सतपाल महाराज उत्तराखंड सरकार में पर्यटन मंत्री हैं. इनके बेटे सुयश रावत ने टिहरी झील में क्रूज बोट चलाने के लिए टेंडर डाला है. कुल 6 लोगों के टेंडर आए हैं. यानी पिता जी विभाग के हेड और टेंडर डालने वाला बेटा, तो परिणाम क्या होगा, बताएं. सतपाल महाराज को उनके पिता जी ने बचपन में ही भगवान घोषित कर दिया था. संत आदमी वे हैं ही.
यूं संतों के बारे में कवि कुंभन दास लिख गए हैं- संतन को कहां सीकरी (राज दरबार) सो काम. आजकल तो सारे संतन कहे जाने वालों को सीकरी से ही काम है, सबको संसद-विधानसभा जाना है, मंत्री- मुख्यमंत्री बनना है .
इसके लिए साधुओं का जो मूल स्वभाव बताया गया है कि ‘साधू ऐसा चाहिए जैसे सूप सुभाय, सार-सार सो गही रहयो, थोथा देय उड़ाय’, उसे दरकिनार कर वो थोथा ही पकड़ रहे हैं, थोथा ही फैला रहे हैं.
लेकिन “सीकरी सो ही काम ” वाले संतन के सतपाल महाराज पायनियर कहे जा सकते हैं. नब्बे के दशक में एक बार को छोड़ कर वे लगातार चुनाव हारते रहे, लेकिन उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें तो “सीकरी सो ही काम” है . और अंततः “सीकरी” वे पहुंचे भी . पहले कांग्रेस और अब भाजपा से पहुंचे हुए हैं. पत्नी भी उनकी “सीकरी स्वाद” ले चुकी हैं.
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“सीकरी स्वाद” और भक्तगणों को मोह-माया से विरत होने का उपदेश देने के बीच उनके पुत्र सुयश रावत, टिहरी बांध के जलाशय में क्रूज़ बोट का संचालन करने का टेंडर भरे हुए हैं . सुयश रावत जी क्रूज़ बोट संचालन का ठेका पिता जी के विभाग यानि पर्यटन विभाग के अंतर्गत ही चाहते हैं .
पिता जी को जब संत होते हुए “सीकरी सो काम” है तो बेटे की क्रूज़ संचालन की आकांक्षा में कहां खोट है, कहां रोक है. और वे कौन सा अकेले हैं. प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे उपनल के जरिये JE बने तो गामा की बेटी PRD के जरिये अकाउंटेंट . विधानसभा में अपनों की बैकडोर भर्ती में तो कुंजवाल-अग्रवाल सब साथ थे ही .
सुयश भी अपने और पिता के खाते में यह “यश” दर्ज करवाना चाहते हैं तो इसमें वे कौन सा नया कुछ कर रहे हैं. और देखिये कितने नियम-कायदों वाले व्यक्ति हैं कि डीएम के सामने ठेका हासिल करने के लिए प्रेजेंटेशन देंगे. वरना तो बचपन में भगवान घोषित और वर्तमान में सत्ताधारी भगवान, जिनके पिता हों, उनके घर तो डीएम को खुद ही जाना चाहिए था कि टेंडर नियम कायदों को मारिए टक्कर, ये लीजिये ये क्रूज़ का ठेका आपका.
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या यूं भी हो सकता था कि डीएम हर महीने जा कर सीधे क्रूज़ की आय का पैसा उनके चरणों में ऐसे रख जाते, जैसे भक्तगण चढ़ावा चरणों में रख आते हैं .
तुम तुच्छ मनुष्य क्या समझते हो कि जिनको बचपन में भगवान घोषित कर दिया हो, जिनके दर्जनों आश्रम हों, लाखों रुपया चढ़ावा आता हो, उनके बेटे को क्रूज़ बोट का या किसी और का टेंडर भरने या ठेका करने की जरूरत है, नहीं. हे मूरख खल कामी मनुष्य, पर्यटन मंत्री पिता के विभाग में पुत्र के टेंडर भरने में कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट यानि हितों का टकराव मत समझ.
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बचपन में भगवान घोषित होने वालों की लीला समझ इसे. और फल की इच्छा तो तुझे रखनी ही नहीं है तुच्छ मनुष्य, फल तो प्रभु पुत्र ही खाएगा और ज्यादा हुआ तो टेंडर सूची में जो दूसरा भाजपाई होगा, वो ये फल पाएगा.
CPI (ML) नेता Indresh Maikhuri के X हैंडल (@indreshmaikhuri) से.
Last Updated on August 30, 2024 1:00 am