा, बदमाश आदमी था।
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और जेपी का पूरे नार्थ इंडिया में हड़बोंग,

“जिंदा कौम 5 साल इंतजार नही करती””..
” सम्पूर्ण क्रांति”
” सिंहासन खाली करो, जनता (पार्टी) आती है”
” सेना और पुलिस, इस सरकार के आदेश न माने…”

यह शोरगुल, ये क्रांति, हड़ताल, बम ब्लास्ट, केंद्रीय रेलमंत्री की हत्या, सांसदों- विधायको से जबरिया इस्तीफे.. इसकी जरूरत JP को क्यो महसूस हुई??

1973 से 75 तक , दो लम्बे साल, देश ठप करने का आंदोलन, जो “जेपी की मसल पावर याने RSS” के बूते चला, उसका कारण क्या था??

जेपी का मोटिव क्या था??
यह सवाल अनुत्तरित हैं।
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उत्तर आप देना चाहें, तो स्वागत है। लेकिन तमाम घटनाओ को सोचने समझने के बाद आपका निष्कर्ष यही होगा कि जेपी अपने युग के अण्णा थे।

कौन जाने वे किसका मोहरा थे? चेहरा थे, सीढ़ी थे। पर हम ये अवश्य जानते है, कि चढ़ने वालों ने ऊपर जाकर, उन्हें गिरा दिया।

मौत के पहले ही जल्द जल्द पिंड छुड़ाया, श्रद्धांजलि दे दी।
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लाजदार जेपी, गलती से दी गई इस श्रद्धान्जलि के बाद ज्यादा नही जिये।

शर्म से मर गए। शायद अपने चेलों की संसद से आती आवाज को मान ही लेना श्रेयस्कर समझा होगा। जो कह रहे थे,

तुम मर जाओ जेपी!!

Manish Singh के ट्विटर पेज से…

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

Last Updated on October 6, 2023 7:10 am

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