Pahalgam Attack Ignored?: आखिरकार मोदी सरकार जाति जनगणना कराने पर मान गई है. अब इसमें बीजेपी और कांग्रेस के बीच होड़ लगी है क्रेडिट लेने की. वहीं मेन स्ट्रीम मीडिया इसे मोदी का ऐतिहासिक फ़ैसला बता रही है. जबकि कांग्रेस के क्रेडिट को पूरी तरह गोल कर दिया है. याद कीजिए, राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव में ‘जितनी आबादी, उतना हक’ जैसा अभियान चलाया था और लोगों को समझाने की कोशिश की थी कि अगर बीजेपी को 400 सीटें मिली तो वह संविधान बदलकर आरक्षण को खत्म कर देगी. उत्तरप्रदेश में इंडिया ब्लॉक को इस अभियान का काफी फायदा मिला. वहीं बीजेपी से उसके ओबीसी (OBC) और दलित वोट बैंक छिटक गए.
यह मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में चुनाव है. वहीं अगले साल पश्चिम बंगाल में. बिहार में अक्टूबर 2023 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जाति जनगणना करवाई गई थी. यानी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले. इससे एक बात तो साफ़ है कि बिहार के लिए जाति जनगणना काफ़ी महत्वपूर्ण है. इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि जैसे ही केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना की बात की, नीतीश कुमार जो 9वें कार्यकाल के लिए सीएम पद पर हैं, उन्होंने भी क्रेडिट लपकने में देर नहीं की.
सवाल यह भी है कि जब पूरे देश में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर विमर्श ज़ोरों पर है, उस बीच पाकिस्तान से बदला कैसे लेगें -जोकि बीजेपी का फेवरिट सब्जेक्ट है- को छोड़कर ऐसी क्या मजबूरी थी कि जातीय जनगणना पर लौटना पड़ा?
तो क्या यह पहली मर्तबा है जब बीजेपी समझ रही है कि पहलगाम आतंकी हमले पर लंबी बातचीत शायद उनके लिए इस बार ठीक नहीं है? इसे दो उदाहरणों से समझा जा सकता है. पहलगाम आतंकी हमले के ठीक बाद पीएम मोदी जब सऊदी अरब की यात्रा छोड़कर वापस लौटे तो लगा वो देश को संबोधित करेंगे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. जबकि कई बीजेपी समर्थकों को लग रहा था पीएम मोदी ऐसी घड़ी में बिहार रैली को संबोधित नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने रैली भी की.
ये भी पढ़ें- Pahalgam Terrorist Attack: क्या कश्मीर में पर्यटकों पर हमला इंटेलिजेंस फेलियर है?
रैली की पूर्व संध्या पर टीवी स्क्रीन पर ब्रेकिंग आई, पीएम मोदी बिहार की धरती से देंगे पाकिस्तान को करारा जवाब. लेकिन आप बताएं कि पीएम मोदी ने उस आधे घंटे के भाषण में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कितनी देर बोला और क्या बोला? आमतौर पर हिंदी बोलने वाले पीएम मोदी ने बीच भाषण में अचानक अंग्रेज़ी में बोलना शुरू कर दिया. वह भी उस मधुबनी क्षेत्र में जहां लोग मुख्य रूप से मैथिली और हिंदी भाषा बोलते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज बिहार की धरती से मैं पूरी दुनिया से कहता हूं, भारत हर आतंकी और उनके आकाओं की पहचान करेगा, उन्हें खोजेगा और उन्हें सजा देगा. हम उन्हें धरती के किसी भी कोने तक खदेड़ेंगे. आतंकी वारदातों से भारत की आत्मा कभी नहीं टूटेगी, आतंकवाद को बख्शा नहीं जाएगा. न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाएगी, पूरा देश इस संकल्प पर अडिग है.’
मीडिया ने इसे भी मास्टरस्ट्रोक बता दिया, यह कहते हुए कि पीएम मोदी ने अपना संदेश दुनिया तक साफ शब्दों में पहुंचाने के लिए अंग्रेजी का सहारा लिया. जबकि आम तौर पर वह विदेशों में भी हिंदी बोलते हैं ताकि तमाम भारतीय तक उनका संदेश पहुंचे लेकिन इस बार उन्होंने भारतीयों के बजाए दुनिया को संदेश देना चुना, क्यों?
