पिछले कुछ समय से आर्थिक बदहाली का सामना कर रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) नए राष्ट्रपति बने हैं. दिसानायके तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के मुखर विरोधी माने जाते हैं. साल 2022 में जब श्रीलंका भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा था उस वक़्त दिसानायके खुलकर उनका विरोध कर रहे थे. श्रीलंका (Sri Lanka) में उनकी छवि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ने वाले नेता की है. यही वजह है कि इस चुनाव में छात्र, कर्मचारी वर्ग समेत एक बड़े तबके का उन्हें साथ मिला है.
22 सितंबर को श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आए. जिसमें दिसानायके (Dissanayake) ने जीत दर्ज की. वो जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के नेता हैं और नेशनल पीपल्स पावर (NPP) गठबंधन से चुनाव लड़ रहे थे.
पहले राउंड में दिसानायके (Dissanayake) को 42.31% और उनके प्रतिद्वंद्वी रहे सजीथ प्रेमदासा को 32.76% वोट मिले. यह नतीजा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2019 राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में दिसानायके को महज़ 3% वोट ही मिले थे.
बतौर राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के सामने आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और जातीय तनाव जैसी घरेलू चुनौतियां हैं. साथी ही यह देखना भी काफी महत्वपूर्ण होगा कि श्रीलंका, भारत के साथ किस तरह के संबंध रखना चाहता है.
अनुरा कुमारा दिसानायके वामपंथी विचारधारा से हैं. ऐसे में वैचारिक रूप से वे चीन के क़रीब माने जा सकते हैं. क्योंकि भारत में भारतीय जनता पार्टी यानी दक्षिणपंथी विचारधारा की सरकार है. तो क्या आने वाले समय में वैचारिक कारणों से भारत-श्रीलंका के संबंध बिगड़ेंगे?
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हालांकि साल 2022 में जब श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा था. तब भारत ने उनकी काफी मदद की थी. तब राजपक्षे के जाने के बाद विक्रमसिंघे नए-नए आए थे. भारत ने हमेशा ‘पड़ोसी प्रथम’ (Neighbours first policy) की नीति अपनाई है.
इससे पहले जब श्रीलंका में राजपक्षे की सरकार थी तो उनका झुकाव भी चीन की तरफ़ था. लेकिन जब आर्थिक संकट आया, तब चीन मदद के लिए कहीं नज़र नहीं आया. श्रीलंका इन बातों को भविष्य में भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहेगा. तो दिसानायके संतुलन करेंगे या एक तरफ़ा झुकाव बनाएंगे?
दिसानायके इसी साल फ़रवरी महीने में भारत आए थे. ये पहली बार था, जब भारतीय पक्ष, जेवीपी के संपर्क में आया था. उन्होंने प्रमुख नेताओं से मुलाक़ात भी की थी. उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर बातें की थीं और कहा था कि भारत की संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुलाक़ात पर ख़ुशी ज़ाहिर की थी. उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा था कि द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने को लेकर दोनों के बीच अच्छी बातचीत हुई है.
22 सितंबर को जब चुनावी नतीजे आए तो जीत के ऐलान के कुछ ही घंटों बाद श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोष झा ने अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाक़ात की और उन्हें जीत की बधाई दी.
HC @santjha called on 🇱🇰 President-elect @anuradisanayake. Conveyed greetings from India’s leadership and congratulated him on winning the people’s mandate. 🇮🇳 as 🇱🇰’s civilisational twin is committed to further deepen ties for the prosperity of the people of our two countries. pic.twitter.com/l5qUxmAcA1
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) September 22, 2024
प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक्स पोस्ट में दिसानायके को जीत की बधाई देते हुए कहा, ”भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और विजन में श्रीलंका का ख़ास स्थान है.”
Congratulations @anuradisanayake, on your victory in the Sri Lankan Presidential elections. Sri Lanka holds a special place in India’s Neighbourhood First Policy and Vision SAGAR. I look forward to working closely with you to further strengthen our multifaceted cooperation for…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 22, 2024
भारत के नज़रिए से देखें तो श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति काफी महत्वपूर्ण है. वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर और पोर्ट्स में श्रीलंका और चीन के हिस्से के बीच संतुलन बिठाना नई सरकार के लिए चुनौती होगी.
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अगर श्रीलंका में नई सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से स्थिरता रहती है, तो वो भारत के लिए भी अच्छी बात होगी. भारत के लिए परेशानी तब होगी, जब पड़ोसी देश कंगाल हो जाए और मदद के लिए भारत को खड़ा होना पड़े.
Last Updated on September 23, 2024 2:33 pm