साल 2018 से 2020 में 25 हजार बेरोजगारों और कर्जदारों ने मौत को लगाया गले- सरकार

देश में बेरोजगारी को लेकर कुछ दिनों पहले बिहार, यूपी के कई शहरों में छात्रों ने प्रदर्शन किया. इन युवाओं का आरोप था कि सरकारी भर्तियों में लगातार कटौतियां की जा रही है. जो भर्तियां निकाली जा रही है उसे समय से पूरा नहीं किया जा रहा है. विपक्ष भी बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को लगातार घेर रही है.

वहीं केंद्रीय बजट पर बहस के दौरान संसद में बेरोजगारी (Unemployment) के मुद्दे पर हुई चर्चा के दौरान सरकार ने चौंकाने वाले आंकडे प्रस्तुत किए है. केंद्र सरकार ने राज्यसभा (Rajya Sabha) को बताया कि 2018 और 2020 के बीच बेरोजगारी, कर्ज के कारण 25,000 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है.

इसमें बेरोजगारी के कारण 9,140 लोग और दिवालियापन या कर्ज के कारण 16,091 लोगों ने मृत्यु को गले लगाया है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Minister of State (Home) Nityanand Rai) ने एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी सदन को दी. यह आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की तरफ से उपलब्ध कराए गए हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में बेरोजगारी के कारण सबसे अधिक (720) आत्महत्याएं कर्नाटक में हुई. उसके बाद महाराष्ट्र में (625) लोगों ने मृत्यु को गले लगाया. वहीं तमिलनाडु में (336), असम (234), और उत्तर प्रदेश में (227) लोगों ने आत्महत्या की.

NCRB के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बेरोजगारी के कारण आत्महत्याएं बढ़ रही हैं. 2019 में यह संख्या 2,851 थी, 2018 में 2,741, 2017 में 2,404, 2016 में 2,298, 2015 में 2,723, और 2014 में 2,207 थी.

केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार (2014-2020) के दौरान बेरोजगारों में आत्महत्याओं की कुल संख्या 18,772 थी यानी प्रति वर्ष औसतन 2,681 मौतें दर्ज की गईं.

UPA सरकार का हाल

रिपोर्ट के अनुसार, UPA सरकार के पिछले सात वर्षों में यह संख्या 15,322 थी. 2013 में 2,090 बेरोजगारों ने आत्महत्या की थी, 2012 में यह संख्या 1,731 थआ.  2011 में 2,333, तो वहीं  2010 में 2,222.  2009 में सबसे अधिक 2,472, 2008 में 2,080 और 2007 में 2,394 बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या की थी. UPA के कार्यकाल में प्रति वर्ष ऐसी औसतन 2,188 मौतें हुई थीं.

मानसिक स्वास्थ्य पर सरकार की नीति

मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि सरकार मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करके और रोजगार के अवसर पैदा करके इस मुद्दे का समाधान करना चाह रही है.

राय ने कहा, “मानसिक विकारों के बोझ को दूर करने के लिए, सरकार राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) को लागू कर रही है और देश के 692 जिलों में NMHP के तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) के कार्यान्वयन का समर्थन कर रही है.

युवाओं को धोखा दे रही सरकार

देश में बेरोजगारी का मुद्दा लगातार गहराता जा रहा है. संसद से सड़क तक हर ओर बेरोजगारी का मुद्दा सरकार की गले की फांस बनता दिख रहा है. कांग्रेस सरकार पर युवाओं को धोखा देने का आरोप लगा रही है.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेर रहे हैं.  शशि थरूर ने लोकसभा में अपने एक भाषण में बताया था कि भारत की बेरोजगारी दर बांग्लादेश और वियतनाम की तुलना में तेजी से बढ़ी है.

क्या कहते है CMIE के आंकड़े

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी’ (CMIE) ने पिछले साल दिसंबर में बेरोजगारी को लेकर आंकड़े पेश किए थे. इन आंकड़ों के मुताबिक भारत की बेरोज़गारी दर दिसंबर के महीने में 7.9% पर पहुँच गई थी.

अगस्त में 35.7 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ हरियाणा सबसे ऊपर था. इसके बाद राजस्थान में 26.7 प्रतिशत, झारखंड में 16 प्रतिशत, बिहार और जम्मू-कश्मीर में 13.6 प्रतिशत बेरोजगारी दर अगस्त में दर्ज की गई थी. यह भविष्य में आर्थिक सुधार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.

Last Updated on February 10, 2022 9:39 am

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