Mahatma Gandhi की हत्या से पहले नाथूराम ने कराई थी दो पॉलिसी, हवाई जहाज से होता था आना-जाना

गांधी के हत्यारे, गांधी से बेहद नाराज़ थे. इस नाराजगी को लेकर सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट में गोडसे ने लंबा चौड़ा भाषण भी दिया था. लेकिन ये अंग्रेजों से कतई नाराज़ नजर नहीं आते. अंग्रेजों की गुलामी के प्रति कोई आक्रोश इनमें नहीं दिखता.

महात्मा गांधी (वीडियो से ली गई तस्वीर)
महात्मा गांधी (वीडियो से ली गई तस्वीर)

Gandhi Jayanti 2024: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की पैदाइश को 155 साल हो गए हैं. ऐसे समय में लगता है कि एक चक्र पूरा हो कर, दुष्चक्र की ओर बढ़ गया है. गांधी के महात्मा घोषित होने से शुरू हुआ सिलसिला गांधी के हत्यारों (Who Killed Gandhi) के स्तुतिगान तक आ पहुंचा है. उन हत्यारों को वीर योद्धा ठहराने, उन्हें महिमामंडित करने और गांधी को लांछित करने का अभियान आजकल इस देश में खूब तेजी से पनप रहा है.

पर क्या गांधी के हत्यारे, वास्तव में वैसे ही वीर थे, जैसा कि उनके विचार के वाहक देश को समझाना चाहते हैं? क्या वे वास्तव में कोई मुक्तिदाता थे? गांधी के हत्यारों के असली चेहरे समझने में जो साहित्य मददगार है, उसमें जीडी खोसला की एक छोटी पुस्तिका भी है. इस पुस्तिका का नाम है – ‘The Murder of the Mahatma’ यानि महात्मा की हत्या.

जीडी खोसला पंजाब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे. वे उस तीन सदस्यीय खंडपीठ में बतौर न्यायाधीश मौजूद थे. जिस खंडपीठ ने सेशन कोर्ट द्वारा सजा हो जाने के पश्चात गांधी के हत्यारों की अपील सुनी थी. खोसला की उक्त पुस्तक, शिमला में गांधी के हत्यारों के अपील की सुनवाई और फांसी चढ़ने के साथ-साथ इस बात का भी विवरण देती है कि हत्यारों ने गांधी की हत्या का षड्यंत्र कैसे रचा और उसे कैसे अंजाम दिया.

गांधी के हत्यारों, खासतौर पर नाथूराम गोडसे (Nathuram) ने अदालत में यह साबित करने की भरसक कोशिश की कि इस हत्या के पीछे कोई षड्यंत्र नहीं था. सेशन कोर्ट से सजा हो जाने के पश्चात हाई कोर्ट में हत्या को नकारने के लिए नहीं, बल्कि षड्यंत्र की बात नकारने के लिए ही अपील की गयी.

लेकिन खोसला के सिलसिलेवार विवरण से स्पष्ट होता है कि गांधी की हत्या, निश्चित ही किसी एक व्यक्ति की कुंठा या उत्तेजना का परिणाम नहीं था. यह एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जिसको भरपूर आर्थिक मदद मिल रही थी. गांधी के हत्यारे बंबई (अब मुंबई) और दिल्ली में होटलों में रह रहे थे. वे न केवल ट्रेन से यात्रा कर रहे थे, बल्कि हवाई जहाज से भी दिल्ली-बंबई आ-जा रहे थे.

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आज से 70-75 साल पहले हवाई जहाज का सफर कोई मामूली खेल नहीं रहा होगा. बड़े रईसों के लिए यह मुमकिन था. और इधर हत्यारों का एक गिरोह था, जो गांधी की हत्या करने के लिए, बंबई से दिल्ली हवाई जहाज में आ-जा रहा था.

गांधी की हत्या करने के लिए निकलने से पहले 13-14 जनवरी 1948 को नाथूराम ने अपनी दो जीवन बीमा पॉलिसियों का लाभार्थी अपने सह अभियुक्त नारायण आप्टे और अपने भाई गोपाल गोडसे की पत्नियों को बनाया. और कितने की थी ये जीवन बीमा पॉलिसियां? एक 2000 रुपये की और दूसरी 3000 रुपये की यानि कुल 5000 रुपये. उस वक्त 5000 रुपये अच्छी-ख़ासी रकम थी.

नाथूराम (Nathuram) कोई धन्नासेठ नहीं था, ना ही वह किसी अमीर खानदान से था. बल्कि 6 भाई-बहनों वाले परिवार में वह दूसरे नंबर पर था और उसके पिता गांव के एक मामूली पोस्टमास्टर थे. उसने बिना मैट्रिक पास किए स्कूल छोड़ दिया था. उसने कपड़े का छोटा-मोटा कारोबार शुरू किया पर वह चल न सका. फिर वह टेलरिंग के कारोबार में शामिल हो गया पर वहां भी सफल नहीं हुआ.

उसके बाद वह RSS और हिन्दू महासभा (Hindu Mahasabha) में शामिल हो गया. इस तरह देखें तो कारोबारी रूप से नाथूराम एक विफल व्यक्ति था. लेकिन उसके पास हजारों रुपए की बीमा पॉलिसियां थीं और वह दूसरी बार में हवाई जहाज से गांधी को मारने बंबई से दिल्ली आया था. तो निश्चित ही कोई न कोई था, जो हत्या में शामिल लोगों का वित्तीय पोषण कर रहा था.

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गांधी के हत्यारे, गांधी से बेहद नाराज़ थे. इस नाराजगी को लेकर सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट में गोडसे ने लंबा चौड़ा भाषण भी दिया था. लेकिन ये अंग्रेजों से कतई नाराज़ नजर नहीं आते. अंग्रेजों की गुलामी के प्रति कोई आक्रोश इनमें नहीं दिखता.

इनकी पृष्ठभूमि से इस बात की पुष्टि होती है. नाथूराम गोडसे का छोटा भाई और गांधी हत्या का एक अभियुक्त गोपाल गोडसे सेना में सिविलियन स्टोर कीपर के तौर पर काम करता था. वह बकायदा छुट्टी की अर्जी दे कर गांधी की हत्या में शामिल होने आया था.

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नाथूराम के साथ फांसी चढ़ने वाला नारायण आप्टे 1943 में भारतीय वायु सेना यानि भारत में अंग्रेजों की वायु सेना में भर्ती हुआ था. 20 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या की कोशिश करने वाला मदनलाल पाहवा भी इसी दल का सदस्य था. वह स्कूल से भाग कर रॉयल इंडियन नेवी यानि अंग्रेजों की नौ सेना में भर्ती होने गया था. परीक्षा में फेल होने के बाद वह थलसेना में शामिल हुआ.

CPI (ML) नेता Indresh Maikhuri के X हैंडल (@indreshmaikhuri) से.

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Last Updated on October 2, 2024 4:41 pm

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