Manipur Violence: मणिपुर में आठ महीने बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. मंगलवार से चूड़ाचांदपुर जिले में दो महीने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है. इससे पहले सोमवार रात दो समूहों के बीच झड़प हुई. जिसमें मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 30 लोगों के घायल होने की ख़बर है. लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे ये झड़प हुई क्यों? दरअसल पिछले सात महीनों से मेईतेई और कुकी-ज़ोमी जनजातियों के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है. इस संघर्ष में 87 कुकी-ज़ोमी समुदाय के लोगों की जान गई लेकिन उनका अंतिम संस्कार नहीं हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कई महीनों से अस्पतालों में पड़े इन शवों के अंतिम संस्कार के लिए पिछले हफ़्ते ही निर्देश जारी किया था. इसके बाद पीड़ितों के शव को इंफाल के दो मुर्दाघरों से निकालकर हवाई मार्ग के ज़रिए चुराचांदपुर और कांगपोकपी ले जाया गया. पिछले सप्ताह कांगपोकपी में सामूहिक दफ़न कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. लेकिन उससे पहले झड़प शुरू हो गई.
इस ह्रदय विदारक दृश्य पर पूरे देश को रोना चाहिए।
यह मणिपुर का वीडियो है।
मणिपुर हिंसा में शिकार 87 शव।
उनके परिजन सामूहिक रूप से उन्हें दफ़ना रहे हैं।
मगर इसके लिए उन्हें छह महीने संघर्ष करना पड़ा।
बीच में सुप्रीम कोर्ट को उतरना पड़ा।
मणिपुर हिंसा में मानवीयता पर जो खरोंचें लगी… pic.twitter.com/iZqCiXyGXr— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) December 21, 2023
ये घटनाएं चूड़ाचांदपुर शहर के कई हिस्सों और थिंगखांगफाई गांव में हुईं. यहां कुकी-ज़ोमी जनजातियों का प्रभुत्व है.
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अधिकारियों ने बताया कि 14 दिसंबर को इम्फाल के विभिन्न मुर्दाघरों से 41 शव हवाई मार्ग से लाए गए थे, जबकि 46 शव चुराचांदपुर जिला अस्पताल से लाए गए. कर्फ्यू लगे होने के बावजूद हजारों लोग अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे. तुईबुओंग में एक शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसके बाद सामूहिक रूप से शवों की अंत्येष्टि की गयी. इससे पहले, 15 दिसंबर को कांगपोकपी जिले में 19 हिंसा पीड़ितों को दफनाया गया था.
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चूड़ाचांदपुर के डिप्टी कमिश्नर धारुन कुमार एस. के आदेश में कहा गया है कि ‘दो समूहों के बीच झड़प और छिटपुट हिंसा’ के आधार पर अगले साल 18 फरवरी तक सीआरपीसी की धारा 144 लगाई गई है. यानी अगले दो महीनों तक इलाक़े में कर्फ्यू जारी रहेगा. आदेश में आगे कहा गया है, ‘लोगों के दो समूहों के बीच टकराव के कारण अभी भी शांति भंग होने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक माहौल में खुली झड़प हो सकती है और स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है. कानून और व्यवस्था के उल्लंघन की गंभीर आशंका है. यह आदेश कानून व्यवस्था और आवश्यक सेवाओं के रखरखाव में शामिल सरकारी एजेंसियों पर लागू नहीं होगा.’
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CBI डायरेक्टर प्रवीण सूद जातीय हिंसा से जुड़े मामलों की जांच का जायजा लेने के लिए सोमवार शाम पांच बजे गुवाहाटी से इंफाल पहुंचे. यहां उन्होंने राज्य के DGP राजीव सिंह से मौजूदा हालात को लेकर बातचीत की. एजेंसी हिंसा के 27 मामलों की जांच कर रही है.
झड़प क्यों हुई?
झड़प को लेकर कई वजह बताई जा रही है. पहली वजह कुकी गांव थिंगफाई में स्मारक पत्थर के पास ज़ोमी झंडा फहराने को लेकर. यह गांव ज़ोमी बस्तियों के करीब है. इसके अलावा चूड़ाचांदपुर में सामूहिक दफ़न स्थल का नाम कुकी-ज़ो मार्टियर्स सिमेट्री (शहीद कब्रिस्तान) रखने पर भी मतभेद थे. दरअसल सोमवार को चूड़ाचांदपुर में कुकी समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) की अध्यक्षीय परिषद की एक बैठक में शवों के दफन स्थल का नाम कुकी-ज़ो मार्टियर्स सिमेट्री रखने का निर्णय लिया गया था. मंगलवार को ज़ोमी काउंसिल ने एक आपातकालीन बैठक में कहा कि कुकी-ज़ो शब्द पर कभी चर्चा नहीं हुई, इस पर कोई आम सहमति नहीं है और यह ‘ज़ोमी के लिए अस्वीकार्य’ है.
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बता दें, मणिपुर में इम्फाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच मई में जातीय हिंसा भड़क गयी थी. जातीय हिंसा में कम से कम 196 लोगों की मौत हुई है और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
Last Updated on December 21, 2023 3:12 pm