केंद्र सरकार (Modi Government) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है. केंद्र सरकार की फैक्ट चेक यूनिट (PIB Fact Check) की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. एक दिन पहले ही सरकार ने PIB Fact Check को केंद्र सरकार की ख़बरों के सच झूठ का फ़ैसला करने का अधिकार दिया था. जिसके मुताबिक प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB), केंद्र सरकार के बारे में किसी भी जानकारी को अगर फेक न्यूज़ कह देती तो उस ख़बर को सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से हटाने के लिए सभी संस्थानों को बाध्य होना पड़ता.
यानी कि सरकार के पास अपने बारे में क्या सही और क्या ग़लत, ख़ुद ही तय करने का अधिकार होता.
Breaking News : सुप्रीम कोर्ट ने PIB Fact Check के अधिकारों पर लगाई रोक. केंद्र सरकार की ख़बरों के सच झूठ का फ़ैसला करने का PIB को मिला था अधिकार.#PIBFactcheck #SupremeCourt #SupremeCourtofIndia #FactCheck #fakenews pic.twitter.com/wHxdqEK7Vt
— News Muni (@newswalemuni) March 21, 2024
स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, इस फैसले के ख़िलाफ़ बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचे. याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार के नए नियमों को मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए, केंद्र को फैक्ट चेक यूनिट को अधिसूचित करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की थी. लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 मार्च को मामले की सुनवाई करते हुए फैक्ट चेक यूनिट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद इन दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में 3 दलीलें रखीं, जिसके तहत उनकी मांग थी-
1. सबके के लिए एक स्वतंत्र फैक्ट चेक यूनिट हो.
2. क्या ग़लत है और क्या नहीं, फैक्ट चेक यूनिट केंद्र के फैसले पर निर्भर होकर यह तय नहीं कर सकता.
3. चुनाव को देखते हुए फैक्ट चेक यूनिट, केंद्र के लिए एक हथियार के तौर पर काम कर सकता है. सरकार ख़ुद तय करेगी कि वे मतदाताओं तक कौन सी जानकारी दे और किसे रोक ले.
ये भी पढ़ें- Electoral Bond: कॉर्पोरेट-राजनीतिक हितों की फूहड़ जुगलबंदी की कहानी!
यानी कुल मिलाकर केंद्र सरकार का यह फ़ैसला मनमाना बताया गया और आशंका ज़ाहिर की कई की केंद्र सरकार PIB का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए कर सकती है.
CJI चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 11 मार्च के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज करने का आदेश दिया गया था.
ये भी पढ़ें- Yoga Guru Ramdev ने Patanjali आर्युवेद के नाम पर देश को बेवकूफ़ बनाया, SC नाराज़ क्यों?
केंद्र की अधिसूचना क्या थी?
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (Meity) ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत 20 मार्च को फैक्ट चेक यूनिट को अधिसूचित किया था. जिसके तहत अगर फैक्ट चेक यूनिट किसी भी पोस्ट को फर्जी या गलत पाता है या उसमें सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं, तो वह इसे सोशल मीडिया मध्यस्थों के पास भेजता और ऑनलाइन मध्यस्थों को कंटेंट हटाने को कहता.
VIDEO- #loksabhaelection2024 से ठीक पहले Congress का बैंक अकाउंट फ्रीज?
बता दें, अप्रैल- 2023 में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन किए गया था.
Last Updated on March 21, 2024 12:04 pm