नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची को क्यों सुनाई गई 4 साल की सजा?

म्यांमार की एक सैन्य अदालत ने सोमवार को नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची को बिना लाइसेंस के वॉकी-टॉकी (walkie-talkies) रखने और आयात करने, कोरोना वायरस संबंधी पाबंदियों (coronavirus restrictions) का उल्लंघन करने के मामले में दोषी पाया है. अदालत ने मामले में 76 वर्षीय आंग सान सू ची को चार और साल कैद की सजा सुनाई है.

साथ ही सू ची को चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना वायरस से जुड़े नियमों के उल्लंघन करने के दो मामलों में दोषी पाई गयी थी. जिसमें उन्हें चार साल की सजा सुनाई गई है. सजा सुनाए जाने के कुछ घंटे बाद ही म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख मिन आंग लाइंग ने उनकी सजा को आधा कर दिया था. सू ची की गिरफ्तारी को लेकर सेना लगातार आरोप लगाती रही है कि चुनावों के दौरान सूची ने गलत तरीको से जीत हासिल की थी.

यहीं नहीं सू ची पर भ्रष्टाचार समेत दर्जनों मामलों में जांच भी चल रही हैं. जानकारों का मानना है कि इस सभी मुकदमो के तहत उनको 100 साल तक की सजा हो सकती है.

नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) देने वाली नॉर्वे (Norway) की नोबेल समिति (Nobel Committee) आंग सान सू ची (Aung San Suu Kyi) को सजा सुनाए जाने की निंदा की है. सू ची के समर्थकों सेना पर आरोप लगाते हुए कहते है कि सेना नहीं चाहती की सू ची राजनीति में आए. इसलिए उन्हें गलत आरोपो में फंसाया जा रहा है. वहीं आंग सान सू ची भी खुद को बेगुनाह बताती है और उनपर लगे सभी आरोपों से इनकार करती हैं.

बता दें कि साल 2020 में म्यांमार में हुए आम चुनावों में सू ची की पार्टी ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी’ को एकतरफा जीत मिली थी. वहीं साल 2021 में सेना ने सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर उन्हें गिरफ्तार में ले लिया गया था. इसके साथ ही सू ची की पार्टी के कई वरिष्ठ सदस्य को भी सेना द्वारा गिरफ्तार किया गया था. सू ची को गिरफ्तार किये जाने के बाद म्यांमार की जनता ने इस सजा के खिलाफ थाली और बर्तन बजाकर विरोध भी जताया था.

पिछले साल सू ची को हिरासत में लिए जाने के बाद से ही म्यांमार में अहिंसक विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था. तमाम लोग सड़कों पर आकर सू ची को गिरफ्तार किये जाने का विरोध करते दिख. इन विरोध प्रदर्शनों में युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था.

सेना के विरोध को कुचलने की कोशिशों के साथ ही ये प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिनमें अब तक 1,400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. सैन्य सरकार ने 10,000 से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अबतक गिरफ्तार किया है.

Last Updated on January 10, 2022 2:28 pm

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