मैट्रो मैन ने उम्र की वजह से राजनीति छोड़ी या कुछ और है वजह? इंटरव्यू में किया खुलासा

Metro Man E Sreedharan quit politics
Metro Man E Sreedharan quit politics

मेट्रो मैन ई श्रीधरन (metro man e sreedharan) ने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी है. उन्होंने यह घोषणा गुरुवार, 16 दिसंबर को केरल के मल्लापुरम में किया. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि वो बीजेपी (BJP) के साथ बने रहेंगे. ई श्रीधरन (metro man e sreedharan) केरल चुनाव 2021 (Kerala election 2021) में बीजेपी (BJP) के मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे. ई श्रीधरन (metro man e sreedharan) ने इसी साल फरवरी में BJP ज्वॉइन की थी, यानी कि चुनाव (Kerala election 2021) से ठीक पहले. आख़िर क्या वजह रही कि महज एक साल से भी कम समय में ही उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली?

ई श्रीधरन (metro man e sreedharan)ने राजनीति से संन्यास की घोषणा करते हुए कहा कि अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव (Kerala election 2021) में हुई हार से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने कहा, ‘जब मैं हार गया तो मैं निराश हो गया था. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वो समय अब बीत चुका है. निर्वाचित होने पर मैं विधायक होता. मैं अकेले विधायक बनकर कुछ ज्यादा नहीं कर सकता था. मैं अब 90 साल का हूं. राजनीति में आगे बढ़ना खतरनाक है. मेरा अब राजनीति में कोई सपना नहीं है. मुझे अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए राजनीति की जरूरत नहीं है. मैं पहले से ही तीन ट्रस्टों के माध्यम से ऐसा कर रहा हूं.’

श्रीधरन के बयान से खड़े होते हैं कई सवाल

जैसा कि उन्होंने अपने बयान में ही कहा है- मुझे अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए राजनीति की जरूरत नहीं है. मैं पहले से ही तीन ट्रस्टों के माध्यम से ऐसा कर रहा हूं. ‘बीबीसी’ की एक खबर भी इस बात को पुख़्ता करती है. साल 2019 में वो नई दिल्ली स्थित बीबीसी के दफ़्तर गए थे. इस दौरान जब उनसे राजनीति में शामिल होने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि ‘राजनीति उनके बस की बात नहीं है.’

बीजेपी ने क्यों बदला पार्टी सिद्धांत

एक बात और है जो काफी महत्वपूर्ण है. मैट्रो मैन (metro man e sreedharan) 89 साल की उम्र में राजनीति में गए थे, जबकि पहले वह राजनीति में जाने से मना कर चुके थे. वहीं बीजेपी ने भी ई श्रीधरन (metro man e sreedharan) को पार्टी में लाने के लिए अपने राजनीतिक सिद्धांतों को बदल दिया. क्योंकि बीजेपी में 75 वर्ष से अधिक आयु के लोग चुनावी राजनीति में शामिल नहीं होते हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने अपनी पार्टी को 2 से 200 तक पहुंचाने वाले सदस्यों को लेकर भी सिद्धांतो से समझौता नहीं किया और एलके आडवाणी, डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया. तो क्या यह समझा जाए कि सिद्धांतो की बात करने वाली बीजेपी भी अन्य दलों की तरह है इसे राजनीतिक टूल्स की तरह इस्तेमाल करती है?

ख़ैर यह तो अलग बात हो गई. महत्वपूर्ण सवाल यह है कि मैट्रो मैन (metro man e sreedharan) के नाम से विख्यात ई श्रीधरन बीजेपी से जुड़ते हैं, चुनाव लड़ते हैं और केरल चुनाव (Kerala election 2021) में सीएम फेस माने जाने वाले एक प्रसिद्ध व्यक्ति कुछ ही महीनों (लगभग दस महीने) में स्वास्थ्य का हवाला देते हुए राजनीति से संन्यास ले लेते हैं. भला ऐसा क्यों?

अपने आगे किसी की नहीं सुनते श्रीधरन

ई श्रीधरन (metro man e sreedharan) को जानने वाले एक वरिष्ठ नौकरशाह ‘बीबीसी’ से कहते हैं, “इसमें कोई शक नहीं है कि उन्होंने काम करके दिखाया. लेकिन वो ऐसे शख़्स रहे हैं जो अपने आगे किसी की नहीं सुनते हैं.” तो क्या पार्टी में पूरी तरह से उनकी नहीं सुनी गई?

राजनीतिक संन्यास घोषणा के बाद मैट्रो मैन (metro man e sreedharan) ने ‘द प्रिंट’ को एक इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी (BJP) को हिंदुत्व (Hindutva) की राजनीति छोड़ कर सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी (BJP) को अपने रवैये में थोड़ा बदलाव करना होगा. मसलन, उन्हें हिंदुइज़्म (Hinduism) और हिंदुत्व (Hindutva) को ज़्यादा नहीं उभारना चाहिए. उन्हें निश्चित रूप से एक संदेश देना चाहिए कि वो केरल के सभी लोगों के लिए हैं सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं हैं और उनके दिमाग़ में सभी वर्गों का हित रहना चाहिए. इसी बुनियादी बदलाव की ज़रूरत है.’

केरल बीजेपी से नाराज़गी तो नहीं बनी वजह

श्रीधरन (metro man e sreedharan) ने इंटरव्यू के दौरान केरल बीजेपी (BJP) की आलोचना भी की है. हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काफ़ी तारीफ़ भी की है. उन्होंने कहा, ‘हमारे पीएम कभी हिंदुत्व की बात नहीं करते, वो कभी ऐसी बात नहीं करते कि वो किसी वर्ग विशेष के लोगों के साथ खड़े हैं. वो भारत के सभी लोगों के लिए हैं. हमें भी वही रवैया अपनाना चाहिए.’

वहीं ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) को केरल में मुद्दा नहीं मानते हुए उन्होंने कहा कि ये कोई ‘बहुत गंभीर ख़तरा’ नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ‘यह छिटपुट घटनाएं हैं. एक या दो लोग कह रहे हैं…उससे पार्टी को कोई परेशानी पैदा नहीं होती. वो सब व्यक्ति हैं. बात सिर्फ ये है कि हम कुछ ज़्यादा सहनशील हैं. जो लोग इस तरह से बर्ताव करते हैं. मेरे हिसाब से उन्हें वास्तव में पार्टी से निकाल फेंकना चाहिए ताकि लोगों को विश्वास हो जाए कि हम ऐसी योजना नहीं बना रहे हैं.’

हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि बीजेपी (BJP) की सियासत हिंदुत्व से जुड़ी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आज बीजेपी (BJP) ही अकेली ऐसी पार्टी है जिसमें लोगों का विश्वास है और इस पार्टी को निश्चित रूप से सभी भारतीयों के हितों का ध्यान है.’

तो क्या मैट्रो मैन (metro man e sreedharan) व्यक्ति विशेष के आग्रह पर पार्टी में शामिल हुए और पार्टी को चुनाव जिताने के लिए चुनाव भी लड़े. लेकिन केरल बीजेपी (Kerala BJP) के रवैये से नाराज़ होकर राजनीति से तौबा कर लिया?

हालांकि श्रीधरन (metro man e sreedharan) 90 साल की उम्र और गिरते स्वास्थ्य को ही इस फ़ैसले के लिए ज़िम्मेदार मान रहे हैं.

Deepak Singh Svaroci

Last Updated on December 30, 2021 2:34 pm

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