Pahalgam Attack: पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबार ‘डॉन’ के हालिया संपादकीय ने एक बार फिर उस मानसिकता को उजागर कर दिया है, जो वर्षों से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की सरकार और सेना के भीतर पल रही है. डॉन का कहना है कि भारत और पाकिस्तान दोनों युद्ध को अफोर्ड नहीं कर सकते और भारत के आरोपों में कोई ठोस सच्चाई नहीं है. लेकिन इसी संपादकीय में यह भी लिखा गया है कि कश्मीर मुद्दे का समाधान किए बिना शांति संभव नहीं. यानी अप्रत्यक्ष रूप से यह मान लिया गया कि कश्मीर में जो हिंसा हो रही है, उसमें पाकिस्तान की भूमिका है.
भारत बार-बार दुनिया के सामने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क्स का सबूत देता रहा है. ओसामा बिन लादेन की गिरफ्तारी पाकिस्तान के एबटाबाद में होना इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है कि आतंकवादियों को पनाह देने का पाकिस्तान का इतिहास पुराना है. हाफिज सईद, अजहर मसूद जैसे घोषित आतंकवादी आज भी पाकिस्तान में सुरक्षित घूमते हैं. ऐसे में जब पाकिस्तानी मीडिया भारत से सबूत मांगता है, तो यह सवाल खुद पाकिस्तान से होना चाहिए कि उसके खिलाफ पहले से मौजूद सबूतों पर वह अब तक क्या कार्रवाई कर पाया है?
मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान ने केवल इसलिए कुछ आतंकियों के खिलाफ दिखावटी कार्रवाई की थी क्योंकि उस पर फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) का दबाव था. FATF की ग्रे लिस्ट में नाम आने के बाद पाकिस्तान पर यह दबाव बना कि वह आतंकवाद की फंडिंग और समर्थन बंद करे. लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान अब भी उन संगठनों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है, जो वैश्विक शांति के लिए खतरा हैं.
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पाकिस्तान के मुख्यधारा मीडिया और बुद्धिजीवियों को अब आत्ममंथन करना चाहिए. उन्हें अपनी सरकार और सेना से सवाल पूछने चाहिए कि आखिर वे किस कीमत पर अपने देश का भविष्य दांव पर लगा रहे हैं? क्या कुछ आतंकियों को पालने के लिए पूरे देश को संकट में झोंक देना एक समझदारी भरा फैसला है?
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पाकिस्तान को यह भी समझना चाहिए कि जिस इस्लाम के नाम पर वह आतंक को बढ़ावा देता रहा है, आज वही चरमपंथी इस्लाम दुनिया भर के मुस्लिम बहुल देशों के लिए भी चिंता का कारण बन चुका है. इस्लाम का असली चेहरा शांति और भाईचारे का है, लेकिन पाकिस्तान ने उसे नफरत और आतंक के प्रतीक में बदल दिया है.
सबसे खतरनाक सोच यह है कि पाकिस्तान बार-बार न्यूक्लियर हथियारों का डर दिखाकर भारत को अपने खिलाफ कार्रवाई से रोकने की कोशिश करता है. यह एक गंभीर भूल है. भारत एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति है, लेकिन वह अपनी जनता, अपनी सीमाओं और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने से कभी पीछे नहीं हटेगा.
पाकिस्तान को सोचना होगा कि आतंकवाद को शह देना अंततः उसी की बर्बादी का कारण बनेगा. अगर उसे अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य चाहिए, तो उसे आतंक के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़नी होगी—चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो.
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भारत ने अब तक संयम दिखाया है. लेकिन संयम की भी एक सीमा होती है. पाकिस्तान को यह समझना होगा कि अगर वह अपनी जमीन से आतंकवाद को खत्म नहीं करता, तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए.
Last Updated on April 28, 2025 3:18 pm