मोदी सरकार के 10 सालों के अघोषित Emergency पर बात कब, सैकड़ों क्यों-क्या-कैसे का नहीं मिला जवाब?

Modi_Emergency पर बात क्यों नहीं?
Modi_Emergency पर बात क्यों नहीं?

Emergency की ज्यादतियों पर दर्जनों किताबें लिखी जा चुकी हैं. हजारों पन्नों में इमरजेंसी का काला अध्याय दर्ज है . उस दौर की तानाशाही पर बेमुरव्वत होकर बहुत कुछ लिखा जा चुका है . फिल्म से लेकर डॉक्यूमेंट्री तक, सब कुछ है. कई किताबों तो मेरी लाइब्रेरी में भी है. लेकिन बीते दस सालों में अघोषित तौर पर देश में जो हो रहा है, उस पर लिखने या उसे दर्ज करने की जरुरत नहीं है क्या?
मीडिया की ही बात करें तो दस सालों में कैसे सभी चैनलों को गुलाम बना लिया गया है? कैसे कई संपादकों को अख़बारों और चैनलों से बाहर जाने को मजबूर किया गया है?

कैसे सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों पर छापे पड़े और गिरफ़्तारियां हुई? कैसे मोदी के सेठों ने चैनलों पर क़ब्ज़ा करके सबको पिट्ठू बना लिया है? कैसे हर न्यूज़ रुम में सत्ता के चाटूकारों का बोलबाला हो गया है? कैसे पीएमओ में बैठे कोई जोशी जी के निर्देश पर चैनलों पर ख़बरें प्लांट होती हैं? कैसे मोदी और शाह को खुश करने के लिए नैरेटिव गढ़े जाते हैं? कैसे मोदी और शाह के ख़िलाफ़ एक भी ख़बर किसी चैनल पर नहीं चलती है?

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कैसे कई संस्थानों में प्रखर पत्रकारों को दबाकर उनके ऊपर चापलूसों को बैठा दिया गया है? कैसे मोदी को महामानव साबित करने के लिए मीडिया की पूरी मशीनरी काम करती है? कैसे विपक्ष को रौंदने की सुपारी दी जाती है? कैसे सभी चैनलों के संपादकों की हैसियत चापलूस दरबारी जैसी बना दी गई है? कैसे ये मुमकिन हुआ कि दस साल से देश की सत्ता पर क़ाबिज़ मोदी से एक भी सवाल पूछने की हिम्मत कोई चैनल नहीं जुटा सका?

कैसे मोदी ने नोटबंदी से लेकर ऐसे तमाम मूर्खतापूर्ण फ़ैसले किए लेकिन किसी चैनल ने सवाल करने की गुस्ताखी नहीं की? कैसे आज कोई भी मुखर पत्रकार किसी से नार्मल फ़ोन पर बात करने से भी परहेज़ करता है? कैसे डर का ये माहौल है कि लोग व्हाट्सएप या सिग्नल एप के ज़रिए बात करने लगे हैं कि पता नहीं कौन बीच में सुन लेगा? ये डर का माहौल कैसे बना है ?

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कैसे मोदी के चाटूकारों ने अरबों का साम्राज्य खड़ा कर लिया? चैनल खड़े कर लिए और आज भी मोदी के ढोल मंजीरे बजाकर पत्रकारिता का बेड़ा गर्क कर रहे हैं? मोदी की एजेंसियों ने बीते दस सालों में कैसे सिर्फ़ विपक्ष को निशाना बनाया है. एक्सप्रेस जैसे कुछ संस्थानों को छोड़ दें तो किसी ने इस पर रिपोर्टर करने की हिम्मत नहीं दिखाई है? कैसे देश की सारी संस्थाओं को मोदी के सामने दंडवत् होने को मजबूर किया जा रहा है?

बहुत लंबी लिस्ट है… कम से कम दस पन्ने तो अभी लिख सकता हूं, जो मोदी राज में अघोषित आपातकाल की गवाही देंगे. क्या दस सालों में मोदी से कभी किसी चैनल ने सीधे कोई सवाल पूछा है ?
अगर पूछा है तो बताएं जरुर. मोदी को खुश करने वाले प्रायोजित इंटरव्यू की मिसाल मत दीजिएगा.

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वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम ने अपने एक्स हैंडल (@ajitanjum) पर एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार Amitabh Agnihotri
(@Aamitabh2) को जवाब देते हुए यह चिट्ठी लिखी है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

Last Updated on June 25, 2024 3:17 pm

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