एक्स का भारत सरकार के ख़िलाफ़ केस करने का पूरा मामला क्या है? इस बारे में हमने Grok से पूछा. देखें क्या जवाब मिला?
एक्स (X) ने भारत सरकार के खिलाफ मुकदमा इसलिए दायर किया है क्योंकि उसे सरकार की सेंसरशिप नीतियों और कंटेंट हटाने के तंत्र पर आपत्ति है. यह मामला कर्नाटक हाई कोर्ट में चल रहा है और मुख्य रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट की धारा 69A के तहत सरकार द्वारा दी गई शक्तियों के कथित दुरुपयोग से जुड़ा है.
पूरा मामला इस तरह है: भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में कई बार एक्स को कुछ खास अकाउंट्स और पोस्ट्स को ब्लॉक करने के आदेश दिए हैं, जैसे कि किसान आंदोलन (2021) या अन्य संवेदनशील मुद्दों से जुड़े कंटेंट. सरकार का कहना है कि ये कंटेंट हिंसा भड़का सकते हैं या सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं, इसलिए इन्हें हटाना जरूरी है.
दूसरी ओर, एक्स का दावा है कि सरकार के ये आदेश अस्पष्ट, असंगत और अक्सर बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के जारी किए जाते हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करते हैं.
हाल ही में, 5 मार्च 2025 को एक्स ने कर्नाटक हाई कोर्ट में एक नया मुकदमा दायर किया, जिसमें सरकार के “सहयोग” पोर्टल को चुनौती दी गई. यह पोर्टल सरकारी एजेंसियों को सोशल मीडिया कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने का अनुरोध करने की सुविधा देता है.
एक्स का कहना है कि यह तंत्र संविधान के अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 2015 के सुप्रीम कोर्ट के “श्रेया सिंघल” फैसले का उल्लंघन करता है, जिसमें कहा गया था कि कंटेंट ब्लॉक करने के आदेश न्यायिक जांच के बाद ही वैध होंगे.
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एक्स का यह भी तर्क है कि वह एक मध्यस्थ (intermediary) के रूप में काम करता है और सरकार के आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर होना उसे उपयोगकर्ताओं की स्वतंत्रता के खिलाफ खड़ा करता है.
मामला अभी कोर्ट में है, और अगली सुनवाई 27 मार्च 2025 को होनी है. यह भारत में इंटरनेट स्वतंत्रता और सरकारी नियंत्रण के बीच चल रही बड़ी बहस का हिस्सा है.
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X का आरोप
X कार्प ने आरोप लगाया है कि सरकार ‘सहयोग’ नाम के पोर्टल के जरिए कंटेंट ब्लॉक करती है. इस पोर्टल का संचालन, इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर करती है. गृह मंत्रालय के दवाब में सरकारी अधिकारी उचित कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर रहे हैं और ऑनलाइन कंटेंट को ब्लॉक करने के लिए एक अवैध सिस्टम खड़ा कर रहे हैं. सहयोग पोर्टल, ‘सेंसरशिप पोर्टल’ की तरह काम कर रहा है, जो नियमों के मुताबिक नहीं है.
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नोडल ऑफिसर नियुक्त करने का दबाव
X ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सेक्शन 69(A) सेक्शन को ही मंजूरी दी है. जबकि सहयोग पोर्टल में कोई पारदर्शिता नहीं है. हजारों अधिकारी बिना किसी नियम के ऑर्डर दे रहे हैं. कंपनी को नोडल ऑफिसर बनाने का भी दबाव है. उन्होंने पहले से ही IT नियमों के तहत जरूरी अधिकारियों की भर्ती कर रखी है, ऐसे में उन्हें ‘सहयोग पोर्टल’ के लिए अलग से अधिकारियों की भर्ती करने की जरूरत नहीं है.
Last Updated on March 22, 2025 9:57 am