राज्यसभा में सोमवार को पूर्व चीफ़ जस्टिस और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया गया. यह प्रस्ताव तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों ने उनके एक बयान को लेकर पेश किया है जिसमें उन्होंने संसद में अपनी कम उपस्थिति को लेकर सफाई दी थी. नोटिस में पार्टी ने कहा है कि जस्टिस गोगोई का बयान राज्यसभा की अवमानना है और यह उच्च सदन यानी की राज्यसभा की प्रतिष्ठा का महत्व कम करने वाला है. इस नोटिस में जस्टिस गोगोई के बयान का विवादित अंश भी शामिल किया गया है.
दरअसल एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू के दौरान राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने कोरोना महामारी को सदन में अपनी कम उपस्थिति के पीछे का एक अहम कारण बताया था. इस बारे में बात करते हुए उन्होंने एंकर से कहा कि उन्होंने सदन को एक पत्र सौंपा था जिसमें उन्होंने बताया कि कोविड के कारण वे सत्र में शामिल नहीं हो रहे हैं.
जस्टिस गोगोई ने इंटरव्यू में कहा था, ‘बैठने की व्यवस्था को लेकर, मैं खुद को सहज नहीं पाया. मैं राज्यसभा जाता हूं, जब मैं पसंद करता हूं, जब मुझे लगता है कि ये महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर मुझे अपनी बात रखनी चाहिए. मैं नामित सदस्य हूं, मैं किसी पार्टी व्हिप से बंधा हुआ नहीं हूं. लिहाजा जब भी पार्टी सदस्यों को सदन में उपस्थित होने के लिए निर्देश किया जाता है, तो वह मुझ पर बाध्य नहीं होता. मैं अपनी इच्छानुसार वहां जाता हूं और आता हूं. मैं सदन का निर्दलीय सांसद हूं.’
Last Updated on December 13, 2021 4:12 pm