FCRA License: NGO के विदेशी चंदा रोकने वाले लाइसेंस पर मोदी सरकार सख्त क्यों?

IIT दिल्ली, इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) समेत करीब 6,000 संस्थाओं का विदेशी फंड के लिए आवश्यक FCRA License नये साल पर समाप्त कर दिया गया है. ये सभी संस्थान अब विदेशों से चंदा नहीं ले सकेंगे.

गृह मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इन संस्थाओं ने या तो लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदन नहीं किया या उनके आवेदनों को गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया है. इन 6000 संस्थाओं के बंद होने से पहले रजिस्ट्रर NGO’S की संख्या 22,762 थी. जो की अब घटकर 16,829 रह गई है.

जिन संस्थानों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है उसमे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल फाउंडेशन, लेप्रोसी मिशन, लेडी श्री राम कालेज फार वुमन, दिल्ली कालेज आफ इंजीनियरिंग, आक्सफैम इंडिया, मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई), ट्यूबरकोलोसिस एसोसिएशन आफ इंडिया, विश्व धर्मायतन, महर्षि आयुर्वेद प्रतिष्ठान, नेशनल फेडरेशन आफ फिशरमेन कोआपरेटिव्स लिमिटेड शामिल हैं.

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मदर टेरेसा (Mother Teresa) के मिशनरीज ऑफ चैरिटी संगठन के बैंक खातों को फ्रीज किए जाने पर हैरानी जताई थी. ममता बनर्जी ने ट्विट पर लिखा था, “मैं यह सुनकर हैरान हूं कि क्रिसमस पर केंद्र ने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है! उनके 22,000 रोगियों और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं के बिना छोड़ दिया गया है. जबकि कानून सर्वोपरि है, मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए”.

ममता के इन आरोपो पर गृह मंत्रालय (MHA) ने बयान जारी कर कहा था कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी (Missionaries of Charity) के खातों को फ्रीज नहीं किया गया है. बाद में गृह मंत्रालय ने एडवर्स इनपुट का हवाला देते हुए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) के तहत रजिस्ट्रेशन रिन्यूवल करने से मना कर दिया था. जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने केंद्र सरकार को बताया कि खुद मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने अपने खातों को फ्रीज करने का अनुरोध किया था.

क्या है FCRA कानून और इससे जुड़े नियम

साल 1976 में विदेशों से चंदा प्राप्त करने वाले संगठनो और गैर सरकारी संगठनो की देखरेख करने के लिए FCRA कानून लाया गया था. FCRA कानून के तहत विदेशी सहायता पाने वाले संस्थान, NGO का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है. जिसके बाद साल 2010 में विदेशी अंशदान में सुधार को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मननोहन सिंह ने FCRA कानून में संशोधन किया था. साल 2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद FCRA में कई संशोधन किए गए.

सितंबर 2020 में संसद द्वारा विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम (FCRA), 2020 पारित किया गया. जिसके तहत NGO’S को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की नई दिल्ली शाखा में FCRA खाता खोलना होगा या अपने मौजूदा खाते को इससे जोड़ना होगा.

FCRA कानून के तहत विधायिका, राजनीतिक दल और दलों के सदस्य, सरकारी अधिकारी, न्यायाधीश और मीडियाकर्मी किसी भी प्रकार की विदेशी फंडिंग प्राप्त नहीं कर सकते.

बीजेपी पर लग चुका है FCRA कानून के उल्लंघन का आरोप

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), ने साल 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें ADR ने बीजेपी और कांग्रेस पर विदेशी धन स्वीकार करके FCRA मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. वहीं साल 2015 में आम आदमी पार्टी पर भी FCRA कानून के उल्लंघन का आरोप लगा था.

Last Updated on January 2, 2022 11:44 am

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