प्रदूषण युक्त उद्योग को बढ़ावा देने वाला बेगूसराय बना कैंसर कैपिटल ऑफ बिहार!

बेगूसराय शहर के लाखों की आबादी के बीच पास करता नेशनल एवं स्टेट हाइवे से हर दिन ट्रक, बस एवं अन्य गाड़ियां डीजल एवं पेट्रोल धुआं का खुराक हमें मुफ्त में देकर जाते हैं.

कैंसर रोगियों में बिहार में प्रथम बेगूसराय (PC-AI)
कैंसर रोगियों में बिहार में प्रथम बेगूसराय (PC-AI)

Govt announces new cancer hospital in Begusarai: बधाई हो! बेगूसराय बना कैंसर कैपिटल ऑफ बिहार. कई दशक से बेहतर पर्यावरण के लिए मुखर रहा हूं. अपनी क्षमता अनुसार प्रयास भी करता आ रहा हूं. कुछ हद तक आनंदित भी हूं. लेकिन मेरे ज़िले ने कैंसर रोगियों में बिहार में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. जब चारों ओर मच्छर हो तो मच्छरदानी लगाकर कुछ राहत मिल जाती है. हमने वही किया है.

ऐसा क्यों हुआ? एशिया के सबसे बड़े मीठे पानी के काबर झील की हत्या का पाप बेगूसराय झेल रहा है. सैकड़ों एकड़ हरे भरे गाछी की हत्या बेगूसराय ने किया है. सैकड़ों पोखर को बेगूसराय लील गया है. सड़क एवं विकास के लिए लाखों पेड़ काटे गए लेकिन फिर से लगाए नहीं गए.

विकसित देश प्रदूषण मुक्त उद्योग को बढ़ावा दे रहे हैं. बेगूसराय ने प्रदूषण युक्त उद्योग को बढ़ाया है. एक दूसरे के अगल बगल स्थित एनटीपीसी का थर्मल पावर स्टेशन, HURL (हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड) का खाद कारखाना, बरौनी ऑयल रिफाइनरी, डेयरी एवं कई अन्य कार्बन उद्योग बढ़चढ़ कर, हमें भर मन और पेट, प्रदूषण का आनंद दे रहे हैं.

बेगूसराय शहर के लाखों की आबादी के बीच पास करता नेशनल एवं स्टेट हाइवे से हर दिन ट्रक, बस एवं अन्य गाड़ियां डीजल एवं पेट्रोल धुआं का खुराक हमें मुफ्त में देकर जाते हैं.

ये भी पढ़ें- अब रोज़ाना 15-16 घंटे करने होंगे काम? अखिलेश ने युवाओं के नाम लिखा यह पत्र

दुकान तो दुकान अब घर भी सड़कों के बगल में बनाया जा रहा है. कोई प्लानिंग बॉडी ही नहीं है. दुकान एवं मकान को दिन में कई बार कपड़े से साफ कर लेते हैं. लंग्स को कैसे साफ रखेंगे? कोई भी हराभरा क्षेत्र नहीं है. हजारों लीटर ज़हर हम फ़सल के माध्यम से पी जाते हैं. कैंसर हॉस्पिटल से कैंसर के मरीज नहीं घटेंगे.

उपाय भी है. शाम में सबसे ज्यादा प्रदूषण रहता है. कोविड काल के तर्ज पर सारे बाज़ार, सात बजे के बाद बंद रखने का आदेश हो. सिर्फ इमरजेंसी सेवा को छूट मिले. हजारों गाड़ी सड़क पर ट्रैफिक जाम में प्रदूषण में चार चांद लगाते हैं. हर घनी आबादी के आसपास ग्रीनबेल्ट का निर्माण हो. उद्योगों को यह जिम्मेदारी दी जाए. आसपास के किसान को पेड़ लगाने के एवज में किराया मिले.

ये भी पढ़ें- घर में नहीं दाने अम्मां चलीं भुनाने… 140 करोड़ वाले ‘विश्वगुरु’ भारत की हालत ऐसी तो नहीं?

शहर के गंदे पानी को साफ कर लगातार छिड़काव हो. सड़क गीला रखने की व्यवस्था हो. धूल बैठे रहेंगे. पता नहीं कुछ होगा या नहीं लेकिन आवाज बुलंद तो करूंगा ही.

भारद्वाज गुरुकुल (पन्हास, बेगूसराय, बिहार) के निदेशक शिव प्रकाश भारद्वाज के फ़ेसबुक पेज से….

बता दें अभी हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुआ है. जिसमें बताया गया है कि शहरी क्षेत्र के ग्राउंड वाटर में आयरन की मात्रा तय मानक से ज़्यादा है. वहीं गंगा क्षेत्र के इलाकों में आर्सेनिक और गंडक क्षेत्र के इलाकों में क्लोराइड की मात्रा अधिक है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ख़राब पानी की वजह से आसपास रह रहे लोगों को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ रहा है.

डीएम तुषार सिंगला की पानी गुणवत्ता रिपोर्ट में मालूम चला है कि हैंडपंप का सामान्य पानी यानी कि वह पानी जो फिल्टर नहीं किया गया है, उसे पीने से कैंसर का ख़तरा सबसे अधिक है.

तो क्या उद्योग बंद कर देना चाहिए? जवाब है नहीं. क्योंकि बिना उद्योग के रोजगार या विकास नहीं हो सकता. हां उसके प्रभाव को कम करने के उपाय हैं. जैसे गुजरात के जामनगर रिफाइनरी ने बड़ा ग्रीनबेल्ट विकसित किया है. यह नियमतः जरूरी है. फिर बरौनी रिफाइनरी ने क्यों नहीं किया है?

HURL,NTPC,IOCL,SUDHA DAIRY एवं अन्य पॉल्यूटिंग इंडस्ट्री से तत्काल यह करवाया जाए. फिर चाहे वह पेड़ लगाने की बात हो या फिर तालाब या पोखर बनाकर बरसात के पानी को स्टोर करने की बात हो. दोनों तरीके से भूजल प्रदूषण और वायु प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सकता है.

Last Updated on March 4, 2025 11:06 am

Related Posts