Madhya Pradesh के उज्जैन जिले की खाचरौद तहसील में बसा छोटा-सा गांव घुड़ावन, इन दिनों एक अजीबोगरीब घटना की वजह से सुर्खियों में है, यहां एक परिवार ने अपनी जिंदा बेटी को “मृत” मानकर उसका पिंडदान कर डाला और अंतिम संस्कार की सारी रस्में पूरी कीं. हां, आपने सही सुना—लड़की जिंदा है, मगर परिवार के लिए अब वो “नहीं रही”. 16 मार्च 2025 की सुबह 10 बजे, घुड़ावन के वर्दीराम गरगामा और उनके परिवार ने शोक पत्रिका छपवाई, गांव-समाज के लोगों को बुलाया, और “गोरनी” कार्यक्रम के साथ शांतिभोज तक का आयोजन कर डाला.
पूरे विधि-विधान से पिंडदान हुआ, जैसे कोई सचमुच इस दुनिया से चला गया हो. लेकिन असल कहानी क्या है?
दरअसल, वर्दीराम की बेटी मेघा गरगामा अपने प्रेमी दीपक बैरागी (घिनोदा गांव का रहने वाला) के साथ भाग गई थी और दोनों ने शादी कर ली. मेघा ने पुलिस थाने में अपने माता-पिता और परिजनों को पहचानने से साफ इंकार कर दिया. इस बात से आहत परिवार ने फैसला किया कि अगर बेटी ने उन्हें अपनाने से मना कर दिया, तो वो भी उसे अपने जीवन से निकाल देंगे.
जीते जी बेटी का पिंडदान, परिजनों ने किया अंतिम संस्कार का आयोजन #MadhyaPradesh #NewsUpdate pic.twitter.com/kEacbaik0y
— News Muni (@newswalemuni) March 17, 2025
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बस, फिर क्या था—उन्होंने उसे “मृत” घोषित कर दिया और सारी क्रिया-कर्म कर डाले. पिंडदान के बाद परिवार ने समाजजनों को भोज खिलाया और ऐलान किया कि अब मेघा से उनका कोई रिश्ता नहीं रहा. यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है. शोक पत्रिका की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, और लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं—कोई इसे परिवार की नाराज़गी का चरम मान रहा है, तो कोई इसे पुरानी परंपराओं का अंधा इस्तेमाल बता रहा है.
Last Updated on March 17, 2025 12:51 pm