“विश्वगुरु” भारत के लोग USA में अवैध रास्ते से जाने को क्यों हुए मजबूर?

यदि ईमानदारी से मूल्यांकन किया जाए तो भारतीयों के साथ यह दुर्व्यवहार उनका खुद के निर्णय का परिणाम है. जिसमें उन्होंने अपने देश में काम करने की बजाए किसी अनजाने देश ने पेट्रोल भरना/ट्रक चलाना जैसे काम करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया.

अमेरिका से क्यों भगाए गए भारतीय प्रवासी?
अमेरिका से क्यों भगाए गए भारतीय प्रवासी?

US deported Indian: अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय नागरिकों के साथ किया गया अमानवीय व्यवहार राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. पक्ष-विपक्ष अपनी-अपनी दलीलें दे रहा है. ख़बरों के माध्यम से पता चला कि हरियाणा का एक युवक 35 लाख़ खर्च करके अवैध रूप से अमेरिका गया था. यह रकम ज़मीन बेचकर और रिश्तेदारों से कर्ज़ लेकर जुटाई गई थी.
मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय दृष्टि से अवैध माइग्रेशन के कई कारण हो सकते हैं. “अमेरिकन ड्रीम” एक पॉपुलर अवधारणा है. जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर है. दक्षिण एशिया पर तो ख़ासकर.

हरियाणा-पंजाब से लोगबाग लगातार विदेश जाते रहते हैं. उनमें से जो अमेरिका सेटल हो जाते हैं वह यहां के लिए आइडियल हो जाते हैं. डॉलर में पैसा कमाना और भारत में अपनी दशा सुधारना, एक बड़ा सपना बन जाता है. माइग्रेशन को बढ़ावा देने के दो बड़े कारक हैं- धन और सामाजिक स्तर बढ़ाना.

सैद्धांतिक तौर पर देखा जाए तो किसी को भी अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए प्रयास करने का बुनियादी मानवाधिकार है मगर मुझे लगता है कि बिना किसी विशेष कौशल के और विधिक रूप से अवैध ढंग से किसी भी देश मे घुसना संज्ञेय अपराध है. डंकी रुट से हर साल न जाने कितने लोग मारे जाते हैं, पकड़े जाते हैं और गुमशुदा हो जाते हैं. ‘डंकी’ फ़िल्म में इस मुद्दें को बढ़िया ढंग से उठाया गया था.

अवैध प्रवासियों के पकड़े जाने पर हर देश का कानून उन्हें डिपोर्ट करने की प्रक्रिया अपनाता है यह प्रक्रिया देश के कानून के अनुरूप हो सकती है. भारत पहुंचे अवैध प्रवासीजनों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर एक भारतीय होने के नाते क्षोभ/करुणा पैदा होना स्वाभाविक है मगर इस दुर्व्यवहार की स्थितियों के निर्माण की भूमिका पर भी चिंतन करना चाहिए.

जितना मोटा पैसा खर्च करके किसी देश का कानून तोड़कर ये लोग विदेश पहुंचे थे उतने पैसे से अपने देश मे कम से कम छोटा मोटा अपना काम कर सकते थे मगर इन्होंने अपने परिवेशीय दबाव में एक गैरकानूनी रास्ते को चुना. मुझे नहीं लगता कि इनमें से एक भी शख्स ऐसा होगा जिसे विधिवत पासपोर्ट, वीजा आदि के माध्यम से विदेश गमन की प्रक्रिया की जानकारी न रही हो. कारण जो भी रहे मगर एक अवैधानिक रास्ता चुनने के परिणाम क्या सम्मानजनक हो सकते हैं? शायद नहीं.

उदाहरण के तौर पर आप अपने घर किसी को रंगे हाथ चोरी करते पकड़ लेते हैं और पुलिस को बुला लेते हैं. आपकी पहली मनोकामना यह होगी पुलिस आपके सामने ही उस चोर की कुटाई करे और उसे धकेल कर गाड़ी में बैठाकर ले जाए. उल्लेखनीय है कि यहां चोर के भी मानवाधिकार हैं उसके परिजन भी यह मांग करने के अधिकारी हैं कि दोषसिद्ध होने तक उसके साथ कोई हिंसा न हो.

सारा खेल परसेप्शन और तटस्थ मूल्यांकन का है. हमारे मानक खुद के मसले में दोहरे हो जाते हैं. हम चाहते हैं बांग्लादेश से जो अवैध तरीके से लोग यहां घुसे हैं उन्हें खदेड़ते हुए बांग्लादेश भेजा जाए मगर जब अमेरिका हमारे नागरिकों को इस तरह भेज रहा है तो हमें दुःख हो रहा है. मेरी निगाह में यह भावनात्मक प्रतिक्रिया है.

यदि किसी का बेटा दूसरे राज्य में कोई कानून तोड़ता पकड़ा जाता है तो उसके परिजन यह सोचते है किसी तरह यह घर आ जाए वे यह डिमांड न रखते उसे तमाम सुविधाओं के साथ घर वापसी के लिए भेजा जाए.

एक नागरिक के तौर पर हमें अपने नागरिकों के साथ हुए दुर्व्यवहार से सहानुभूति हो सकती है मगर यदि ईमानदारी से इसका मूल्यांकन किया जाए तो यह दुर्व्यवहार उनका खुद के निर्णय का परिणाम है. जिसमें उन्होंने अपने देश में काम करने की बजाए किसी अनजाने देश ने पेट्रोल भरना/ट्रक चलाना जैसे काम करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया.

लोग ऐसा किस दबाव में करते है इस पर अध्ययन होना चाहिए और अपने देश मे वह रहकर काम कर सके ऐसा माहौल बने इस पर भी काम करना चाहिए. मगर निजी तौर पर विपक्ष द्वारा इस मसले पर जो राजनीतिक स्टैंड लिया गया है वह मुझे बहुत दमदार नहीं लगा. कूटनीतिक लड़ाई उन मसलों पर मुखरता से लड़ी जा सकती हैं. जहां आपने कानून न तोड़ा हो. मेरे ख्याल से किसी भी देश के लिए इससे बड़ी शर्मिंदगी की बात क्या होगी कि उसके नागरिक विदेश में जाने के लिए अवैध रास्तों का चुनाव कर रहे हैं जबकि वो देश खुद के विश्व गुरु होने का दावा करता रहा हो.

कवि-लेखक और आलोचक डॉ अजित सिंह तोमर की कलम से…

Last Updated on February 9, 2025 9:46 am

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