lex fridman के पॉडकास्ट में, जो 16 मार्च 2025 को जारी हुआ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने डोकलाम विवाद और भारत-चीन संबंधों पर स्पष्ट और संतुलित विचार व्यक्त किए. हालांकि उन्होंने डोकलाम (2017 का भारत-चीन सीमा विवाद) का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने भारत-चीन संबंधों के व्यापक संदर्भ में अपनी बात रखी, जिसमें सीमा विवादों और डोकलाम जैसे मुद्दों का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र शामिल था.
1. संवाद पर जोर (Dialogue over Discord):
PM Modi ने कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं क्योंकि दोनों पड़ोसी देश हैं. उनके शब्दों में, “दो पड़ोसी देशों के बीच कभी-कभी असहमति होना स्वाभाविक है, जैसे परिवार में भी सब कुछ हमेशा सही नहीं रहता. लेकिन हमारा प्रयास यह है कि ये मतभेद विवाद में न बदलें.”
उन्होंने संवाद को प्राथमिकता देते हुए कहा, “विवाद के बजाय हम संवाद पर जोर देते हैं, क्योंकि केवल संवाद के माध्यम से ही हम एक स्थिर और सहयोगी रिश्ता बना सकते हैं जो दोनों देशों के हित में हो.”
2. 2020 के बाद संबंधों में सुधार:
मोदी ने 2020 के गलवान घाटी संघर्ष का जिक्र करते हुए स्वीकार किया कि सीमा पर घटनाओं ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाया था. उन्होंने कहा, “2020 में सीमा पर हुई घटनाओं ने हमारे बीच तनाव पैदा किया था. लेकिन हाल ही में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मेरी मुलाकात के बाद सीमा पर सामान्य स्थिति बहाल हुई है.”
उन्होंने आगे कहा, “हम अब 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करने की दिशा में काम कर रहे हैं. धीरे-धीरे विश्वास, उत्साह और ऊर्जा वापस आएगी, हालांकि इसमें समय लगेगा क्योंकि पांच साल का अंतराल रहा है.”
भारत और चीन की सीमा पर नॉर्मलसी आ रही है. अब 2020 से पहले की स्थिति में काम कर रहे हैं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी @narendramodi_in @narendramodi #India #China pic.twitter.com/OJCmeYR5lK
— News Muni (@newswalemuni) March 17, 2025
3. ऐतिहासिक संदर्भ और सहयोग:
PM Modi ने भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, “भारत और चीन का रिश्ता नया नहीं है. दोनों प्राचीन संस्कृतियां हैं. सदियों से हमने एक-दूसरे से सीखा है और वैश्विक भलाई में योगदान दिया है. पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि एक समय में भारत और चीन मिलकर विश्व GDP का 50% से अधिक हिस्सा थे.”
उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के बीच “वास्तविक संघर्ष का कोई इतिहास नहीं है,” और सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी जरूरी है.
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4. डोकलाम का अप्रत्यक्ष संदर्भ:
हालांकि डोकलाम का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया, लेकिन मोदी के बयान को 2017 के डोकलाम गतिरोध के संदर्भ में देखा जा सकता है, जो भारत, चीन और भूटान के त्रिकोणीय क्षेत्र में हुआ था. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से शांति और स्थिरता के पक्ष में रहा है और सीमा विवादों को बातचीत से सुलझाने की कोशिश करता है.
यह भी संकेत दिया कि हाल के वर्षों में दोनों देशों ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं, जैसे कि अक्टूबर 2024 में शी जिनपिंग के साथ उनकी मुलाकात के बाद LAC पर गश्त को लेकर समझौता.
5. भविष्य का दृष्टिकोण:
मोदी ने आशावाद व्यक्त करते हुए कहा, “हमारा रिश्ता भविष्य में भी उतना ही मजबूत रहना चाहिए और बढ़ना चाहिए. प्रतिस्पर्धा स्वाभाविक है, लेकिन इसे संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए.”
उन्होंने भारत और चीन के बीच स्वस्थ और प्राकृतिक प्रतिस्पर्धा की वकालत की, जो वैश्विक स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा दे.
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कुल मिलाकर पूरे पॉडकास्ट में PM Modi ने डोकलाम जैसे विशिष्ट घटनाओं पर सीधे टिप्पणी करने या चीन को लाल आंखें दिखाने जैसे बयान से किनारा किया. उन्होंने संवाद, सहयोग और शांति पर जोर दिया, साथ ही यह स्वीकार किया कि सीमा विवादों (जैसे डोकलाम और गलवान) ने अतीत में चुनौतियां पैदा कीं, लेकिन हालिया प्रयासों से स्थिति में सुधार हुआ है.
Last Updated on March 17, 2025 11:01 am