Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान (Pakistan) में आखिरकार इमरान सरकार (Imran Government) गिर गई. लाख जतन के बावजूद इमरान खान (Imran Khan) अपना वजूद बचाने में असफल हुए. पाकिस्तानी संसद (Pakistan Parliament) में अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पर वोटिंग के दौरान इमरान के खिलाफ 174 वोट मिले. वहीं वोटिंग का इमरान खान की पार्टी के सांसदों ने बहिष्कार किया.
सोमवार को नये प्रधानमंत्री का चयन
खबर है कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री का चयन सोमवार को किया जाएगा. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) अध्यक्ष शहबाज शरीफ अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं. विपक्ष ने उन्हें पहले ही अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
नेशनल असेंबली की मैराथन बैठक रविवार तड़के स्थगित कर दी गयी और नए प्रधानमंत्री का चुनाव करने के लिए सोमवार दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होगी.
मुल्क के 22वें प्रधानमंत्री इमरान खान
बता दें कि मुल्क के 22वें प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया गया. इमरान पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं. उन्होंने 18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. उनका 10 अप्रैल 2022 तक 1,332 दिनों का कार्यकाल रहा.
‘जियो न्यूज’ की खबर के अनुसार, क्रिकेटर से नेता बने खान तीन साल सात महीने और 23 दिन तक प्रधानमंत्री पद पर रहे, जो महीनों के हिसाब से करीब 43 महीने और 23 दिन का समय है. मौजूदा सदन का कार्यकाल अगस्त 2023 तक का है.
बागी सदस्य सदन में मौजूद रहे
342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान समाजवादी, उदारवादी और कट्टर धार्मिक दलों के संयुक्त विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था, जो प्रधानमंत्री को सत्ता से बाहर करने के लिए जरूरी संख्याबल यानी 172 से अधिक था. पाकिस्तान के इतिहास में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के समय इमरान संसद के निचले सदन में मौजूद नहीं थे. वहीं इमरान खान की पार्टी के बागी सदस्य सदन में मौजूद थे और सत्ता पक्ष की सीटों पर बैठे थे. इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के ठीक पहले स्पीकर ने इस्तीफा दे दिया था.
नए प्रधानमंत्री के चुनाव की कवायद शुरू
इमरान खान ‘नया पाकिस्तान’ बनाने का वादा करके 2018 में सत्ता में आए थे. उन्होंने पिछले साल आईएसआई खुफिया एजेंसी के प्रमुख की नियुक्ति को समर्थन देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद ऐसा माना जाता है कि उन्होंने शक्तिशाली सेना का समर्थन भी खो दिया था.
खान लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को खुफिया प्रमुख बनाए रखना चाहते थे लेकिन सेना के आलाकमान ने पेशावर में कोर कमांडर के तौर पर उनका तबादला कर दिया था.
Last Updated on April 10, 2022 4:30 pm