Bihar पर हमेशा आरोप रहा है कि उनके लाल देश-विदेश में जाकर नाम कमा रहे हैं. लेकिन कोई भी Bihar की स्थिति को नहीं बदल पाए. बिहार के DNA को लेकर राजनीतिक गलियारे में भी बयानबाजी चलती रही है. दिसंबर 2023 में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कथित तौर पर कहा था, “राज्य के पहले मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) में ‘बिहारी जीन’ है. जबकि मेरा DNA तेलंगाना का है. केसीआर का DNA बिहार का है. वो Bihar के रहने वाले हैं. केसीआर की जाति कुर्मी है. वो Bihar से विजयनगरम और वहां से तेलंगाना आए थे. तेलंगाना का DNA बिहार के DNA से बेहतर है.”
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Bihar की यात्रा पर आए थे. वहां उन्होंने अपने भाषण में बिना नीतीश का नाम लिए कहा था कि शायद DNA में गड़बड़ी है. पीएम मोदी ने जीतनराम मांझी का जिक्र किया और कहा था, मांझी पर जुल्म हुआ तो मैं बैचेन हो गया. उन्होंने आगे कहा, जब एक महादलित के बेटे का सब-कुछ छीन लिया गया तब मुझे लगा कि शायद DNA में ही गड़बड़ है.
Bihar की आलोचना करने वाले अक्सर यह कहते पाए जाते हैं कि वहां के लोग अपने ही लोगों की ही तरक्की को पसंद नहीं करते. वहां के लोग लड़ाकू होते हैं. इसलिए वहां के लोगों का पलायन सबसे अधिक है. तो क्या बिहार के लोगों को अपने ही समुदाय के तरक्की से चिढ़ है और आपस में ही लड़ते रहते हैं? क्या वजह है कि राजनेता बिहार की तुलना करते हुए उसे लड़ाकू, निम्न-स्तरीय या दमनकारी बताते हैं.
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लेखक और स्तंभकार क्रांति कुमार ने भी बिहार के दो राजनीतिक चेहरे- लालू यादव और नीतीश कुमार का ज़िक्र करते हुए कुछ ऐसी ही बात कही है. वे अपने एक्स हैंडल पर लिखते हैं, “1994 से लेकर आज तक नीतीश कुमार ने अपनी पूरी ज़िंदगी लालू प्रसाद यादव से लड़ने में बिता दी. 1990 में जब लालू प्रसाद यादव बिहार के CM बने. जेड प्लस सुरक्षा. एक अणे मार्ग पर बड़ा CM आवास और ब्यूरोक्रेट्स की आगे पीछे फौज.
नीतीश कुमार ईर्ष्या से भर गए. उनके मन में भी CM बनने का लालच जगा. इस बीमारी से सभी OBC, SC, ST नेता ग्रसित हैं. कोई भी लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी या अमित शाह नहीं बनना चाहता. सबको अटल बिहारी वाजपेयी या मोदी ही बनना है.
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2005 में CM बनते ही नीतीश कुमार ने सबसे पहले लालू प्रसाद यादव को एक अणे मार्ग के घर से जबरन लेटर बाजी कर निकाला.
लालू प्रसाद यादव को रोकने के चक्कर में नीतीश कुमार बूढ़ा गए हैं. चेहरे की चमक खत्म हो चुकी है. बिहार को केरल या तमिलनाडु नहीं बना पाए. आज भी बिहारी पलायन को मजबूर है.”
Last Updated on March 12, 2025 11:31 am