Electoral Bonds Case: SBI ने मांगा समय तो Congress बोली- ‘महालूट के मास्टर माइंड को बचाने की हर कोशिश जारी’

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर पीएम मोदी पर बड़ा आरोप
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर पीएम मोदी पर बड़ा आरोप

Electoral Bonds Case: स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) ने राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए ख़रीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा है. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने SBI को निर्देश दिया था कि वह 06 मार्च 2024 तक 12 अप्रैल, 2019 से लेकर अब तक ख़रीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दे. जिसके जवाब में SBI ने 30 जून तक का समय मांगा है. यानी कि चुनाव ख़त्म होने तक का. इसी बात को लेकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल SBI के मंशे पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

कांग्रेस समेत अन्य विरोधियों ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आरोप है कि SBI चुनाव से पहले मोदी के असली चेहरे को छुपाने की अंतिम कोशिश कर रही है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “नरेंद्र मोदी ने ‘चंदे के धंधे’ को छिपाने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी है. जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानना देशवासियों का हक़ है, तब SBI क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए?”

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राहुल ने कहा, “एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है. देश की हर स्वतंत्र संस्था ‘मोडानी परिवार’ बन कर उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है. चुनाव से पहले मोदी के ‘असली चेहरे’ को छिपाने का यह ‘अंतिम प्रयास’ है.”

वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “जैसा कि अपेक्षित था, मोदी सरकार ने स्टेट बैंक के माध्यम से एक आवेदन दायर कर इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदारों की जानकारी देने के लिए चुनाव के बाद तक का समय मांगा है. अगर ये जानकारी अभी आ गई तो कई सारे रिश्वत देने वाले और उन्हें दिए जाने वाले फ़ायदे सबके सामने आ जाएंगे.”

सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने निराशा ज़ाहिर करते हुए एक्स पर लिखा, “ये न्याय का मज़ाक होगा. क्या SBI इसलिए और समय मांग रहा है ताकि लोकसभा चुनाव में बीजोपी और मोदी को बचा सके.”

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आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने एक्स पर लिखा, “बॉन्ड ख़रीदने और इसे भुनाने की जानकारी दोनों SBI के मुंबई ब्रांच में सीलबंद लिफाफे में हैं ये बात SBI का हलफ़नामा कह रहा है तो फिर क्यों बैंक ये जानकारी तुरंत जारी नहीं कर देता. 22,217 बॉन्ड की के ख़रीदार और भुनाने की जानकारी मिलाने के लिए चार महीने का समय चाहिए, बकवास है ये.”

वहीं कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा-
“15 फ़रवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड बैन करते वक़्त कहा था कि लोकतंत्र में किसने, किस पार्टी को, कितना पैसा दिया यह सच जानने का हक़ जनता को है.
-SBI को आदेश दिया गया था कि 6 मार्च तक सारे इलेक्टोरल बॉण्ड डोनर के नाम सार्वजनिक किए जाएं.
– अब SBI ने उच्चतम न्यायालय से 30 जून तक का वक़्त मांगा है.
– SBI जिसके 48 करोड़ अकाउंट धारक हैं, 66,000 के क़रीब ATM हैं, लगभग 23,000 ब्रांच हैं.
– उस SBI को सिर्फ़ और सिर्फ़ 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा निकालने के लिए 136 दिनों का वक़्त चाहिए.
– यह जानकारी डिजिटल बैंकिंग के युग में कंप्यूटर की एक क्लिक पर 5 मिनट में निकल जाये, फिर इतना वक़्त क्यों?
– आख़िर SBI को चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक करने में क्या दिक़्क़त है?
महालूट के मास्टर माइंड को बचाने की हर कोशिश जारी है.”

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SBI ने क्या कहा?
SBI ने कहा कि वह अदालत के निर्देशों का “पूरी तरह से पालन करने करना चाहता है. हालांकि, डेटा को डिकोड करना और इसके लिए तय की गई समय सीमा के साथ कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां हैं… उनका कोई सेंट्रल डेटा एक जगह पर नहीं है. जैसे ख़रीदार का का नाम, बॉन्ड ख़रीदने की तारीख, जारी करने की शाखा, बॉन्ड की क़ीमत और बॉन्ड की संख्या.”

बैंक ने कहा कि दो जनवरी, 2018 को इसे लेकर “अधिसूचना जारी की गई थी.” यह अधिसूचना केंद्र सरकार की ओर से साल 2018 में तैयार की गई इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना पर थी. इसके क्लॉज़ 7 (4) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अधिकृत बैंक हर सूरत में इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदार की जानकारी को गोपनीय रखे. अदालत या जांच एजेंसियां किसी आपराधिक मामले में जानकारी मांगती है, तभी ख़रीदार की पहचान साझा की जा सकती है.

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बैंक ने अपनी याचिका में कहा है, ”इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदारों की पहचान को गोपनीय रखने के लिए बैंक ने बॉन्ड कि बिक्री और इसे भुनाने के लिए एक विस्तृत प्रकिया तैयार की है जो बैंक की देशभर में फैली 29 अधिकृत शाखाओं में फॉलो की जाती है.”

”इसलिए अदालत से दरख़्वास्त है कि 15.02.2024 के फ़ैसले में तय की गई तीन सप्ताह की समय-सीमा पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी और आदेश पालन करने के लिए हमें और वक़्त दिया जाए.”

Last Updated on March 5, 2024 9:09 am

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