गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के एक बयान को लेकर बांग्लादेश (Bangladesh) के विदेश मंत्रालय ने कड़ा विरोध दर्ज़ कराया है. अमित शाह ने कथित तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को बांग्लादेश से “बड़े पैमाने पर घुसपैठ” को प्रोत्साहित करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था. उन्होंने शुक्रवार को झारखंड में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर JMM और कांग्रेस की सरकार रही तो अगले 25-30 वर्षों में अवैध अप्रवासी, झारखंड में बहुसंख्यक बन जाएंगे.
शाह ने आगे कहा, ”मुझे बताएं कि यह जमीन आदिवासियों की है या रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की. झारखंड को कोई नहीं बचा सकता, न JMM और न ही कांग्रेस. यह केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं जो इसे बचा सकते हैं.”
शाह ने झारखंड वासियों से ऐसी सरकार चुनने का आग्रह किया जो अवैध अप्रवासियों को संरक्षण देने के बजाए, बाहर निकाले.
अमित शाह का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वह भारत में चुनी हुई सरकार के गृह मंत्री हैं यानी प्रतिनिधि हैं. उनका बयान कभी भी जुमला नहीं हो सकता. वह जो भी कहेंगे पूरी तरह से वैरीफाईड होगा. अगर बिना सोचे समझे बोलेंगे तो देश की छवि ख़राब होगी.
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एक प्रतिनिधि को केवल चुनाव हित देखते हुए नहीं, बल्कि देशहित देखते हुए बोलना होता है. तो क्या अमित शाह का यह कहना कि बांग्लादेश से “बड़े पैमाने पर घुसपैठ” हो रहा है सच नहीं है. अगर है तो बांग्लादेश को मिर्ची क्यों लग रही है. वह इसे रिश्ते बिगाड़ने वाला बयान क्यों बता रहा है. या फिर यह एक जुमला है. जैसे ’15 लाख देशवासियों को मिलेगा’ वाले बयान पर सफाई देते हुए शाह ने ABP के एक इंटरव्यू में कहा था.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने बांग्लादेश में भारतीय उप उच्चायुक्त पवन बाधे को एक विरोध पत्र सौंपा है. जिसमें गृह मंत्री की टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति और चोट पहुंचाने वाला बयान बताते हुए, अत्यधिक नाराजगी व्यक्त की गई है.
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उन्होंने यह भी कहा है कि जिम्मेदार पदों से पड़ोसी देश के नागरिकों के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां दो मित्र देशों के बीच आपसी सम्मान और समझ की भावना को कमजोर करती हैं. भारत सरकार की तरफ से इस मामले में एक गंभीर जवाब का इंतज़ार है.
Last Updated on September 24, 2024 12:47 pm
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