Militancy in Kashmir: धारा 370 हटाना बेअसर, हाइब्रिड मिलिटेंसी लेकर आया ISI?

ISI ने बड़ी सधी हुई रणनीति के साथ दो साल के भीतर पूरे जम्मू-कश्मीर में मिलिटेंसी को एक्टिव कर लिया. इस बार विदेशी मिलिटेंट मिनिमम लोकल कॉन्टेक्ट की रणनीति पर चल रहा है.

militancy in Kashmir
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Militancy in Kashmir: धारा 370 हटने के बाद तमाम कयासों के उलट कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ. मुझे याद है कि उस समय कई कश्मीरी पत्रकार साथी फोन पर बताते थे कि जनाब हालात मजीद ख़राब होने वाले हैं. ये तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लेकिन इस समय हिंसा से लहूलुहान कश्मीर को जिस हीलिंग टच की जरुरत थी, वो अफसरशाही की भेंट चढ़ गया.

उस समय पावर कॉरिडोर में यह नैरेटिव चला कि कश्मीरी ब्यूरोक्रेसी ‘चोर’ है और वो पैसे बनाने के लिए हालातों को तब्दील नहीं करना चाहती. इसके नतीजे में कश्मीर में दिल्ली ने नए ब्यूरोक्रेट की खेप भेजी जोकि ना तो कश्मीर की समझ रखती थी और ना ही उसके पास कंफ्लिक्ट जोन में काम करने की समझ थी.

इस तरह हमने कश्मीर को हीलिंग टच देने का मौका गंवा दिया. फ़ौज के एक अधिकारी ने बताया, “370 हटाना अच्छा फैसला था, लेकिन सिर्फ 370 हटाने से हलात नहीं बदल जाएंगे. उसके आगे जो चीजें की जानी चाहिए थी, वो हुई नहीं. ऊपर से हमने 370 का बाजा जरुरत से ज्यादा बजा दिया. इसका उलटा असर दिखना शुरू हो गया.”

2019 के बाद कश्मीर में एक और बड़ा बदलाव हुआ सिक्यूरिटी इन्फ्रा का मजबूत होना. ख़ास तौर पर टेक्नीकल इंटेलिजेंस पर काफी पैसा खर्च हुआ. इस बीच कोविड का दौर भी रहा और घुसपैठ लगभग बंद सी हो गई. 2021-22 में सिक्यूरिटी फोर्सेज ने आतंकवादियों के कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट करना शुरू कर दिया. अब आतंकवादी की पिन-पॉइंट लोकेशन मिलने लगी. 2021-22 के दौरान चार सौ से ज्यादा मिलिटेंट मारे गए.

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टेक्नीकल इंटेलिजेंस से मिल रही कामयाबी के चलते ISI ने घाटी में अपनी रणनीति बदली. हाइब्रिड मिलिटेंसी. ओवर ग्राउंड वर्कर को पिस्टल जैसे हथियार पकड़ाकर टार्गेटेड किलिंग का दौर शुरू हुआ. इसे काबू करने के लिए ओजीडब्लू नेटवर्क को तोड़ना जरुरी था. बड़े पैमाने पर ओजीडब्लू पकड़े गए. लेकिन इस पूरी कवायद ने जल्द ही बदसूरत मोड़ ले लिया.

ओजीडब्लू अक्सर आतंकी संगठनों में झांकने की खिड़की हुआ करते थे. कई ओजीडब्लू सुरक्षा बलों के एसेट के लिए भी काम करते थे. यह ह्युमन इंटेलिजेंस का सालों से तैयार किया हुआ नेटवर्क था.

ख़ुफ़िया एजेंसी में काम करने वाले एक अधिकारी ने बताया, “वो दौर स्कोर सैटल करने का दौर था. आईबी चाहती थी कि इंटेलिजेंस गैदरिंग पर उसका वर्चस्व रहे. ऐसे ही अरमान कश्मीर पुलिस और मिलेट्री इंटेलिजेंस के भी थे. नतीजा यह हुआ कि ओजीडब्लू अरेस्ट ड्राइव में चुन-चुनकर ऐसे ओजीडब्लू की गिरफ्तारी हुई जो दूसरी एजेंसी के सोर्स के तौर पर काम करते थे.”

कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने इस खेल की तरफ इशारा करते हुए बताया, “मेरा एक आदमी था. उसे फ़ौज ने उठा लिया. काफी दिन तक इंट्रोगेशन में रखा. हम मंगाते रहे. नहीं मिला. फिर श्रीनगर में गिरफ्तारी दिखवा दी. उसको बचाने के लिए हमें उस पर लोकल थाने में UAPA का मुक़दमा लगाना पड़ा. ताकि कस्टडी हमारे पास आ जाए.”

कश्मीर में ख़ुफ़िया एजेंसी स्कोर सैटल करने में लगी हुई थीं. ठीक इसी समय जम्मू डिविजन में खेल शुरू हो गया था. 11 अक्तूबर 2021 को सुरनकोट और भट्टी दूरियां में फ़ौज पर हमला हुआ. तीन अलग-अलग जगह हुए एम्बुश में 9 जवान मारे गए. इस हमले की जिम्मेदारी एक नए संगठन पीपल्स एंटी फासिस्ट फ़ोर्स ने ली. इसके बाद यह इलाका लगभग एक साल तक किसी बड़ी वारदात का गवाह नहीं बना.

