कभी मित्र रहे रूस और यूक्रेन आखिर क्यों बने एक दूसरे के खून के प्यासे?

रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के यूक्रेन (Ukrain) में सैन्य अभियान की घोषणा कर दी. कई दिनों से जारी खींचतान के बाद आखिर दुनिया को जिसका डर था वही हुआ. रूस और यूक्जंरेन के बीच जंग की शुरूआत हो गई है.  यूक्रेन ने दावा किया है कि रूसी सैनिकों के हमले में उसके 7 लोगों की मौत हो गई है जबकि 9 लोग घायल हो गए है.

यूक्रेन ने भी जवाबी हमले शुरू कर दिए हैं. लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि रूस और यूक्रेन के बीच इस जंग की असल वजह क्या है? मित्र रहे ये देश अलग होते ही एक दूसरे के दुश्मन क्यों बन गये?

Ukraine की भौगोलिक स्थिति

यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से मिलती है. 603,628 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है. यूक्रेन की आबादी 4.10 करोड़ है. वह यूरोप का आठवां सबसे ज्‍यादा आबादी वाला देश है.

Russia की भौगोलिक स्थिति

रूस का क्षेत्रफल 17,125,191 वर्ग किलोमीटर है, रूस यूक्रेन के मुकाबले करीब तीन गुना बढ़ा है. रूस की गिनती दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में होती है. रूस संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य भी है. साल 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ (USSR) का हिस्सा था. सोवियत के विघटन के बाद यूक्रेन एक आजाद देश बना.

NATO विवाद की असल जड़?

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की असल जड़ नाटो है. नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO). यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है, लेकिन रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो.

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2014 से शुरू हुआ. यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच जो रूसी समर्थक माने जाते थे उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की. लेकिन उनकी जीत के साथ ही देश में उनका विरोध शुरू हो गया. जिसे ऑरेंज रिवॉल्यूशन कहा जाता है. रूस ने इन प्रदर्शनों के पीछे पश्चिमी देशों का हाथ होने का आरोप लगाया था.

विक्टर यानुकोविच का देश में विरोध इस कदर बढ़ा कि उन्हें साल 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा. इन प्रदर्शनों से खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला कर दिया और इसको अपने कब्जे मेे ले लिया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि वहां रूसी मूल के लोग बहुतायत में हैं और विरोध प्रदर्शन के बीच उनके हितों की रक्षा करना रूस की ज़िम्मेदारी है.

मिन्स्क 12-सूत्रीय युद्धविराम समझौता

साल 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव की स्थिति जारी है. दोनों देशों के बीच शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देश हमेशा से पहल करते आए हैं. फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में 12-सूत्रीय युद्धविराम शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया. लेकिन ये समझौता ज्यादा दिन नहीं चला.

यूक्रेन की नाटो से नजदीकी से खफा रूस

साल 2008 में विपक्षी नेता ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की पेशकश की. यही से यूक्रेन और रूस के बीच विवाद ने एक नया मोड़ लिया. रूस नहीं चाहता था यूक्रेन नाटो में शामिल हो. जबकि अमेरिका इसका समर्थन करता आया है.

नाटो ने जॉर्जिया और यूक्रेन को शामिल करने का ऐलान किया. इस ऐलान के साथ ही रूस ने जॉर्जिया पर हमला कर दिया और 4 दिन में उसके दो इलाकों पर कब्जा कर लिया.

रूस की चिंता है थी कि अगर जॉर्जिया और यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाते हैं तो रूस चारों तरफ से नाटो से घिर जाएगा. भविष्य में नाटो यूक्रेन की जमीन को रूस के खिलाफ इस्तेमाल करेगा. रूस के लिए बड़ी चुनौती हो सकती हैं.

रूस चाहता है कि पूर्वी यूरोप में नाटो अपना विस्तार बंद करे. पुतिन हमेशा से यूक्रेन के नाटो में शामिल नहीं होने की गारंटी मांग रहे हैं. पुतिन चाहते हैं कि पूर्वी यूरोप में नाटो अपने विस्तार को 1997 के स्तर पर ले जाए और रूस के आसपास हथियारों की तैनाती बंद करे. रूस ने उन 14 देशों को नाटो का सदस्य बनाने को भी चुनौती दी है जो वार्सा संधि का हिस्सा थे.

साल 1955 में नाटो के जवाब में वार्सा संधि हुई थी, जिसका मकसद सभी सदस्य देशों को सैन्य सुरक्षा मुहैया कराना था. हालांकि, सोवियत संघ के टूटने के बाद इस संधि का बहुत ज्यादा मतलब नहीं रह गया.

NATO की स्थापना

अमेरिका ने सोवियत संघ की विस्तारवादी नीतियों को रोकने के लिए साल 1949 में नाटो की स्थापना वाशिंगटन में की. शुरूआत में नाटो में 12 सदस्य देश थे. लेकिन आज इसमें 30 देश शामिल है. ये ज्यादातर देश यूरोप के हैं. यह एक सैन्य गठबंधन है, जिसका मकसद साझा सुरक्षा नीति पर काम करना है.

अगर कोई बाहरी देश किसी नाटो देश पर हमला करता है, तो उसे बाकी सदस्य देशों पर हुआ हमला माना जाएगा और उसकी रक्षा के लिए सभी देश मदद करेंगे. वर्तमान में नाटो के पास 33 लाख जवान होने के साथ अत्याधुनिक हथियार है.

डोनेट्स्क और लुहांस्क की स्वतंत्रता से बढ़ा विवाद

यूक्रेन के दो हिस्से हैं, पहला पूर्वी और दूसरा पश्चिमी. पूर्वी यूक्रेन के लोग खुद सांस्कृत और भाषायी रूप से खुद क रूस के करीब मानते हैं. वहीं पश्चिमी यूक्रेन के लिए यूरोपियन यूनियन करीब है.

पूर्वी यूक्रेन के कई इलाकों पर रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा है. यहीं के डोनेट्स्क और लुहांस्क को रूस ने अलग देश के तौर पर मान्यता दे दी है. जिसके बाद से इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया और बात युद्ध पर आ पहुंची है.

Last Updated on February 24, 2022 2:41 pm

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