“अडानी संसाधन हड़प रहा है, भागवत राम मंदिर को आज़ादी बता रहे हैं; Bhagat Singh को याद करो”

भगत सिंह ने चेतावनी भी दी थी. कहा था कि आज़ादी का मतलब सिर्फ गोरे अंग्रेजों को हटाकर भूरे शासकों को बिठाना नहीं है. उनके लिए “इंकलाब जिंदाबाद” तब पूरा होता, जब “साम्राज्यवाद मुर्दाबाद” का नारा भी लगे.

भगत सिंह को फिर से पढ़ने की ज़रूरत क्यों?
भगत सिंह को फिर से पढ़ने की ज़रूरत क्यों?

94 साल हो गए हैं. भगत सिंह (Bhagat Singh), सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई थी. वो भी तय वक्त से एक दिन पहले. तब से लोग उन्हें शहीद-ए-आज़म कहते हैं. यानी सबसे बड़ा शहीद. “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा भी भगत सिंह ने मशहूर किया. ये उर्दू में है. आज भी भारत में हर रोज ये नारा गूंजता है. बदलाव और न्याय की आवाज बनकर.

अब 90 साल बाद देखो. उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री, जो भाजपा से हैं, उर्दू को गलत तरीके से “कठमुल्लापन” कहते हैं. इससे समझ आता है कि भगत सिंह आज भी इतने जरूरी क्यों लगते हैं.

भगत सिंह (Bhagat Singh) युवाओं की ताकत थे. साथ ही औपनिवेशिक भारत के सबसे समझदार और दूरदर्शी इंसान भी. वो सिर्फ अंग्रेजों से आज़ादी नहीं चाहते थे. उनका सपना था एक समाजवादी भारत का.

भारत का स्वतंत्रता आंदोलन बहुत बड़ा था. इसने लाखों लोगों को जगाया. अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी के लिए. साथ ही इसने आधुनिक भारत का सपना भी तैयार किया. भगत सिंह इसमें सबसे आगे थे.

उन्होंने भारत की सोच को नई दिशा दी. बाद में बाबासाहब अम्बेडकर ने संविधान बनाया. उसमें न्याय, स्वतंत्रता, बराबरी और भाईचारा सबके लिए रखा गया. ये भगत सिंह का ही असर था.

भगत सिंह (Bhagat Singh) ने चेतावनी भी दी थी. कहा था कि आज़ादी का मतलब सिर्फ गोरे अंग्रेजों को हटाकर भूरे शासकों को बिठाना नहीं है. उनके लिए “इंकलाब जिंदाबाद” तब पूरा होता, जब “साम्राज्यवाद मुर्दाबाद” का नारा भी लगे.

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वो सिर्फ ब्रिटिश राज से आज़ादी के लिए नहीं लड़ रहे थे. वो आने वाले वक्त के लिए भी बीज बो रहे थे. साम्राज्यवाद के खिलाफ. मार्क्स और एंगेल्स की तरह. कम्युनिस्ट जो आज के लिए लड़ते हैं, पर भविष्य को भी संभालते हैं.

आज देखो. ट्रंप प्रशासन भारत को नीचा दिखा रहा है. मोदी सरकार इसे सही ठहरा रही है. भगत सिंह (Bhagat Singh) को याद करो. नेतन्याहू फिलिस्तीनियों का कत्ल कर रहा है. ट्रंप हर आज़ादी की आवाज को कुचल रहा है. मोदी सरकार चुप है. बल्कि साथ भी दे रही है. भगत सिंह को याद करो.

अडानी भारत के संसाधनों को हड़प रहा है. उसकी गलत हरकतें दुनिया के सामने आ गई हैं. पर मोदी इसे “निजी मामला” कहकर टाल रहे हैं. भगत सिंह को याद करो. मोहन भागवत राम मंदिर को असली आज़ादी कहते हैं. तब भी भगत सिंह को याद करो.

100 साल पहले भगत सिंह (Bhagat Singh) ने जो साहस और साफ सोच दी, वो हमारी ताकत है. उसने 1947 में आज़ादी दिलाई. आज भी वो हमें साम्राज्यवाद, कॉरपोरेट लूट और नफरत के खिलाफ लड़ने की हिम्मत देती है.

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यह लेख आसान भाषा में लिखी गई है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके. असली पोस्ट भाकपा (माले) नेता Indresh Maikhuri के एक्स पेज (@indreshmaikhuri) पर देखी जा सकती है.

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता के लिए NewsMuni ज़िम्मेदार नहीं है.

Last Updated on March 23, 2025 4:00 pm

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