नए ‘हिट एंड रन’ (Hit and Run) क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में ट्रक, डंपर और बस चालक हड़ताल पर हैं. नये क़ानून के मुताबिक अगर सड़क दुर्घटना (Road Accident) में किसी की मौत हो जाती है और गाड़ी चालक मौके से फरार हो जाता है तो उसे 10 साल की सजा हो सकती है. साथ ही सात लाख रुपए के जुर्माने का भी प्रावधान है. इसी प्रवाधान के ख़िलाफ़ सभी ड्राइवर हड़ताल पर हैं. आपके लिए यह समझना ज़रूरी है कि असल में ‘हिट एंड रन’ केस होता क्या है?
ऐसे मामले जिनमें गाड़ी की टक्कर के बाद ड्राइवर मौके से फरार हो जाता है, ‘हिट एंड रन’ केस माना जाता है. ऐसे मामलों में कई बार घायल शख्स को समय रहते अस्पताल पहुंचाने या प्राथमिक इलाज मिलने पर बचाया भी जा सकता है. पुराने क़ानून के मुताबिक हिट एंड रन केस में दो साल की सजा का प्रावधान था और जमानत भी मिल जाती थी.
नए हिट एंड रन क़ानून क्या है?
लेकिन केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन क़ानून के तहत अगर कोई ट्रक या डंपर चालक किसी को कुचलकर भागता है तो उसे 10 साल की जेल होगी. इसके अलावा 7 लाख रुपये जुर्माना भी देना होगा. इसी के ख़िलाफ़ देशभर में ट्रक, डंपर और बस चालक हड़ताल पर हैं. तो क्या सरकार एक बार फिर समझाने में नाकमयाब रह गई?
कृषि क़ानून लेना पड़ा था वापस
आपको याद होगा 19 नवंबर 2021 का दिन. जब पीएम मोदी ने किसान आंदोलन के लगभग एक साल बाद यह कहते हुए नए कृषि क़ानून को वापस ले लिया था कि हमारी तपस्या में कमी रही. हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. लगभग दो साल बाद फिर ऐसे हालात हैं जब सरकार ड्राइवरों को क़ानून नहीं समझा पा रही है. आख़िर क्या वजह है कि सरकार क़ानून तो ले आती है लेकिन जनभावना नहीं समझ पाती?
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ड्राइवरों का कहना है कि इस नए क़ानून ने उन्हें बुरी तरह फंसा दिया है. क्योंकि अगर वे दुर्घटना के बाद मौक़े से फ़रार होते हैं तो 10 साल की सज़ा होगी, लेकिन अगर मौक़े पर ही रुके रहे तो भीड़ पीट-पीट कर उनकी जान ले लेगी. ऐसे में वे दोनों तरफ से फंसेगे. ट्रक चालकों का कहना है कि नए क़ानून के तहत उन्हें अनुचित उत्पीड़न झेलना पड़ सकता है. ट्रक ड्राइवर क्या कह रहे हैं, देखने के लिए इस VIDEO लिंक पर क्लिक करें.
आंकड़ों के मुताबिक़ ‘हिट एंड रन’ के मामलों में हर साल देश में 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस के अनुसार कई ‘हिट एंड रन’ मामलों में चालक, क्रोधित भीड़ के संभावित खतरे से जान बचाने के लिए भाग जाता है. कई मामलों में ड्राइवर दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए पुलिस के सामने आत्मस्मर्पण कर देता है. सड़क पर सुरक्षा की कमी उन्हें ऐसे कदम उठाने पर मजबूर करती है.
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‘हिट एंड रन’ क़ानून का बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, मुंबई, मध्य प्रदेश और राजस्थान में काफ़ी विरोध हो रहा है. इस हड़ताल का सबसे अधिक असर महाराष्ट्र में देखने को मिल रहा है. कुछ स्थानों पर ईंधन की कमी की आशंका पैदा हो गई है. नागपुर सहित कई इलाकों के पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें दिख रही हैं. राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी ट्रक चालकों का भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है.
#WATCH | Maharashtra: Long queues at petrol pumps in Nagpur as Transport Association, drivers protest against new law on hit and run cases. pic.twitter.com/FWgQd1F5iH
— ANI (@ANI) January 2, 2024
पंजाब के मोगा में पेट्रोल पंपों पर ईंधन की कमी हो गई है.
