ग्रेटर नोएडा: Google Map भरोसे तेज़ रफ़्तार में जा रहे थे तीन सवार, 30 फीट गहरे नाले में गिरी कार

हमारे देश का सिस्टम ठीक से काम कर रहा होता तो हमारी स्पीड कम करने की ज़रूरत नहीं थी. लेकिन अभी सिस्टम की स्पीड ज़्यादा है. कामचोरी की. वह अपनी नौकरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. भ्रम में ना रहें कि सरकार या सिस्टम, कोई आपके लिए काम कर रहा है. इसलिए सावधानी हटी और दुर्घटना घटी.

गूगल मैप के सहारे चला रहे थे कार, नाले में गिरी (PC-Video Grab)
गूगल मैप के सहारे चला रहे थे कार, नाले में गिरी (PC-Video Grab)

Google Maps fault: हमारे देश में एक प्रथा है. व्यक्ति या वस्तुविशेष पर भरोसा करने की. यही वजह है कि हमारे यहां सुपरस्टार होते हैं. फिल्मों में और राजनीति में भी. हम यह मान लेते हैं कि एक ही व्यक्ति वैज्ञानिक, बिज़नेसमैन, विचारक, सुपरमैन और आदर्शवादी सब हो सकता है. एक ही समय में. फ़िल्मी सितारों को लेकर देश में जो स्टारडम का कल्चर है. या फिर जिस तरह से हम राजनीति में विचारों से ज़्यादा चेहरे पर ध्यान देते हैं. वह यह बताता है कि हम लॉजिकल मनुष्य से ज़्यादा बायलॉजिकल को तवज्जो देते हैं.

इन दिनों हमारे देश में गूगल मैप नया हीरो है. नया नेता है और नया भगवान भी. इसलिए अंजान सड़कों पर भी गूगल मैप लगाकर निश्चिंत हो जाते हैं. नतीजा सड़क दुर्घटना. उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में शनिवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया है. सड़क से अंजान थे लेकिन भरोसा था, गूगल मैप है तो मुमकिन है. तेज़ रफ़्तार में गूगल की गारंटी के बीच कार 30 फीट गहरे हवालिया नाले में उछलकर गिर गई. गनीमत रही कि कार जहां नाले में गिरी वहां पानी कम था. वरना परिणाम गंभीर हो सकते थे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताब़िक कार में 3 लोग सवार थे. युवकों ने बताया कि वह गूगल मैप का पालन करते हुए पाई-3 और पाई-2 की केंद्रीय विहार सोसायटी के सामने से कासना रोड चौक की ओर जा रहे थे. रफ़्तार तेज थी तो उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि सड़क आगे खत्म हो रही है. कार अचानक हवालिया नाले में गिर गई.

सेक्टर पी-3 आरडब्ल्यूए सचिव अमित भाटी के मुताबिक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को इस बारे में कई बार बताया जा चुका है. उनसे अनुरोध किया गया है कि सड़क समाप्त होने वाली जगह पर मजबूत बैरिकेडिंग, बड़े अक्षरों में चेतावनी बोर्ड लगाएं. लेकिन अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

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दिसंबर 2024 में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई थी. जब गुरुग्राम से बरेली जा रही एक टैक्सी आधे-अधूरे ब्रिज पर पहुंचकर रामगंगा नदी में गिर गई थी.

इन सब ख़बरों से सबक यही है कि गूगल हो या अधिकारी, हर कोई ड्यूटी बजा रहा है. ईमानदारी की उम्मीद बेवक़ूफ़ी है. इसलिए हमेशा भरोसा अपने विवेक पर करें और गाड़ी धीमें चलाएं. ख़ासकर नई या अंजान जगहों पर.

हमारे देश का सिस्टम ठीक से काम कर रहा होता तो हमारी स्पीड कम करने की ज़रूरत नहीं थी. लेकिन अभी सिस्टम की स्पीड ज़्यादा है. कामचोरी की. वह अपनी नौकरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. आपके नाम पर सिस्टम, सरकार और कंपनियां सभी पैसे बना रही है. लेकिन वह बेसिक रूल तक फॉलो नहीं कर रहे. इसलिए भ्रम में ना रहें कि सरकार या सिस्टम, कोई आपके लिए काम कर रहा है. सावधानी हटी और दुर्घटना घटी.

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सुपर हीरो से देश सुधार की उम्मीद रखने वाले लोगों को यह भी समझना चाहिए कि ‘देश नहीं बिकने दूंगा’ का गाना गाने वाले लोगों के पुराने वजीर कह रहे हैं कि अगर भारतीयों को 2047 तक 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो सप्ताह में 80-90 घंटे काम करना होगा. यानी जिनके भरोसे आप सोते रहे, वे अपना झोला उठाकर भागने की तैयारी में हैं. अब यात्रियों को अपने सामान की रक्षा स्वयं ही करनी होगी.

Last Updated on March 4, 2025 3:18 pm

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