2022 के दिसम्बर से साउथ ऑफ़ पीर पंजाल या जम्मू डिविजन में फिर से आतंकी हमले शुरू हुए. इन आतंकवादियों के हाव-भाव बदले हुए थे. इनके पास अमेरिकी एम-4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल थीं. नाईट विजन और थर्मल डिवाइस थे. इनके फायर सटीक थे. इतने सटीक कि एक एनकाउंटर में चार आतंकियों ने महज छह फायर करके पूरी रात सुरक्षा बलों को आगे नहीं बढ़ने दिया और सुबह कॉर्डन तोड़कर भागने में कामयाब रहे. इनकी ट्रेनिंग आला दर्जे की थी.

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एनकाउंटर में मारे गए एक मिलिटेंट ने पाकिस्तानी एलीट फॉर्स SSG का टी-शर्ट पहन रखा था. हल्ला उड़ गया कि जम्मू में SSG वाले घुस आए हैं. लंदन में बैठे एक पाकिस्तानी पत्रकार भाई ने तो दावा कर दिया कि दो बटालियन घुस गई हैं. SSG के सेवानिवृत कमांडो जैश और लश्कर के कैंप में ट्रेनिंग देने जाते हैं. पाकिस्तानी सेना एक एक्स-सर्विसमेन भी कश्मीर में घुसपैठ करते रहे हैं. यह ओपन सीक्रेट है. लेकिन SSG का जम्मू रीजन में घुसना तो बहुत ही बेतुकी बात थी.

हां इस बीच एक और बात चौंका देने वाली थी. आतंकवादियों की जम्मू-हिमाचल बॉर्डर पर प्रजेंस देखी गई. हिमाचल के चंबा डिस्ट्रिक्ट के जंगल में उनकी उपस्थिति की इंटेलिजेंस मिली. पाकिस्तान में बैठे हैंडलर के कम्युनिकेशन इंटरसेप्ट से पता लगा कि हिमाचल में मौजूद इजराइली सैलानियों पर हमले की प्लानिंग चल रही है.
इंटरसेप्ट करने वाली एजेंसी ने दावा किया कि हिमाचल में कुछ इजराइली सैलानियों के ठिकानों की रेकी भी हुई. लेकिन लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसी ने दावे को सिरे से ख़ारिज कर दिया. तो फिलहाल इस मुद्दे पर दावे के साथ कुछ कहना ठीक नहीं. अब लौटते हैं जम्मू की तरफ.

दिसम्बर 2022 से अक्तूबर 2023 तक जम्मू में सीरिज में एम्बुश और एनकाउंटर हुए. इस बीच कश्मीर में कोई बड़ी वारदात नहीं हो रही थी. तब यह कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में थियेटर शिफ्ट हो रहा है. चीन बॉर्डर पर दबाव के चलते इंडियन आर्मी की रोमियो फोर्स की नफरी चीन बॉर्डर पर भेज दी गई. पाकिस्तान जम्मू को फिर से एक्टिव करके चीन से दबाव हटाना चाह रहा है.

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ठीक इसी समय कश्मीर में बहुत ख़ामोशी से घुसपैठ जारी थी. चुनाव के दौरान कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों की ताज्व्वो चुनाव की तरफ थी. इस बीच दुकानों के शटर तोड़कर राशन का सामन लूटने, रिमोट एरिया की दुकानों पर मैगी नूडल्स की आमद ऐसे संकेत थे जो कि भारी घुसपैठ की तरफ इशारा कर रहे थे.

सोपोर-बारामुला में फिलहाल आतंकवादियों की सबसे ज्यादा हलचल देखी गई है. ख़ुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक यहां आतंकवादियों की संख्या तीस से ऊपर हो सकती है. इसमें बारामुला-पट्टन-किरिरी की पट्टी में 10 और सोपोर में विदेशी आतंकवादियों की तादाद 20 से ऊपर है. इसी तरह से बांदीपुरा-हाजिन पट्टी में भी आतंकवादियों की तादाद 18 तक बताई जा रही है.

सोपियान-कुलगाम पट्टी में 18 से 20, पुलवामा में 10 से 15, कुपवाड़ा और अनंतनाग में 10 से ज्यादा विदेशी आतंकवादियों के होने की खबर मिल रही है. इसी तरह से जम्मू डिविजन में सक्रिय विदेशी आतंकवादियों की संख्या 45 से 50 तक बताई जा रही है. बहुत कंजर्वेटिव एनालिसिस में फिलहाल जम्मू-कश्मीर में 150 से ज्यादा विदेशी आतंकवादी मौजूद हैं.

ISI ने बड़ी सधी हुई रणनीति के साथ दो साल के भीतर पूरे जम्मू-कश्मीर में मिलिटेंसी को एक्टिव कर लिया. इस बार विदेशी मिलिटेंट मिनिमम लोकल कॉन्टेक्ट की रणनीति पर चल रहा है. वो कम्युनिकेशन के अल्ट्रा फ्रीक्वेंसी डिवाइस का इस्तेमाल कर रहा है. रास्ता खोजने के लिए अल्पाइन एप का इस्तेमाल कर रहा है.

जम्मू और कश्मीर दोनों इलाकों में एम्मो की सप्लाई ड्रोन के जरिए हो रही है. लोकल लोगों से उसकी निर्भरता ना के बराबर है. ऊपर से हमारा ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क ओजीडब्लू अरेस्ट ड्राइव के चलते तहस-नहस है. इसके चलते एक्शनेबल इंटेलिजेंस जुटाने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

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जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से फिसल रहे हैं. अमन वापसी की उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा.

पत्रकार/रिपोर्टर vinay sultan के एक्स पेज (@vinay_sultan) से.

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है.

Last Updated on December 2, 2024 6:02 pm

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