Ujjwala Yojana: लाखों ने नहीं कराया दूसरा सिलेंडर रीफिल, फिर लौटे लकड़ी के चूल्हे पर

RTI से प्राप्त इंडियन आयल कंपनी से मिले इन आंकड़ों को देखिए जिससे पता चलता है वर्ष 2017-18 से वर्ष 2022-23 में लाखों ने गैस सिलेंडर तो ले लिया लेकिन दूसरी बार उसे रीफ़िल नहीं करवाया. अर्थात ये लोग फिर से लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने लगे.

Ujjawala-Yojna की सच्चाई?
Ujjawala-Yojna की सच्चाई?

Ujjwala Yojana: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) को लेकर जिस तरह का प्रचार-प्रसार किया गया, उसकी असली तस्वीर उतनी उजली नहीं दिख रही. एक RTI के जवाब में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से मिली जानकारी के मुताबिक, लाखों लाभार्थियों ने योजना के तहत पहली बार तो एलपीजी (LPG) सिलेंडर जरूर लिया, लेकिन बाद में दोबारा उसे रीफिल नहीं कराया.​

RTI एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला ने एक्स हैंडल पर RTI का जवाब शेयर करते हुए लिखा, ‘ पहली बार सिलेंडर मुफ्त मिल जाता है लेकिन उज्ज्वला योजना के तहत दूसरी बार गैस सिलेंडर का पैसा देना होता है, इस योजना का ढिंढोरा खूब पीटा गया है,लेकिन हकीकत जान लीजिए. RTI से प्राप्त इंडियन आयल कंपनी से मिले इन आंकड़ों को देखिए जिससे पता चलता है वर्ष 2017-18 से वर्ष 2022-23 में लाखों ने गैस सिलेंडर तो ले लिया लेकिन दूसरी बार उसे रीफ़िल नहीं करवाया. अर्थात ये लोग फिर से लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने लगे.

The Hindu ने अगस्त, 2023 में एक रिपोर्ट छापी थी. जिसके मुताबिक वर्ष 2022-23 में उज्ज्वला योजना के 9.58 करोड़ लाभार्थियों में से 1.18 करोड़ ने कोई रीफिल नहीं कराया, जबकि 1.51 करोड़ ने केवल एक बार ही सिलेंडर भरवाया. इसका मतलब है कि लगभग 28% लाभार्थियों ने योजना का निरंतर उपयोग नहीं किया.

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रीफिल दर में गिरावट
India Today की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-20 में उज्ज्वला लाभार्थियों की औसत रीफिल दर 3.01 थी, जो 2022-23 में बढ़कर 3.71 हो गई है. हालांकि, यह दर गैर-उज्ज्वला उपभोक्ताओं की औसत रीफिल दर 6.67 से काफी कम है. ​

लाभार्थी क्या कहते हैं?
नेटवर्क 18 से बात करते हुए भोपाल के न्यू मार्केट इलाके में मिट्टी के बर्तन बेचने वाली 65 वर्षीय प्रेम बाई अब भी उस दिन को याद करती हैं जब उज्ज्वला योजना के तहत उन्हें गैस चूल्हा मिला था. वो कहती हैं, “शुरुआत में लगा कि अब चूल्हे का धुआं नहीं सहना पड़ेगा, लेकिन अब हालात फिर वही हो गए हैं. जब व्यापार अच्छा नहीं चलता, तब गैस भरवाना मुश्किल हो जाता है. मजबूरी में लकड़ी जलानी पड़ती है.”

जनसत्ता ने हेमेंद्र मालवीय नाम के यूजर का बयान छापते हुए लिखा ‘मतलब साफ है कि मोदी सरकार की हर योजना विफल साबित हुई है. इसलिए जनता को धर्म की अफीम चटाई जा रही है.’

संगम पाल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘1100 रुपए का सिलेंडर महीने भर चलेगा तो कौन गरीब इतना खर्चा उठा पाएगाय’

अमित नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जिस उज्ज्वला का ये ढोल पीटते हैं उसकी सच्चाई यह है. देखा जाए तो जो लक्ष्य हासिल करने थे वो नहीं हो पाये इससे. आम जनता का पैसा बर्बाद किया है. गरीब से उम्मीद करते हैं कि वो 1000 की गैस खरीदेगा.’

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सरकारी प्रयास
सरकार ने 2022-23 में उज्ज्वला लाभार्थियों को प्रति सिलेंडर ₹200 की सब्सिडी देने की घोषणा की थी, जिसे अक्टूबर 2023 में बढ़ाकर ₹300 कर दिया गया. इसके अलावा, 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत तीन मुफ्त रीफिल भी प्रदान किए गए थे.​

विशेषज्ञों की राय
नीति विशेषज्ञों का मानना है कि केवल कनेक्शन देना पर्याप्त नहीं है. गैस की कीमतें, सब्सिडी की प्रक्रिया और रीफिलिंग की सुविधा जैसी बातों पर गंभीर पुनर्विचार की ज़रूरत है. वरना उज्ज्वला योजना का फायदा एक प्रचार से ज्यादा नहीं रह जाएगा.

Last Updated on April 18, 2025 7:34 am

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