सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने सेक्स वर्कर्स (sex workers) के हक में एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सेक्स वर्क को बतौर प्रोफेशन स्वीकार किया है. कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को निर्देश दिया है कि उसे ना तो इस पेशे में शामिल लोगों के जीवन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और ना ही उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट कोरोना के दौरान सेक्स वर्कर्स को आई परेशानियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जिसमें कोर्ट ने सेक्स वर्कर्स के पुनर्वास को लेकर बनाए गए पैनल की सिफारिश पर कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
तीन जजों की बेंच ने की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और एएस बोपन्ना तीन जजों की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रहे थे. इन जजों ने सेक्स वर्कर्स के अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में पैशला सुनाते हुए कहा कि सेक्स वर्कर्स भी कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं. कोर्ट ने यह आदेश आर्टिकल 142 के तहत विशेष अधिकारों के तहत दिया है.
कोर्ट ने फैसले में कहा कि इस पेशे में शामिल लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है. संविधान हर व्यक्ति को अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देता है. सेक्स वर्कर्स को समान कानूनी सुरक्षा का अधिकार है, सभी मामलों में उम्र और आपसी सहमति के आधार पर क्रिमिनल लॉ समान रूप से लागू होना चाहिए.
साथ ही कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर्स वयस्क हैं और सहमति से यौन संबंध बना रहे हैं तो पुलिस को उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए. उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.
सेक्स वर्कर्स को परेशान ना करें पुलिस
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जब कभी पुलिस की छापेमारी में कोई सेक्स वर्कर्स पाया जाता है तो पुलिस उनको गिरफ्तार या परेशान न करे, क्योंकि इच्छा से सेक्स वर्क में शामिल होना अवैध नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है.
कोर्ट ने कहा, एक महिला सेक्स वर्कर है, सिर्फ इसलिए उसके बच्चे को उसकी मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए. अगर नाबालिग को वेश्यालय में रहते हुए पाया जाता है, या सेक्स वर्कर के साथ रहते हुए पाया जाता है तो ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि बच्चा तस्करी करके लाया गया है.
सेक्स वर्कर को हर संभव मदद पहुचाएं
सेक्स वर्कर अगर यौन हिंसा की शिकार है तो पुलिस को उसकी हर संभव मदद करनी चाहिए साथ ही पीड़िता को मेडिकल और लीगल सुविधा भी उपलब्ध करवानी चाहिए. बहुत बार देखा गया है कि पुलिस का रवैया सेक्स वर्कर के साथ अच्छा नहीं होता. पुलिस को उनके साथ भेदभाव पूर्ण रवैया नहीं रखना चाहिए.
साथ ही कोर्ट ने मीडिया को भी इस मामले में हिदायद दी है. कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से उचित दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की है. ताकि गिरफ्तारी, छापे या किसी अन्य अभियान के दौरान सेक्स वर्कर्स की पहचान उजागर न हो.
Last Updated on May 26, 2022 2:23 pm