इंडस वाटर ट्रीटी (Indus Water Treaty) संस्पेंड हो गई है. इसमे कोई 30% पानी भारत को, और 70% पाकिस्तान को दिए जाने की व्यवस्था थी. यह बाई लैटरल ट्रीटी नही है. अंतरराष्ट्रीय पंचाट द्वारा गणना के तहत की गई ट्रीटी थी. यूं समझिए कि नदी के वाटरशेड इलाके का 30% हमारे देश में है, 70% अन्य देश में, इस आधार पर जल बंटवारा हुआ है.
वास्तविकता यह है कि भारत अपने हिस्से का 5-6% ही यूज कर पाता है. अपने ही हिस्से का पूरा यूज करने को जितने डैम बनाने होंगे, उनका इन्वेस्टमेंट ही अरबो करोड़ होगा. इसके पीछे कितने हरसूद डूबेंगे, कौन जाने.
और आप डैम में, पानी टंकी की तरह अनंत काल तक स्टोर कर नहीं सकते. कहीं और ले जाएंगे. मान लीजिए कि पाइपलाइन डालकर हिंदुस्तान के हर घर तक. फिर वहां सारे बाल्टी-मग्गे- सिंटेक्स फुल भरके रखेंगे. यह भी हो सकता है कि खेत सिंचाई करें, सब अपने बंगले के लॉन मे पानी दें. सब लोग 100-100 बाल्टी पानी से नहाएं. दिन में 20 बार कपड़ें धोएं, या घर घर स्विमिंग पूल बनायें.
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तिस भी पानी ज्यादा हो जायेगा. पाकिस्तान सुखाने का एक श्योरशॉट रास्ता यह है कि बाईपास नहर बनाकर दूसरी नदियों में डाल दें, जो उसे ले जाकर अरब सागर या बंगाल की खाड़ी मे गिरा दें.
लेकिन इसके लिए इन्वेस्टमेंट लगेगा. टैक्स बढ़ाना होगा. आय का कोई 80-90% देंगे तो 100-50 साल बाद शायद यह सम्भव हो.
तब तक इस निर्णय से पाकिस्तान की पेशानी पर बल नही पड़ने वाला. वैसे भी इंडस रिवर में और भी ट्रिब्यूटरी है, जो हिंदुकुश के पहाड़ो से उसमें पानी लाकर देती है. लेकिन हम तैयार हैं. शुरुआत तो हो गई है. दिए जलाओ, पटाखे फोड़ो, जश्न मनाओ. सच्चे देशभक्तों की पुरानी मांग थी.
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इंडस वाटर ट्रीटी संस्पेंड हो गई है.
Last Updated on April 24, 2025 6:56 pm