Mukhtar Ansari रॉबिनहुड या क्रिमिनल में मीडिया ने दबा दिया ये महत्वपूर्ण सवाल?

मुख्तार अंसारी की पुलिस कस्टडी में मौत
मुख्तार अंसारी की पुलिस कस्टडी में मौत

Mukhtar Ansari Custodial Death: मुख्तार अंसारी, देवता स्वरूप आदमी थे. वे ब्रिगेडियर उस्मान के नवासे थे, जिनको पाकिस्तान ने सेनाध्यक्ष बनाने का वादा किया था, पर गए नहीं. मुख्तार रॉबिनहुड थे, किसकी शादी में मदद की, किसकी पढ़ाई में और भी जमाने भर के पुण्याई के काम किये. ऐसी पोस्ट दिख रही है. दूसरी ओर से बताया जा रहा है कि मुख्तार अंसारी क्रिमिनल थे, गैंगस्टर थे, एक्सटॉर्शनिस्ट, हथियारों के सौदागर, बाहुबली बसपाई, हत्यारे थे.

कौन दरोगा उनको पकड़ लिया था, तो मुलायम सिंह बचा लिए थे. एक ठो राय साहब ( जो खुदई डॉन थे) उनकी कैसे खूनाख़ून हत्या करवाये.. वगैरह वगैरह. दोनों तरफ से इस तरह के अखंड मूर्खता भरे किस्से देख रहा हूं. जो सुनाकर, आपका असल इशु से ध्यान हटाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- BJP सांसद का बयान- Mamata Banerjee तय करें उनके पिता कौन, नारी शक्ति का अपमान या सम्मान?

मुख्तार अंसारी, बेसिकली एक अंडर ट्रायल मुल्ज़िम था, उसे सत्ताधारी शक्तियों से अपनी जान का अंदेशा था. यह बात उसने लिखित में कोर्ट में दी थी. उसके हफ्ते दस दिन बाद जेल में वास्तविक मौत हो गयी. किसी भी मुल्ज़िम, डॉन या देवता की जेल या हिरासत में मौत, सत्ता पर धब्बा है. पावर एब्यूज है.

इसलिए मृतक के बैकग्राउंड या जघन्यता की बहस से ऊपर, असल चीज देखने की जरूरत है. यह समझने की जरूरत है, कि ये आग आपके दामन तक कैसे पहुंचने वाली है.

दो चरणों में पहुंचेगी. जिसमें पहला चरण पूर्ण हो चुका है. पहला कदम, यानी लोकशाही का खात्मा हो चुका है. यानी अब सरकार आप बदल नहीं सकते.

ये भी पढ़ें- BJP ने 9 CBI केस में आरोपी, जमानत के लिए जज को 40 करोड़ का ऑफर देने वाले रेड्डी को वापस क्यों लिया?

नेता और राज, अब राजा की कृपा से चलना है. उनको इलेक्टोरल प्रोसेस से उखाड़ फेंकने, नियंत्रित रखने या स्क्रूटनी करने की व्यवस्था की जिस क्षमता को हम लोकशाही कहते हैं- ख़त्म है.

तो अब, इसके बाद, सीधा सपाट दूसरा चरण सिविल लिबर्टीज पर डाका डालना होता है. यानि अगर तुम दुकानदार हो, सौदा सुलफ बेचो. डॉक्टर हो- दवा सूजी लगाओ. जमादार हो, नाली साफ करो. अपना काम करो तुम.

देश कैसे चलेगा, कौन चलाएगा, इस ओर सोचना बोलना, तुम्हारा काम नहीं. हम चलाएंगे. तुम दो कौड़ी का प्राणी, ज्यादा बोलोगे, लड़ोगे, डिस्टर्ब करोगे, तो धारा बहुत सारी है कानून में, कोई भी लगा देंगे.

ये भी पढ़ें- महंगाई ने वाकई लोगों की Holi कर दी फीकी या Congress, Modi विरोध में कर रही है विलाप?

फिर एक बार हिरासत में आये.. तो जिंदा बाहर आना, नहीं आना, कोई तुम्हारा अधिकार नहीं. तमाम मुठभेड़ें, कस्टोडियल डेथ के उदाहरण याद रखो. पुलिस हिरासत, न्यायिक अभिरक्षा में लाइव टीवी पर, कोई सिर पे गोली मार जाएगा.

VIDEO- IT ने BJP के 42 करोड़ रुपए के वायलेशन पर आंखें क्यों बंद कर ली?- Congress

जेल में मरे तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह नहीं लिखा होगा कि आदमी इलाज के अभाव में मरा. वह तो फ़ूड पॉइजनिंग, बीपी, शुगर, हार्ट अटैक हो जाने से मरता है. तुम्हारी भी कोई बीमारी लिख दी जाएगी. सो किसी मुल्ज़िम का देवता या क्रिमिनल होना न होना, बहस का मुद्दा नही होना चाहिए. प्रश्न, किसी की कस्टोडियल डैथ है. जो अब आपके सर पर मंडरा रही है.

Manish Singh के X अकाउंट (@RebornManish) से…

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है.

Last Updated on March 30, 2024 7:51 am

Related Posts