राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच घमासान जारी है. वहीं अशोक गहलोत के खेमे के 82 विधायको ने अपना इस्तीफा तक दे दिया है. इन विधायको की मांग है कि अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी पर बैठे रहें.
जबकि कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपने का फैसला लिया है. इसी को लेकर राजस्थान कांग्रेस में इतनी कलह जारी है. लेकिन यह फैसला गहलोत खेमे के विधायको को मंजूर नहीं है.
किसके पास कितना संख्याबल
बता दें कि राजस्थान विधानसभा में 200 विधायक हैं. मौजूदा समय में कांग्रेस के पास 108 विधायक तो बीजेपी के पास 71 विधायक हैं. निर्दलीय 13 आरएलपी के 3 माकपा के 2 बीटीपी के 2 और आरएलडी का 1 विधायक हैं.
कांग्रेस के 108 विधायको में से 82 विधायक मजबूती के साथ गहलोत के साथ है जबकि 16 विधायक पायलट के पक्ष में दिखाई दें रहे है. वहीं 10 विधायक ऐसे है जो किसी के पक्ष में नहीं है.
पार्टी पर्यवेक्षक अजय माकन ने गहलोत गुट के विधायकों की रवैये को सीधे तौर पर अनुशासनहीनता करार दिया है. गहलोत गुट के विधायकों ने आलाकमान के सामने 3 शर्तें रखी हैं. पहला ये कि मुख्यमंत्री पद को लेकर 19 अक्टूबर के बाद फैसला होगा. दूसरा विधायकों से एक-एक कर नहीं, बल्कि ग्रुप में बात करने पर जोर और तीसरा गहलोत गुट से ही किसी को सीएम बनाया जाए.
कैसे शुरू हुई ये लड़ाई
दरअसल, कांग्रेस हाईकमान अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहती है और सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री. लेकिन गहलोत को यह डील जरा भी पंसद नहीं आई. और वे बगावत पर उतर आएं हैं.
वहीं अशोक गहलोत खेमे के विधायको का कहना है कि मुक्यमंत्री के पद के लिए सचिन पाायलट अयोग्य उम्मीदवार है. उनकी जगह सी पी जोशी को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए.
कांग्रेस में यह पहली बार नहीं हा जब इस तरह की खींचतान चल रही हो. इससे पहले दिसंबर 2018 में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद गहलोत और पायलट मुख्यमंत्री पद को लेकर आमने-सामने थे.
इसके बाद आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री चुना जबकि पायलट को डिप्टी बनाया गया. जुलाई 2020 में, पायलट ने 18 पार्टी विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था.
Last Updated on September 26, 2022 12:07 pm