ऐसा होता है PM का काफिला, फिर कैसे हुई सुरक्षा व्यवस्था में चूक?

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के दौरे पर थे. इस दौरान पीएम मोदी की सुरक्षा में भारी चूक का मामला सामने आया है. दरअसल, प्रधानमंत्री का काफिला एक प्लाईओवर पर तकरीबन 15 से 20 मिनट तक फंसा रहा. गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की.

साथ ही मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री से विस्तृत रिपोर्ट देने को भी कहा है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई इस चूक के बाद यह जानना बेहद जरूरी है कि पीएम मोदी की सुरक्षा व्यवस्था कैसी होती है?

प्रधानमंत्री (Prime Minister) की सुरक्षा सबसे ज्यादा सख्त होती है. वर्तमान में प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी कि SPG के पास है. SPG का गठन 1988 में हुआ था. ये चार हिस्सों में काम करती है. पहला- ऑपरेशंस, दूसरा- ट्रेनिंग, तीसरा- इंटेलिजेंस एंड टूर्स और चौथा-एडमिनिस्ट्रेशन.

SPG कमांडो प्रधानमंत्री को चारों तरफ से घेरे रहते हैं और उनके साथ-साथ चलते हैं. प्रधानमंत्री के निजी सुरक्षा गार्ड सुरक्षा घेरे की दूसरी पंक्ति में तैनात रहते हैं. यह भी एसपीजी के बराबर प्रशिक्षित होते हैं जो किसी भी अनहोनी को रोकने में सक्षम होते हैं. तीसरे सुरक्षा चक्र में नेशनल सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) होते हैं. चौथे चक्र में अर्द्धसुरक्षा बल के जवान और राज्यों के पुलिस अधिकारी होते हैं. पीएम जब किसी राज्य में जाते हैं तो यह प्रदेश पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि वह बाहरी सुरक्षा प्रदान करे.

SPG प्रधानमंत्री को क्लोज प्रोटेक्शन देती है. प्रधानमंत्री के काफिले के सबसे आगे राज्य के स्थानीय पुलिस चलती है जो रूट क्लीयरेंस का काम करती है. इस काफिले में कम से कम 5 गाड़ियां होती हैं. जिसमें NCG के विशेष कमांडो तैनात होते है. पहली गाड़ी पायलट गाइड उसके बाद एस्कोर्ट गाड़ी SPG की होती है. उसके बाद प्रधानमंत्री की गाड़ी फिर एस्कोर्ट की दूसरी गाड़ी और साथ में एक स्पेयर गाड़ी चलती है. इन सबके पीछे लोकल एसएसपी, डीएम, एसआईबी और बाक़ी अधिकारियों की गाड़ियां चलती हैं.

पीएम के काफिले में 100 लोगों की सिक्योरिटी टीम

प्रधानमंत्री के काफिले में लगभग 100 लोगों की सिक्योरिटी टीम चलती है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन लोगों की टीम पर होती है. प्रधानमंत्री जिस रूट से जोने वाले होते है ये रूट 7 घंटे पहले तय होता है. साथ ही प्रधानमंत्री के काफिले में दो डमी कारें भी चलती हैं. इसके अलावा जैमर भी काफिले का अहम हिस्सा होता है. यह सड़क के दोनों तरफ 100 मीटर की दूरी पर रखे विस्फोटक को निष्क्रिय करने में सक्षम होती हैं. प्रधानमंत्री के काफिले के साथ हमेशा एक एंबुलेंस चलती है. ये एंबुलेंस अत्याधिक सुरक्षा से लैस होती है.

प्रधानमंत्री के काफिले के लिए एक या दो वैकल्पिक मार्ग भी तय किए जाते हैं जिस पर पहले ही रिहर्सल हो जाता है. जिस रास्ते पर प्रधानमंत्री के काफिले को गुजरना होता है वहां चार-पांच घंटे पहले ही दोनों तरफ 100 से 50 मीटर की दूरी पर पुलिस वालों को तैनात कर दिया जाता है. इसके साथ ही 10 से 15 मिनट पहले रूट पर आवाजाही को पूरी तरह से रोक दिया जाता है और सड़क के दोनों और पुलिस मुस्तैद रहती हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले में अत्याधुनिक गाड़ियां होती हैं. सबसे पहले एडवांस सिक्योरिटी कार होती है. इसके बाद दूसरे नंबर पर एडवांस पायलट कार होती है. जिसके बाद तीसरा नंबर पायलट कार का आता है. पायलट कार के पीछे डायरेक्ट सिक्योरिटी की कार होती है. उसके बाद काफिले में VIP कार शामिल होती है.

मौजूदा समय में प्रधानमंत्री के पास बुलेट प्रूफ कार है. जिसमें रेंज रोवर, मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू की कारें शामिल हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री के काफिले में मर्सिडीज की लिमोजिन को शामिल किया गया है. कई सुरक्षा खूबियों से लैस Mercedes Maybach S650 Guard भी प्रधानमंत्री मोदी के काफिले का हिस्सा है. Mercedes Maybach S650 Pullman Guard कार में VR10 स्तर की सुरक्षा है. यह कार अभेद्य किले की तरह है. इस कार पर 2 मीटर दूर से किए गए 15 किलोग्राम टीएनटी के विस्फोट का भी कोई असर नहीं होता. इस कार पर पॉलीकार्बोनेट की कोटिंग है जो कार में बैठे लोगों को विस्फोट से बचाती है.

प्रधानमंत्री के काफिले में कम से कम पांच गाड़ी होती हैं. पहली गाड़ी पायलट गाइड उसके बाद एस्कोर्ट गाड़ी एसपीजी की होती है. उसके बाद पीएम की गाड़ी फिर एस्कोर्ट की दूसरी गाड़ी और साथ में एक स्पेयर गाड़ी चलती है. इन सबके पीछे लोकल एसएसपी, डीएम, एसआईबी और बाक़ी अधिकारियों की गाड़ियां चलती हैं.

Last Updated on January 6, 2022 1:45 pm

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