New Delhi Railway Station Stampede: मैं रात करीब 11 बजे दिल्ली स्टेशन पहुंचा. उससे पहले दिल्ली पुलिस के उस घेरे से सामना हुआ जिसे संभवतः इसलिए लगाया गया था कि उसकी पहरेदारी में स्टेशन देखने योग्य बनाया जा सके. मुझे एक नंबर प्लेटफॉर्म पर जाना था और वहां जाने के लिए 16 नंबर प्लेटफॉर्म से मैं प्रायः जाता हूं. पुलिस ने स्टेशन की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को ब्लॉक कर रखा था.
स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों को जिसने बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी थे पैदल करीब 1 किमी तक जाना था. ऊपर के अधिकारियों के आदेश थे. ये ऊपर के अधिकारी अपनी गाड़ियों से स्टेशन तक गए थे.
मैं लगातार खबरों को देख रहा था कि रेलवे क्या कह रहा है. रेलवे कह रहा था भगदड़ की खबर अफवाह है. रेल मंत्री रात 11 बजे शायद अलग तरंग में रहे होंगे. मैं भी ये मनाकर चल रहा था हादसा बड़ा नहीं होगा. रेलवे कह रहा है तो अफवाह ही होगी. लेकिन 16 नंबर प्लेटफॉर्म की तरफ पहुंचते करीब 15 लोगों के मरने की खबर आ चुकी थी. ये कन्फर्म हो चुका था कि रेलवे का PRO पल्ले दर्जे का निकम्मा था.
प्लेटफॉर्म 16, ये नई दिल्ली स्टेशन का पिछला हिस्सा है. स्टेशन परिसर में 7/8 एम्बुलेंस किसी शोरूम में सजाई गई गाड़ियों की तरह खड़ी थीं. पुलिसवाले इतने थे कि लगा कि यहां अगर साक्षात यमराज आ जाएं तो ये उन्हें भी स्टेशन में घुसने नहीं देंगे. बड़ा अधिकारी मुझे एक भी नहीं दिखा. हां उनकी गाड़ियां जरूर बिखरी हुई थीं.
मीडिया की भीड़ बाहर थी, और वो संभवतः मुंह छुपाने के लिए भीतर थे. मुझे लगा प्लेटफॉर्म पर होंगे जहां हादसा हुआ पर वो वहां भी नहीं दिखे. बड़े अधिकारी बड़ा सोचते हैं वो सुराग मिटाने में व्यस्त थे शायद.
मैं तेजी से प्लेटफॉर्म नंबर 16 के ऊपर के ब्रिज से 1 नंबर की तरफ बढ़ा. 14, 15 प्लेटफॉर्म पर नजर पड़ी वो एकदम चकाचक था. जैसे पूछ रहा हो कुछ हुआ था क्या? मुझे मेरे मोबाइल पर एक ब्रेकअप मिला 11 विमेन, 2 male and 2 children dead.
ट्विटर पर शोक संदेश चमकने लगे थे. प्रधानमंत्री से लेकर LG, मुख्यमंत्री सब शोक में आकंठ डूबे थे. वैसे ही जैसे कुंभ क्षेत्र में हुई भगदड़ से हुई मौतों के बाद डूबे थे. प्लेटफॉर्म नंबर 1 की तरफ बढ़ते मैने देखा ब्रिज से लेकर प्लेटफॉर्म तक सब लकदक था. पोछा लगाने वाली गाड़ियां अपना काम कर रही थीं. पुलिस वाले एकदम सक्रिय दिख रहे थे. रेलवे का स्टाफ चकाचक वर्दी में था.
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15 लोगों को निगल कर सिस्टम जैसे पेट पर हाथ मारकर आराम से बस पड़ गया हो. एक नंबर प्लेटफॉर्म पर स्टेशन मास्टर के रूम में करीब 20/22 लोग स्टेशन मास्टर पर बरस रहे थे. उन्हें कटक जाना था, सही समय पर स्टेशन पहुंचे थे. प्लेटफॉर्म 16 से ट्रेन थी. भीड़ की वजह से ट्रेन में चढ़ नहीं सके. पूरा पैसा और प्रोग्राम चौपट हुआ.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ से चंद मिनट पहले का वीडियो…@ndtvindia reports pic.twitter.com/MpWN9G4SIH
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) February 16, 2025
उनकी हालत देखकर लगता था उनके लिए रेल किराए की कीमत क्या रही होगी. लेकिन स्टेशन मास्टर को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. एक बच्ची वीडियो बनाते हुए चिल्ला रही थी हम क्या करें बताओ?
स्टेशन मास्टर चुप था जैसे कुछ हुआ नहीं. सच में कुछ नहीं हुआ. निकम्मे PRO का भगदड़ की बात से इनकार करना. रेल मंत्री का कान में तेल डालकर पड़े रहना. निकम्मी रेल पुलिस का जागने का स्वांग रचना और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का कुंभ हादसा वाली पोस्ट का समय जगह बदल कर शोक संदेश फेंक देना. इतना काफी है और क्या करें?
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140 करोड़ लोग हैं तो हादसे होंगे. आम व्यक्ति भीड़ में चप कर मरेगा. बोगियों में उसकी सांसे उखड़ जाएंगी. कुंभ में रौंद दिया जाएगा. क्या फर्क पड़ता है. कभी अपने सुना मंत्रियों के बच्चे ऐसे मरे हों? पुलिस अधिकारियों के घरवाले? या फिर सचिवों के परिवार?
रेलवे पुलिस द्वारा मुझे हिरासत में लेने की धमकी देकर डराने की कोशिश की गई ताकि मैं उन्हें अपने फ़ोन का पासवर्ड बता दूँ और स्टेशन पर मौजूद लोगों की आपबीती का सारा डेटा डिलीट कर दूँ। उन्होंने मुझसे कहा कि आप यहाँ से कुछ नहीं दिखा सकते, डेटा डिलीट करो नहीं तो अभी उठा कर ले जाएँगे। pic.twitter.com/KmkBfAW4qt
— Saumya Raj (@JournoSaumya) February 16, 2025
लेकिन प्रश्न कौन पूछेगा? मीडिया? वो कहां है? और इसलिए कहता हूं शर्म है मीडिया मर चुका है. सरकार की आत्मा वाला एक व्यक्ति कहता है शर्म नहीं संचार करें. दुर्भाग्य से हम बीते कुछ वर्षों में ऐसे ही अलंकारों से सम्मोहित हुए बैठे हैं. पर अब सम्मोहन टूट रहा है और टूटेगा. मृत्यु एक हो या हजार वो हिसाब करेगी ये तय है, हर हर महादेव.
वरिष्ठ पत्रकार Raakesh Pathak के फेसबुक पेज से…
Last Updated on February 16, 2025 5:33 pm