Ranji Trophy: महज़ दूसरी बार फाइनल में पहुंची मध्यप्रदेश ने रचा इतिहास

रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) का साल 2021-22 का खिताब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की टीम अपने नाम कर लिया है. शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम ने 6 विकेट से जीत हासिल की. इसी के साथ इस टीम ने इतिहास रच दिया है. मध्य प्रदेश की टीम ने पहली बार रणजी ट्रॉफी अपने नाम की है.

रणजी जीतने वाली 20वीं टीम बनी

रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला मध्य प्रदेश और मुंबई के बीच बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम (M.Chinnaswamy Stadium, Bengaluru) में खेला गया. इसके साथ ही मध्यप्रदेश रणजी टॉफी जीतने वाली 20वीं टीम बन गई है.

मुंबई ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. टीम ने पहली पारी में 374 रन बनाए. वहीं मध्यप्रदेश ने मुंबई के सामने 536 रन का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया. दूसरी पारी में मुंबई की टीम ने 269 रन बनाए.

चौथी पारी में मध्यप्रदेश के सामने 108 रन का लक्ष्य था. जिसे टीम ने 6 विकेट खोकर हासिल कर लिया. टीम के गौरव यादव ने 4, जबकि अनुभव अग्रवाल ने 3 विकेट अपने नाम किए.

दो करोड़ का इनाम देने की घोषणा

वहीं रणजी टॉफी जीतने वाली टीम को एमपीसीए की ओर से दो करोड़ रुपये की इनामी राशि दी जाएगी. रणजी ट्रॉफी इतिहास में मध्य प्रदेश की टीम ने 87 साल में दूसरा बार फाइनल खेला हैं.

वहीं मुंबई की बात करें तो मुंबई ने अबतक 47 बार रणजी का फाइनल खेला है जिसमें से 41 बार मुंबई विजेता रही है. साल 1958-59 से लेकर 1972-73 तक मुंबई की टीम ने लगातार 15 बार खिताब अपने नाम किया था.

रणजी का इतिहास

बता दें कि रणजी ट्रॉफी का नाम महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया था. रणजीत सिंह साल 1907 से 1933 तक भारत में गुजरात के जामनगर के महाराजा रहे थे. महाराजा रणजीत सिंह को इंग्लैंड की क्रिकेट टीम से खेलने का मौका भी मिला था.

रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट 1934 में पहली बार मद्रास और मैसूर के बीच चेपक के मैदान पर खेला गया था. इसकी ट्रॉफी पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा दान की गई थी. इसके साथ ही रणजी ट्रॉफी के फॉर्मेट में पिछले 88 सालों में कई बदलाव भी किए गए हैं.

Last Updated on June 26, 2022 11:13 am

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