“सूअर की औलाद” वाले बयान से नाराज़ ईरान, मेजर Gaurav Arya को PM Modi भी करते हैं फॉलो

आप किसी मुल्क की पॉलिसी से सहमत ना भी हों तो उनके विदेश मंत्री को गाली देने लगेंगे? हैरानी ये है कि इस आदमी को ट्वीटर और यूट्यूब पर लाखों लोग फॉलो करते हैं जबकि आराम से तर्कपूर्ण बात कहनेवालों के हैंडल या यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करने में पब्लिक का अंगूठा घिस जाता है.

गौरव आर्या के "सूअर की औलाद" वाले बयान पर बवाल
गौरव आर्या के "सूअर की औलाद" वाले बयान पर बवाल

पूर्व सेना अधिकारी मेजर गौरव आर्या (Gaurav Arya) के एक बयान को लेकर भारत और ईरान के बीच राजनीतिक खलबली मच गई है. ईरानी दूतावास ने इस वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए लिखा है कि ईरानी संस्कृति में मेहमानों के प्रति सम्मान एक पुरानी परंपरा है. हम ईरानी अपने मेहमानों को “ईश्वर का प्रिय” मानते हैं. भारत में मेहमानों के लिए ऐसी सोच है?

दरअसल इस फ़ज़ीहत की शुरुआत गौरव आर्या (Gaurav Arya) के एक वीडियो से हुई जिसमें वह ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची को “सूअर की औलाद” कह रहा है. ख़ास बात यह है कि इस गौरव आर्या को पीएम मोदी भी फॉलो करते हैं.

एक निजी चैनल से जुड़े पत्रकार नितिन ठाकुर इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए अपनी फेसबुक वॉल पर लिखते हैं-

“मुझे पता नहीं ये साहब कौन हैं, बस कभी कभी यूट्यूब इनका चेहरा दिखाता है या टीवी चैनलों पर देखा है. अक्सर वहां इनके गले की नसें तनी होती हैं. फिर कल रात ट्वीटर पर एक ट्वीट दिखा. ईरान में हमारे भारतीय दूतावास के ऑफिशियल हेंडल पर इनका एक वीडियो टंका था. जिस पर लिखा था- ईरान स्थित भारतीय एंबेसी स्पष्ट करना चाहती है कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति प्राइवेट इंडियन सिटीज़न है. इसके वक्तव्य का भारत की आधिकारिक स्थिति से संबंध नहीं. भारत सरकार वीडियो में इस्तेमाल की गई भाषा को अपमानजनक मानती है.

वीडियो देखा तो पाया कि महाशय ने ईरानी विदेश मंत्री को “सुअर की औलाद” कहा और फिर मन नहीं भरा तो चौथी के बच्चे टाइप हरकत करते हुए स्क्रीन पर “PIG” लिख दिया.

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जब एक ईरानी हैंडल ने मामले का संज्ञान लिया तो नाज़ुक मौके की नज़ाकत समझने के बजाय मित्र राष्ट्र के मंत्री पर अपनी बकवास को डिफेंड करते हुए लिखा- मैं पाकिस्तानी नहीं जो मेरी सरकार बोलने पर मेरे खिलाफ एक्शन लेगी, खासकर जब मैं सच बोल रहा हूं. अगर ईरानी मंत्री को दिक्कत है तो जनरल आसिम मुनीर से बात करे.

इस दौरान ढेरों पाकिस्तानियों को संबंधित ईरानी हैंडल पर मौका मिल गया कि वो हिंदुस्तानियों के खिलाफ ईरानी यूज़र्स को भड़काएं. कमाल ये है कि कुछ भारतीय जो अपने हैंडल पर जियोपॉलिटिक्स के चैंपियन होने का दावा करते हैं वहां “भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की आज़ादी” का राग गा रहे थे.

ये शायद अनुच्छेद 19 (1) (A) के आगे अनुच्छेद 19(2) नहीं पढ़ते जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर “उचित प्रतिबंध” लगाने का प्रावधान है. ये प्रतिबंध लागू है यदि वह भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता, या मानहानि, अपराध के लिए उकसावे या अवमानना से संबंधित हो.

पिछली बार जब मैंने पता किया था तब ईरान भारत का मित्र था. 2024 में उपराष्ट्रपति धनखड़, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सर्बानंद सोनोवाल, एस जयशंकर का ईरान दौरा हुआ था. 7-8 मई को ईरानी विदेशमंत्री सैयद अब्बास अराघची भी दिल्ली आए. ये दौरा भारत-ईरान मित्रता संधि की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ था. ऐसे में ईरान के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध स्पष्ट हैं.

सवाल ये है कि जब भारत ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाने में जुटा हो और वैश्विक मंचों पर समर्थन चाहता हो तब हमारे बड़बोले यूट्यूबर जिनको ट्वीटर पर प्रधानमंत्री तक फॉलो करते हों, ऐसी हरकतें करके क्या भारत का पक्ष कमज़ोर नहीं कर रहे?

आप किसी मुल्क की पॉलिसी से सहमत ना भी हों तो उनके विदेश मंत्री को गाली देने लगेंगे? हैरानी ये है कि इस आदमी को ट्वीटर और यूट्यूब पर लाखों लोग फॉलो करते हैं जबकि आराम से तर्कपूर्ण बात कहनेवालों के हैंडल या यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करने में पब्लिक का अंगूठा घिस जाता है.

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अगर जियोपॉलिटिक्स बांचने के लिए नए भारत में ऐसे विद्वान पैदा हो रहे हैं तो तैयार रहिए हम कहीं ना कहीं रोज़ शर्मिन्दगी उठाएंगे. ये तो बस शुरूआत है.”

Last Updated on May 11, 2025 9:57 am

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