VIDEO | Truck drivers protesting against new provisions in hit-and-run cases introduced by Bharatiya Nyaya Sanhita 2023 block road in #Jaipur, Rajasthan.#TruckDriversProtest pic.twitter.com/f0WJm7r8gA
— Press Trust of India (@PTI_News) January 2, 2024
बता दें, केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में नया हिट एंड रन विधेयक पास किया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद यह बिल अब भारतीय न्याय संहिता के तहत नया क़ानून बन चुका है. क़ानून में क्या है देखें-
वाहन चालक जिस कानून को लेकर हड़ताल कर रहे हैं वो आखिर क्या है?
– रोड एक्सीडेंट में 10 साल की सजा का नया कानून।#Roadaccident #TruckDriversProtest@AmitShah @CMOfficeUP @PMOIndia @Uppolice pic.twitter.com/G9v0WwXx5w— The Quiver हिन्दी (@TheQuiverhindi) January 1, 2024
हालांकि सरकार नए क़ानून के तहत सड़क दुर्घटना के मामलों को कम करना चाहती है. लेकिन जिस तरह से क़ानून लाया गया है उसमें काफी कमियां देखने को मिल रही है. प्रदर्शनकारी ड्राइवरों के मुताबिक सरकार उनके साथ ज्यादती कर रही है. नए नियम में 7 लाख जुर्माने का प्रावधान है, इतने रुपये ड्राइवर कहां से लाएंगे. ‘हिट एंड रन’ को लेकर लाया गया नया प्रावधान, विदेशी तर्ज पर लाया गया है. लेकिन इसे लाने से पहले सरकार को विदेशों की तरह बढ़िया सड़क, ट्रैफिक नियम और परिवहन व्यवस्था बहाल करनी होगी. तभी यह क़ानून लाया जा सकता है.
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सरकार ने क़ानून वापस नहीं लिया तो..?
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने कहा कि इस नियम के कारण ड्राइवर नौकरी छोड़ रहे हैं. पहले ही देश में ड्राइवरों की भारी कमी है. ऐसे में नए नियम लागू होने से ड्राइवर डर जाएंगे और अपना काम छोड़ देंगे. जब तक केंद्र सरकार हिट एंड रन के नए प्रवाधान को वापस नहीं लेती तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.
AIMTC की अगली बैठक 10 जनवरी को होनी है. इस बैठक में फैसला लिया जाएगा कि सरकार अगर उनकी मांगों से सहमत नहीं होती तो उनका अगला क़दम क्या होगा? नए प्रावधान को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए AIMTC के अध्यक्ष अमृत मदान ने कहा कि ‘हिट एंड रन’ के मामलों में कड़े कदम उठाने की जरूरत जरूर है. इस नए क़ानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित क़ानून में कई खामियां हैं. इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है. देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है. भारत इस समय वाहन चालकों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का इस और कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं.
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AIMTC के मुताबिक देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है. जब भी कोई एक्सीडेंट होता है, तो बिना किसी जांच के बड़े वाहन चालक की गलती करार दी जाती है.
अगर कोई ट्रक ड्राइवर एक्सीडेंट के बाद रुकता है तो ये सलूक होता है ड्राइवर के साथ।
ड्राइवर क्या करे गलती से कुछ हो जाए सजा के साथ जुर्माना भी।
ओर रही बात गलती की तो वो हमेशा इस देश मे बड़ी गाड़ी वाले की होती है।#TruckDriversProtest @aitwa pic.twitter.com/9oL4idIqj8— Gautam Pareek (@Gautam_sadak) January 1, 2024
यह नहीं देखा जाता की गलती बड़े वाहन चालक की है या छोटे वाहन चालक की.
27 फीसदी ड्राइवरों की कमी झेल रहा देश
राजस्थान के पूर्व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने नए क़ानून का विरोध करते हुए कहा कि नया क़ानून चालकों के मूल अधिकारों का हनन है. राजस्थान सरकार ने तो सड़क दुर्घटनाओं में मौतों को कम करने के लिए ड्राइवरों के हित में क़ानूनी प्रावधान किए थे. दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले को 5 हजार रुपए के इनाम देना शुरू किया था. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकर ने ऐसे प्रावधान किए थे कि अगर कोई गाड़ी ड्राइवर किसी घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उस गाड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
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बता दें, सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देशभर में करीब 95 लाख ट्रक पंजीकृत हैं. लेकिन इन ट्रकों को चलाने के लिए केवल 68 से 70 लाख ड्राइवर हैं. यानी एक साथ रोड में 70 लाख ट्रक ही चलते हैं, अन्य खड़े रहते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि मौजूदा समय में देश, करीब 27 फीसदी ड्राइवरों की कमी झेल रहा है.
Last Updated on January 2, 2024 11:13 am