Mahua Moitra Expelled: सदन से निष्कासन की असली वजह PM Modi का विरोध या ‘पूर्व निराश प्रेमी’ का बदला?

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Mahua Moitra Expelled: “मैं 49 साल की हूं और मैं अगले 30 साल तक संसद के अंदर और बाहर आपके ख़िलाफ़ संघर्ष करूंगी. लोग आपका अंत देखेंगे. आपके पास पंजाब नहीं है, सिंध हमारे पास नहीं है, द्रविड़ आपका नहीं है, उत्कल आपका नहीं है, बंगाल आपका नहीं है. आप कहां से हम पर राज करेंगे, आपको ये शक्तिशाली बहुमत कहां से मिलेगा? भाजपा के 303 सांसद लोकसभा में हैं, लेकिन उनमें एक भी मुसलमान नहीं हैं. रमेश बिधूड़ी इसी संसद में खड़े होते हैं और 26 मुसलमान सांसदों में से एक दानिश अली से अपशब्द कहते हैं. उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाती. ये आपके अंत की शुरुआत है. हम लौटेंगे और आपका अंत देखेंगे.” लोकसभा से निष्कासित किए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने बाहर मीडिया से बात करते हुए यह बात कही.

इससे पहले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ‘कैश फॉर क्वेरी’ के आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को सदन से निष्काषित कर दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ लोकसभा के अंदर महुआ मोइत्रा को बोलने की इजाजत भी नहीं मिली. कहा गया कि उन्हें पैनल मीटिंग में बोलने का मौक़ा दिया था. एथिक्स कमेटी ने 104 पन्नों की रिपोर्ट पेश की थी. संसद सदस्यों को इसे पढ़ने के लिए केवल दो घंटे का समय दिया गया. दोपहर साढ़े तीन बजे चर्चा होनी थी. हालांकि, सदन में कुछ समय की चर्चा के बाद मोइत्रा की सदस्यता रद्द कर दी गई.

सदन के बाहर आकर मोइत्रा ने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कहीं किसी तरह का सबूत नहीं है और सरकार अडाणी को बचाना चाहती है. एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने की कोई शक्ति नहीं है…यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है.’’

उन्होंने आगे कहा, “यह कंगारू कोर्ट है. चूंकि मुझे संसद के अंदर बोलने की अनुमति नहीं थी, इसलिए मैं इसके बाहर बोल रही हूं. मैं अपने ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों का शुक्रिया अदा करती हूं. जैसा कि एथिक्स समिति की सुनवाई से पता चलता है, हम सभी सांसद लोगों के सवालों को संसद तक पहुंचाने का जरिया हैं. अगर मोदी सरकार को लगता है कि मुझे चुप कराकर अडानी मुद्दे को भुला दिया जा सकता है, तो वो गलत है.’

सदन में क्या हुआ?

शुक्रवार दोपहर बाद एथिक्स कमेटी के चेयरमैन विनोद कुमार सोनकर रिपोर्ट पेश की. कमेटी ने मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने की सिफ़ारिश की थी. रिपोर्ट पेश करते ही कांग्रेस और टीएमसी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के करीब पहुंच गए और नारा लगाने लगे. इस दौरान सांसद सदस्यों ने रिपोर्ट की प्रति दिए जाने की भी मांग की. टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी ने रिपोर्ट की सिफ़ारिश पर वोटिंग से पहले बहस कराने की मांग की. हंगामे के बीच अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की कार्रवाई को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

इस बीच कांग्रेस नेता अधीरंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिख कर अपील की, कि सदन में बहस के लिए सदस्यों को तीन चार दिन का वक्त दिया जाना चाहिए ताकि वे रिपोर्ट का अध्ययन कर सकें. उन्होंने लिखा, “मैं अपील करता हूं कि एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर बहस के लिए कम से कम तीन दिन बाद की तारीख और समय तय करें.”

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी चर्चा शुरू करते हुए कहा, ”जैसा कि अधीर रंजन ने कहा अगर हमने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेने के लिए 3-4 दिन का समय दिया होता और फिर सदन के सामने अपनी राय रखी होती तो आसमान नहीं गिर जाता क्योंकि सदन एक बेहद संवेदनशील मामले पर फैसला लेने जा रहा है.”

उन्होंने आगे कहा, ‘आज हम अपने सहयोगी पर फैसला लेने के लिए अदालत के तौर पर बैठे हैं, यह संसद नहीं है.’ इसके जवाब में स्पीकर बिरला ने कहा, ‘यह संसद है, यहां कोई जज नहीं है.’

टीएमसी के मुख्य सचेतक कल्याण बनर्जी ने कहा, जिस व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगाया गया है उसे बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए उन्होंने बार-बार अनुरोध किया कि मोइत्रा को बोलने की अनुमति दी जाए.

पीटीआई के मुताबिक़ टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने इस रिपोर्ट पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सीधी बैठक की थी. उन्होंने स्पीकर से कहा था कि मोइत्रा को सदन में अपना भाषण देने के लिए समय दिया जाना चाहिए, जिस पर बिड़ला ने जवाब दिया कि इस मामले पर चर्चा के लिए आधे घंटे का समय दिया जाएगा. बंद्योपाध्याय ने यह सवाल भी उठाया कि  मोइत्रा पर कैश फॉर क्वेरी के आरोप लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी के निशिकांत दुबे को समिति ने नहीं बुलाया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ निशिकांत दुबे ने एक वकील जय अनंत देहाद्राई के साथ आचार समिति में शिकायत दर्ज कराई थी कि टीएमसी सांसद मोइत्रा ने अदानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए दुबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी. बीबीसी की रिपोर्ट्स के मुताबिक़ देहद्राई वही शख़्स हैं जिन्हें महुआ मोइत्रा अपना ‘जिल्टेड एक्स’ यानी निराश ‘पूर्व प्रेमी’ बताती हैं.

बीबीसी से सभी आरोपों पर बात करते हुए मोइत्रा ने कहा, “इन आरोपों में कोई दम नहीं है. यदि मैंने कोई तोहफ़ा लिया है तो उसकी लिस्ट कहां है? बीजेपी एक जिल्टेड एक्स के दावे को आधार बनाकर मुझ पर निशाना साध रही है. ये प्रयास कामयाब नहीं होंगे”

दरअसल मोइत्रा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए इन्हें ‘पूरी तरह से निराधार’ क़रार दिया था. मोइत्रा ने यह अनुरोध भी किया था कि समिति हीरानंदानी को बुलाए और उन्हें उनसे और देहाद्राई से जिरह करने की अनुमति दे, हालांकि समिति ने इसे खारिज कर दिया था.

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर आरोप लगाते हुए बताया था कि संसद में महुआ मोइत्रा ने जो 61 सवाल पूछे उनमें से 50 अदानी समूह से संबंधित थे. ये सभी सवाल रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी ग्रुप के प्रमुख अरबपति कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कारोबारी हितों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए साज़िशन किया गया.

समिति की रिपोर्ट

समिति की रिपोर्ट में हीरानंदानी के साथ अपने लोकसभा लॉग-इन क्रेडेंशियल साझा करने के लिए मोइत्रा को ‘अनैतिक आचरण’ और ‘सदन की अवमानना’ का दोषी ठहराया गया, जिस पर मोइत्रा ने यह कहकर प्रतिवाद किया कि सदन के सदस्य अक्सर ट्रेनी और अन्य लोगों के साथ इन्हें साझा करते हैं.

Last Updated on December 8, 2023 4:17 pm

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