USA-China Trade War: ट्रेड वॉर की चिंगारी अब ट्रैवल एडवाइज़री में तब्दील हो चुकी है! अमेरिका (USA) और चीन (China) के बीच बढ़ते टैरिफ़ तनाव का असर अब आम नागरिकों की रफ्तार पर पड़ने लगा है. चीन के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने एक सख़्त ट्रैवल एडवाइज़री (Travel Advisory) जारी कर अपने नागरिकों को अमेरिका यात्रा से पहले “दो बार सोचने” की सलाह दी है.
मंत्रालय ने चेताया है कि अमेरिका (USA) की सुरक्षा स्थिति और दोनों देशों के गिरते आर्थिक रिश्ते नागरिकों की यात्रा को जोखिमभरा बना सकते हैं. साथ ही, चीन के शिक्षा मंत्रालय ने भी छात्रों को अमेरिका में पढ़ाई से पहले “सुरक्षा जोखिम” पर गंभीरता से विचार करने को कहा है, क्योंकि हालात तेजी से बदल रहे हैं और खतरे की आशंका बढ़ रही है.
इस बीच, दोनों देशों के बीच टैरिफ़ की लड़ाई तेज़ होती जा रही है—चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 84% टैरिफ़ का ऐलान किया है, तो वहीं ट्रंप ने पलटवार करते हुए चीनी सामान पर 125% टैरिफ़ ठोंक दिया है.
यानि अब व्यापार ही नहीं, भरोसे का संकट भी गहराने लगा है.
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अब तक क्या हुआ?
- चीन पर पहले से ही 20% अमेरिकी टैरिफ़ लागू था.
- पिछले सप्ताह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अतिरिक्त 34% टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी, जो 9 अप्रैल से लागू होने वाला था.
- लागू होने से ठीक कुछ घंटे पहले, ट्रंप ने टैरिफ़ में 50% और बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया.
- अब चीन पर अमेरिका द्वारा लगाया गया कुल टैरिफ़ 125% हो गया है.
- जवाब में चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ़ को 50% बढ़ाकर 84% कर दिया.
- ट्रंप ने अन्य 75 से अधिक सहयोगी देशों को 90 दिन की छूट दी है, साथ ही उनके लिए टैरिफ़ दर को घटाकर 10% कर दिया है.
- चीन ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह अमेरिका की ‘ज़बरदस्ती’ के आगे नहीं झुकेगा, और “आख़िर दम तक लड़ने” को तैयार है.
अमेरिकी और चीन का आपसी व्यापार कितना?
साल 2024 में अमेरिका और चीन के बीच कुल 585 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ. इसमें अमेरिका ने चीन से 440 अरब डॉलर का आयात किया, जबकि चीन ने अमेरिका से केवल 145 अरब डॉलर का. इस असंतुलन के कारण अमेरिका को 295 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लगभग 1% के बराबर है. हालांकि, यह डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में किए गए एक ट्रिलियन डॉलर के घाटे के दावे से कहीं कम है.
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ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में चीन की वस्तुओं पर भारी टैरिफ़ लगाए थे, जिन्हें जो बाइडन ने भी बरकरार रखा. इन टैरिफ़ की वजह से चीन से आयात में कमी आई है. 2016 में अमेरिका का कुल आयात का 21% चीन से होता था, जो 2023 में घटकर 13% रह गया. इससे यह स्पष्ट है कि अमेरिका की चीन पर व्यापारिक निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है.
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि चीन की कंपनियों ने इस गिरावट की भरपाई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के रास्ते की. उदाहरण के लिए, ट्रंप द्वारा 2018 में लगाए गए 30% टैरिफ़ के बावजूद, चीन के सोलर पैनल निर्माता मलेशिया, वियतनाम, कंबोडिया जैसे देशों में असेंबली लगाकर अमेरिका में निर्यात करते रहे.
अब ट्रंप के नए रेसिप्रोकल टैरिफ़ इन देशों पर भी लागू होंगे, जिससे अमेरिका में चीन-निर्मित वस्तुओं की क़ीमतें और बढ़ सकती हैं. इससे वैश्विक सप्लाई चेन पर बड़ा असर पड़ सकता है.
शेयर बाजारों (Share Market) में धमाका!
ट्रंप के अचानक यू-टर्न लेने से शेयर बाजार में ऐसा धमाका हुआ कि निवेशकों के चेहरे खिल उठे. बुधवार को अमेरिका के शेयर बाजार में रिकॉर्ड तोड़ उछाल देखने को मिला. वहीं जिन देशों पर टैरिफ की तलवार लटक रही थी—लेकिन चीन नहीं—उन्हें भी कुछ राहत मिली और सबने चैन की सांस ली.
अमेरिका के S&P 500 में 9.5%, नैसडैक में 12.2% और डाउ जोंस में 7.9% की जबरदस्त छलांग देखी गई. एशियाई बाजार भी पीछे नहीं रहे—जापान का निक्केई 8.6%, कोरिया का कोस्पी 4.8%, ताइवान का ताईएक्स 9.3% और ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 5% उछल गया.
चीन के शांघाई कंपोजिट में हल्की 1.3% और हांगकांग के हैंगसेंग में 3% की बढ़त देखी गई.
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बाजार एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि ट्रंप की राहत ने माहौल को ‘डर’ से ‘उत्साह’ में बदल दिया है, लेकिन ये राहत स्थायी नहीं है. अमेरिका-चीन के बीच जो तनातनी है, वो किसी भी वक्त फिर से माहौल बिगाड़ सकती है.
इधर, चीन ने साफ कहा है कि वो चुप नहीं बैठेगा. सरकारी मीडिया शिन्हुआ ने वाणिज्य मंत्रालय के हवाले से कहा, “अगर हमारे लोगों के अधिकारों को नुकसान पहुंचा, तो चीन उसका जवाब ज़रूर देगा.”
Last Updated on April 10, 2025 11:09 am