अमेरिकी शिक्षा विभाग को अलविदा कहने जा रहे हैं Trump , नए निर्देश का मतलब क्या?

अब बात असली पेंच की. ट्रंप चाहे जितना जोर लगा लें, इस विभाग को पूरी तरह बंद करने के लिए उन्हें अमेरिकी कांग्रेस की हरी झंडी चाहिए. और वहां तो हालात ऐसे हैं कि डेमोक्रेट्स और कुछ रिपब्लिकन्स भी उनके इस प्लान के खिलाफ खड़े हैं.

Donald Trump अमेरिकी शिक्षा नीति को बर्बाद कर रहे हैं? (PC- Video Grab)
Donald Trump अमेरिकी शिक्षा नीति को बर्बाद कर रहे हैं? (PC- Video Grab)

अमेरिका से एक ऐसा धमाका आया है, जो सियासत और शिक्षा के गलियारों में तूफान ला रहा है! राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump ) ने एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं, जिसमें अधिकारियों को शिक्षा विभाग को “फोल्ड करो और समेट लो” का हुक्म दिया गया है. अब ये कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, क्योंकि ट्रंप अपने चुनावी दिनों से ही इस विभाग को ठिकाने लगाने का वादा करते आए थे.

गुरुवार को कलम घुमाते हुए उन्होंने कहा, “हम इसे जितनी जल्दी हो सके बंद करने जा रहे हैं. ये हमें कुछ दे नहीं रहा, बस सिरदर्द दे रहा है.” वाह, क्या स्टाइल है बॉस का!

ट्रंप (Donald Trump ) का मानना है कि अमेरिका शिक्षा पर दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा पैसा बहाता है, लेकिन नतीजा? बच्चों का रिपोर्ट कार्ड वही ढाक के तीन पात! उनका कहना है, “हम डॉलर ढेर करते जा रहे हैं, पर स्टूडेंट्स की कामयाबी का ग्राफ नीचे ही लुढ़क रहा है.” अब इसमें कितनी सच्चाई है, ये तो बहस का मुद्दा है, लेकिन ट्रंप का प्लान साफ है—शिक्षा विभाग को अलविदा कहो.

लेकिन रुकिए, कहानी में ट्विस्ट अभी बाकी है. ये विभाग कोई छोटा-मोटा ऑफिस नहीं है. ये कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के लिए फेडरल स्टूडेंट लोन का इंतजाम करता है. गरीब और दिव्यांग बच्चों को सहारा देता है. अब इसे बंद करने का मतलब है लाखों स्टूडेंट्स और उनके परिवारों का भविष्य दांव पर लगाना. ट्रंप भले ही इसे “बेकार खर्चा” कहें, लेकिन कई लोग इसे लाइफलाइन मानते हैं.

Donald Trump ने कहा, “अमेरिका किसी दूसरे देश की तुलना में शिक्षा पर कहीं ज़्यादा पैसा खर्च करता है, लेकिन इसके बावजूद छात्रों की सफलता बहुत कम है.”

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अब बात असली पेंच की. ट्रंप चाहे जितना जोर लगा लें, इस विभाग को पूरी तरह बंद करने के लिए उन्हें अमेरिकी कांग्रेस की हरी झंडी चाहिए. और वहां तो हालात ऐसे हैं कि डेमोक्रेट्स और कुछ रिपब्लिकन्स भी उनके इस प्लान के खिलाफ खड़े हैं. यानी ये कार्यकारी आदेश अभी सिर्फ एक धमकी की तरह है—शोर बहुत, असर कम.

ऊपर से, पिछले हफ्ते विभाग में कर्मचारियों की भारी छंटनी की घोषणा के बाद तो कानूनी चुनौतियां भी लाइन लगा रही हैं. लोग कोर्ट में जा रहे हैं, कह रहे हैं, “रुकिए Trump साहब, ये क्या खेल खेल रहे हैं?”

Trump के फैंस इसे उनकी “प्रॉमिस डिलीवर करने” वाली स्टाइल बता रहे हैं. उनका तर्क है कि शिक्षा को राज्य सरकारों के हवाले करना चाहिए, वाशिंगटन की बाबूगिरी से क्या फायदा? दूसरी तरफ, विरोधी चिल्ला रहे हैं कि ये कदम बच्चों के भविष्य पर कुल्हाड़ी चलाने जैसा है. खासकर उन स्टूडेंट्स के लिए जो लोन और ग्रांट्स के भरोसे पढ़ाई कर रहे हैं.

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तो भाई, ये सीन कुछ ऐसा है—Trump ने बम फोड़ दिया, लेकिन वो फटेगा या फुस्स हो जाएगा, ये कांग्रेस और कोर्ट तय करेंगे. आप क्या कहते हैं? क्या शिक्षा विभाग को सच में अलविदा कहने का वक्त आ गया, या ये Trump का एक और ड्रामेबाजी भरा दांव है?

Last Updated on March 21, 2025 11:09 am

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