महुआ मोइत्रा को संसद से बाहर कर दिया गया है. एथिक्स कमेटी ने दो रिकमंडेशन की. पहला – उनके खिलाफ, पैसे लेकर प्रश्न पूछने के मामले की जांच बिठाई जाए. दूसरा- संसद से निकाल बाहर किया जाए.
ये अपने किस्म का विश्व में अनोखा मामला है. यानी जिस चीज की अभी जांच कराई जानी हो, उसकी सजा भी लगे हाथ दे दी गयी है. बहुत दिन नहीं हुए, जब एक और सांसद डिस्क्वालिफाई किया गया था. वह किसी और पार्टी का था, बहाना भी कुछ और था. मगर आदत उसकी भी महुआ की तरह खराब थी. वह भी अडानी के खिलाफ खुलकर बोलता था. और रिपब्लिक ऑफ अडानी में रहकर, पार्लियामेंट में अडानी पर सवाल करने से बड़ी ब्लासफेमी क्या हो सकती है.
राहुल के बाद महुआ को मिली
चीखती, आग उगलती महुआ की क्लिपिंग्स देख रहा हूँ. उनका गुस्सा फट रहा है, फ्रस्ट्रेशन दिखाई दे रही है. जिस न्याय और बराबरी के लिए फासिज्म से लड़ने वो आयी थीं,आज उन्हें न्याय की दरकार है. मगर हिंदुस्तान तमाशा देख रहा है. क्या आज भारत लौटने पर वो पछता कर रही होंगी??
जेपी मोर्गन की वाइस प्रेसिडेंट रही महुआ, तकरीबन 15 साल पहले भारत लौटी.
असाम में पैदा, कलकत्ता में बड़ी हुई मोइत्रा ने मैसाचुसेट्स से गणित और अर्थशास्त्र में डबल मेजर किया. ग्रेजुएशन क्लास में टॉप करने के बाद, न्यूयॉर्क में जेपी मोर्गन-चेज में नौकरी जॉइन की. कम समय मे अपनी पहचान बनाई और तेजी सीढियां चढ़ती हुई, वाइस प्रेडिसेंट तक पहुंची. लन्दन में कम्पनी की हेड बन चुकी महुआ को आखिर क्यूं ख्याल आया होगा, भारत लौटने का??
यह देश अपने बच्चों को इंद्रा नुई, सुंदर पिचाई, सत्या नडेला बनाना चाहता है. महुआ जॉब में बनी रहती उसी लीग में होती. इतने सालों में कम्पनी के बोर्ड तक पहुंच चुकी होती. उस विशाल फाइनांस कम्पनी में, जिसका टर्नओवर हिंदुस्तान के जीडीपी से बड़ा है, जिसका विस्तार दुनिया के कोने कोने में है, उसके टॉप फ्लोर पर बैठी महुआ, बेटियों का रोल मॉडल होती.
आज गुनहगार बनाकर खड़ी कर दी गई हैं.
मनीकंट्रोल और फाइनांशियल टाइम्स कहते है कि इस वर्ष में 6500 हाई नेट वर्थ भारतीय, यह देश छोड़कर हमेशा के लिए जा चुके. वे इन्वेस्टर्स हैं, आंत्रप्रेन्योर हैं. ऐसा एक आदमी कम से कम 50 करोड़ भी लेकर गया, तो महज 2023-24 में निकल गयी वेल्थ का हिसाब कर लें.
दूसरी रिपोर्ट में विदेश मंत्री बता रहे हैं कि 17.50 लाख लोग, भारतीय नागरिकता त्याग चुके हैं. ये लोग प्रोफेशनल्स हैं, वेल्थ क्रियेटर हैं. ये हिंदुस्तान का टॉप ब्रेन हैं. उनको यह देश भविष्यहीन नजर आता है. इस भगदड़ के बीच गिनती के मुट्ठी भर लोग हैं, जो करियर छोड़ हिंदुस्तान लौटकर आये, कि यहां कुछ करेंगे.
ऐसे जज्बे वाले लोगों को आज महुआ के हालात चेताते हैं. “देश सुधारने” की कोशिश करने वाली प्रतिभाओं के लिए क्या नतीजा तय है. जेपी मॉर्गन में 8-10 साल नौकरी के बाद न्यूयॉर्क/लन्दन में पदस्थ एग्जीक्यूटिव की सैलरी 5 से 8 लाख डॉलर सालाना हो सकती है.
महुआ कण्टीन्यू करती, बोर्ड या आसपास की पोजिशन पर वेतन, सालाना 35-40 करोड़ रुपये से अधिक ही होता. आज उस पर 5-7 लाख रुपये ले तोहफे लेकर, संसद में सवाल पूछने का इल्जाम है. देश में उसके बॉयफ्रेंड, कुत्ते पर बहस चल रही है. चरित्र हीन साबित करने के लिए सिगार या वाइन पीते फोटो लगाए जा रहे हैं. ये तंज और गरिमाहीनता दो कौड़ी के ट्रोल्स तक तो फिर भी ठीक थी. पर देश की संसद भी मुस्कुराकर पूछती है- बता महुआ, तू रातों को फोन पर किससे बात करती है??
और फिर बिना जांच, अपराध सिद्ध किये बगैर संसद से बाहर कर देती है. इस संसद में महुआ की जरुरत नही. सड़कों, ऑफिसों, रैलियों और शाखाओं तक जलील, नीच, छिछोरों से भरे देश को महुआ की जरूरत नहीं महुआ को इस देश में लौटने की जरूरत नहीं थी. जो परदेस में बस गए हैं, वहां हिंदुस्तानी होने पर गर्व कर रहे हैं. उन ब्रिलिएंट, सुशिक्षित, सम्भवनाशील प्रोफेशनल्स को महुआ का हश्र देखना चाहिए.
आपके भाई, बेटे जो विदेश जा चुके हों, सेटल्ड हों. बेटियाँ जो मकाम हासिल कर चुकी हो, फिर भी देश लौटकर कुछ करने का का जज्बा हो, उन्हें ये कदम उठाने से सख्ती से रोकें. क्योंकि यह देश मेडिकोर, प्रतिभाहीन, दोगलों झूठों और बेशर्मो का स्वर्ग बन चुका है. जाहिलो का बुलडोजर यहाँ तालियां हासिल करता है, और जनता तमाशबीन है.
यहां अन्याय, अत्याचार ही ताकत की निशानी है, और ताकत पूजी जाती है. ऐसे देश मे लौटना किसी के करियर, सम्मान औऱ जीवन के लिए खतरे से खाली नहीं, महुआ एक सबक है उनके लिए, ये देश उनके लायक नहीं. अब यहां लौटना नहीं मेरे लाडलों.
Manish Singh के ट्विटर पेज से…
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Last Updated on January 8, 2024 1:05 pm