राष्ट्रीय हरित अधिकरण NGT ने राजस्थान में वेदांता समूह की फर्म हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (hindustan zinc) (एचजेडएल) पर जुर्माना लगाया है. राजस्थान (Rajasthan) के भीलवाड़ा जिले में पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के लिए वेदांता समूह की इस फर्म पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
NGT के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पर्यावरण कानून के उल्लंघन को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. खासतौर से तब जबकि उल्लंघनकर्ता मौजूदा परियोजना प्रस्तावक (PP) हैं और पीड़ित गरीब ग्रामीण हैं.
25 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने को कहा
साथ ही NGT ने बताया कि पर्यावरण को हुए नुकसान से हुरदा ब्लॉक में छह से अधिक पंचायतों के लोग प्रभावित हुए हैं. हिंदुस्तान जिंक को तीन महीने के भीतर जुर्माने की 25 करोड़ रुपये की राशि भरने को कहा गया है. ये राशि वे जिला मजिस्ट्रेट भीलवाड़ा के पास जमा करनी होगी.
NGT ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट, भीलवाड़ा की एक संयुक्त समिति किसी अन्य विशेषज्ञ की सहायता से क्षेत्र में निवासियों और मवेशियों के लिए स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम के अलावा मिट्टी और भूजल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक योजना तैयार कर सकती है.
वेदांता समूह का बयान
इसपर प्रतिक्रिया देते हुए वेदांता समूह ने एक बयान जारी किया है. अपने बयान में कंपनि ने कहा कि एचजेडएल कानून का पालन करने वाली कॉरपोरेट संस्था है और वह हमेशा कानून को बनाए रखेगी. ‘NGT द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की सात सदस्यीय समिति ने 90 लाख रुपये की लागत से पेड़ लगाने की सिफारिश की, हम जिसका पालन करने के इच्छुक थे. स्थानीय समुदाय हमेशा हमारी सभी सामाजिक पहलों का एक अभिन्न अंग रहे हैं और आगे भी रहेंगे।’’
कंपनी ने कहा कि वह अपने संचालन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले समुदायों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए स्थानीय प्रशासन और हितधारकों के साथ 1,000 करोड़ रुपये की CSR योजना तैयार कर रही है, जिसे अगले चार से पांच वर्षों में लागू किया जाएगा.
HZL ने कहा, ‘चूंकि जमीनी स्तर पर हमारे सामाजिक कल्याण के काम जारी हैं, इसलिए हम एनजीटी द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों के खिलाफ अपील दायर करेंगे.’
कई परियोजनाएं विवादों में रही हैं
वेदांता समूह का विवादो से पहले से नाता रहा है. इससे पहले ओडिशा में वेदांता एल्युमिनियम संयंत्र में प्रदर्शन हुए थे जिसमें कई लोग घायल हो गए थे. ये प्रदर्शन जमीन के अधिग्रहण को लेकर हुए थे.
साल 2018 में भी इसी तरह की घटना तमिलनाडु के तूतीकोरीन स्थित वेदांता कॉपर संयंत्र में घटी थी. इसके अलावा नियामगिरी, गोवा और छत्तीसगढ़ समेत देश के विभिन्न हिस्सों में भी समूह की कई परियोजनाएं विवादों में रही हैं.
Last Updated on February 7, 2022 11:21 am