पिछले कुछ सालों में भारत का उसके पड़ोसी देश चीन (China) के साथ संबंधों में काफी खटास आई है. दोनों देशों के बीच सीमाओं को लेकर जारी जमीनी विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. इस मसले को लेकर दोनों देश की सेनाओं, नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई है. लेकिन निष्कर्ष अभी तक नहीं निकल सका है.
सशस्त्र टकराव बढ़ने का खतरा
दोनों देश के संबंधों को लेकर अब ‘यूनाइटेड स्टेट्स इंटेलिजेंस कम्युनिटी’ (United States Intelligence Community) ने रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-चीन संबंध आगे भी ‘तनावपूर्ण’ रहने की उम्मीद हैं. साथ ही दोनों देशों के बीच सशस्त्र टकराव बढ़ने का खतरा भी है.
अमेरिकन इंटेलीजेंस ने यूएस कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष प्रस्तुत अपने वार्षिक खतरे के आकलन में ये बात कही. साथ ही इंटेलीजेंस ने कहा कि दोनों देशों के विवादित सीमा पर सैन्य मौजूदगी बढ़ाने से सेनाओं के बीच टकराव हो सकता है. उसने इस संबंध में अमेरिका से हस्तक्षेप करने की मांग की है.
रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले गतिरोध से पता चलता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निरंतर टकराव में तेजी आने की आशंका है. भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसी पर शांति और शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
पहले भी हो चुकी है झड़पें
बता दें कि साल 2020 में भारत औऱ चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के नॉर्थ बैंक में झड़प हुई थी. इसमें दोनों ही पक्षों के दर्जनों सैनिक घायल हो गए थे. इसके बाद 15 जून को फिर एक बार दोनों सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई. इसमें दोनों तरफ के कई सैनिकों की मौत हुई थी.
तभी से दोनों देशों ने अपनी अपनी सीमाओं पर हजारों सैनिकों और भारी हथियारों को एलएसी पर तैनात किया हुआ है. दोनों देशों के बीच संबंधों में मधुरता लाने के लिए कई दौर की वार्ता भी हुई है जिसका अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है.
‘भारत-पाकिस्तान विवाद चिंता का विषय’
वहीं भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों पर भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद भी चिंता का विषय बना है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘पाकिस्तान का भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों का सहयोग करने का एक लंबा इतिहास रहा है.’
Last Updated on May 11, 2022 11:41 am