याद कीजिए लोकसभा चुनाव 2019. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के लातूर जिले में जनसभा रैली को संबोधित करते हुए फर्स्ट टाइम वोटर्स से सवाल किया था कि ‘आपका पहला वोट पुलवामा में शहीद हुए वीरों के नाम समर्पित हो सकता है क्या?’ फिर इस बार क्यों नहीं?
दूसरी बात, जब पूरे देश में पहलगाम आतंकी हमले के वीडियो वायरल हो रहे थे और लोग हैरान-परेशान थे कि देश को किसकी नज़र लग गई, ठीक उसी वक़्त छत्तीसगढ़ बीजेपी ने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया- ‘धर्म पूछा जाति नहीं?’
इससे एक बात तो साफ़ है कि बीजेपी के मन में जाति जनगणना की फांस तो थी. अब सवाल उठता है कि इस समय क्यों?
इसके संभवत: दो कारण हो सकते हैं. पहला- बीजेपी पहलगाम आतंकी हमले को लेकर फंस गई है. सिंधु जल समझौता रोकने का फ़ैसला तो कम से कम ऐसा ही कहता है. क्योंकि असल में ऐसा कर पाना भारत के लिए मुमकिन नहीं है. क्यों पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
यानी कुल मिलाकर वैसे फ़ैसले लिए गए जो टीवी पर दिखाने के बाद लगे कि भारत सरकार ने पाकिस्तान की चूलें हिला दी हैं. लेकिन उतना असरदार नहीं लगता. ख़ासकर तब जब आपके देश के 27 निर्दोष लोगों को बेरहमी से मार दिया गया हो. बीजेपी के समर्थक भी मोदी सरकार से इस तरह के बदले की उम्मीद तो नहीं ही कर रहे होंगे. इस बीच टीवी मीडिया ने रोज़ ख़बर दिखाना शुरू किया कि प्रधानमंत्री की निगरानी में कुछ बड़े हमले की तैयारी चल रही है. बाक़यादा इतनी हाई लेवल मीटिंग का फोटो और वीडियो भारत सरकार ने जारी करवाया.
लेकिन अचानक बुधवार दोपहर विमर्श बदल गया. केंद्र सरकार का बड़ा फ़ैसला. मोदी सरकार जाति जनगणना कराने जा रही है. इतना ही नहीं मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया है. आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में जातियों की गणना नहीं की गई. वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह जी ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा. इसके बाद एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनैतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी. इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाए, एक सर्वे कराना ही उचित समझा जिसे SECC के नाम से जाना जाता है.
यानी कुल मिलाकर ना केवल जाति जनगणना करवाने का श्रेय लिया, बल्कि हर बार की तरह कांग्रेस को ही दोषी भी करार दिया. वहीं बिहार में बीजेपी के सहयोग से चल रही सरकार के मुखिया नीतिश कुमार ने भी केंद्र सरकार के फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है. यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है. जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा, जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी. इससे देश के विकास को गति मिलेगी. सवाल उठता है कि जिस तरह से राहुल गांधी बार-बार कह रहे थे कि वह किसी भी हालत में जातीय जनगणना कराएंगे, सीएम नीतीश कुमार ने सहयोगी दल होते हुए भी उस तरह से आवाज़ बुलंद क्यों नहीं की. लेकिन जैसे ही सरकार ने जातीय जनगणना को मंज़ूरी दी, लपक कर क्रेडिट लेने आ गए.
ये भी पढ़ें- Pahalgam Terrorist Attack: राजनीति करने के 50 दूसरे मौके हैं अभी साथ खड़े रहें…
वहीं राहुल गांधी ने भी बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘संसद में मैंने कहा था कि जाति जनगणना को हम करवा कर छोड़ेंगे. मैंने ये भी कहा था कि 50 फ़ीसदी की जो दीवार है उसको तोड़ेंगे. अब सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया है. हम जाति जनगणना का पूरी तरह समर्थन करेंगे. लेकिन हम चाहते हैं कि इसकी पूरी टाइमलाइन बताई जाए. ये कैसे होगी, कब होगी और तरीका क्या होगा?’
सवाल एक बार फिर वही है. एक तरफ पूरा देश पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए उबल रहा है. मीडिया भी परेशान है कि रोज़ाना शाम के कार्यक्रम में क्या प्रोपेगैंडा फैलाया जाए. लेकिन बीजेपी ने अपना फेवरिट सब्जेक्ट छोड़ कर विपक्ष का मज़बूत सबजेक्ट क्यों उठा लिया?
Last Updated on April 30, 2025 10:34 pm