कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Senior Congress leader Ghulam Nabi Azad) ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (sonia gandhi) को अपना इस्तीफा भेजा.
आजाद ने सोनिया गांधी को अपनी शिकायतों का विवरण देते हुए पांच पन्नों का पत्र लिखा. भेजे पांच पृष्ठ के त्यागपत्र में आजाद ने कहा कि वह ‘भारी मन’ से यह कदम उठा रहे हैं.
पार्टी से नाराज चल रहे थे गुलाम नबी
बताया जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद पिछले काफी वक्त से पार्टी नेतृत्व से नाजार बताए जा रहे थे. इस्तीफे में उन्होंने राहुल गांधी पर कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अपने आस-पास अनुभवहीन लोगों को रखते हैं और वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया है.
ऐसा लगता है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के सुरक्षाकर्मी और पर्सनल स्टाफ ही सारे फैसले ले रहे हैं. दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था, उन्होंने कांग्रेस के कार्य करने के तौर-तरीकों को खत्म कर दिया. उन्होंने संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया.
कांग्रेस पर की टिप्पणी
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर आजाद ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकाली जानी चाहिए थी. आजाद ने कहा कि पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव संपन्न नहीं हुए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस लड़ने की अपनी इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है. आजाद पार्टी के ‘जी23’ समूह के प्रमुख सदस्य रहे हैं. हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चुनाव अभियान समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था.
गुलाम नबी आजाद का सफर
गुलाम नबी आजाद 1970 के दशक से कांग्रेस से जुड़े थे. साल 1980 में वे पहली बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और लोकसभा पहुंचे थे. साल 1990-1996 तक महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद रहे. वे नरसिम्हा राव की सरकार में भी मंत्री रहे. वे 2005 में जम्मू कश्मीर के सीएम भी बने. उनकी सरकार मात्र तीन साल चली. आजाद मनमोहन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे. 2014 में आजाद को राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया था.
Last Updated on August 26, 2022 10:01 am