बरौनी खेल गांव (Barauni Khel Gaon) में खेलो इंडिया द्वारा फुटबॉल मैच का राष्ट्रीय आयोजन 4 मई से होने जा रहा है. यह आयोजन अपने आप में बेगूसराय के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है और शायद यही वजह है की बरौनी खेल गांव के लोग भी इसे महायज्ञ के रूप में ले चुके हैं. इस आयोजन की पृष्ठभूमि भूमि में बरौनी फ्लैग की वो बेटियां हैं जिन्होंने फुटबॉल के दम पर गांव का नाम बदलकर खेल गांव बरौनी कर दिया.
ऐसे दौर में जब यह क्षेत्र गोलियां की धमक से थर्राती था, तब इन बेटियों ने फुटबॉल के जरिये अपना गोल साधना शुरू किया और गांव का नाम बदल दिया. आज यह गांव खेल गांव बरौनी (Barauni Khel Gaon) के नाम से जाना जाता है. बरौनी स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर दूर फ्लैग स्टेशन से ज्योंहि आप दक्षिण की ओर जाने वाली सड़क पर 200 मीटर आगे बढ़ेंगे. ठीक दाहिने तरफ बरौनी खेल गांव (Barauni Khel Gaon) का यह ऐतिहासिक मैदान सज धज के तैयार हो रहा है.
लगभग 9 बीघे में फैले युमना भगत स्टेडियम, खेल गांव बरौनी, भक्तियोग पुस्तकालय जाने वाली सड़क के दोनों तरफ की मकान-दुकान, विद्यालय, अस्पताल, पंचायत सरकार भवन और फिर स्टेडियम के चारों तरफ के मकान भी स्टेडियम के रंग में रंग चुके हैं. सादगी के साथ उजले रंग के साथ आसमानी रंग को समेटा गया है. जबकि ग्राउंड बिल्कुल ग्रीन हो चुका है.
बरौनी फ्लैग के इस भक्ति योग पुस्तकालय परिसर में यमुना भगत स्टेडियम खेलगांव बरौनी (Barauni Khel Gaon) हर रूप से सजाता चला जा रहा है. ग्राउंड के चारो तरफ 50 हजार से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता वाली गैलरी विकसित की जा चुकी है. जिला प्रशासन के प्रयास से कई तरह की योजनाओं को खींचकर बरौनी खेल गांव लाया गया है जिसके कारण स्टेडियम में दर्शकों के बैठने के लिए गैलेरी की फिलहाल उचित व्यवस्था हो पाई है.
हालांकि देर शाम तक आयोजित होने के लिए स्टेडियम में स्थाई रूप से बड़े हाई मास्ट लाइट की व्यवस्था होनी बाकी है. खेल गांव के लोग मानते हैं कि भविष्य में यह भी उम्मीद पूरी हो जाएगी.
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अहले सुबह से लेकर देर शाम तक जहां एक तरफ बूढ़े, बच्चे मैदान की ओर बढ़ चले आ रहे हैं. वहीं गांव की महिलाएं भी अपने छोटे बच्चों के बहाने ही सही मैदान के अंदर झांकती नजर आ रही है. हालांकि खेल मैदान को तकनीकी रूप से सुरक्षित रखने के लिए घेरा जा चुका है ताकि मैदान में खिलाड़ियों के अलावे बाकी लोगों का प्रवेश न हो.
खेल गांव (Barauni Khel Gaon) की मिट्टी में पले बढ़े सेना की नौकरी छोड़कर फिर से फुटबाल के पीछे भागने वाले संजीव कुमार मुन्ना कहते हैं कि 1960 के दशक से ही यहां फुटबॉल की शुरुआत हुई. जिसके बाद 1991 में यहां की बेटियों ने फुटबॉल के मैदान में अपनी धमक दी जो आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार जारी है.
कहते हैं कि इस मैदान से अबतक लगभग 25 खिलाड़ियों ने जीवन में सही गोल लगाते हुए देश भर में अलग-अलग सेवाओं में कार्यरत हैं. इनमें से 16 बेटियां ही हैं.
2018 में सन्तोष ट्राफी का साक्षी रहा है यह मैदान
संतोष ट्रॉफी फुटबॉल मैच का यह मैदान साक्षी रहा है. 47 वर्षों बाद पटना के बाद 2018 में संतोष ट्रॉफी का आयोजन बरौनी के इस खेल गांव में किया गया था. जिसमें बिहार, झारखंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की टीम ने भाग लिया था. जबकि 2017 में मोईनुल हक कप का भी आयोजन इस मैदान में हो चुका है.
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1885 से ही चर्चा में रहा है बरौनी फ्लैग
बरौनी फ्लैग पिछले ढाई दशक में बेटियों के प्रयास से बरौनी खेल गांव हो चुका है. लोग कहते हैं कि अंग्रेजों के जमाने में 1885 में यहां बरौनी फ्लैग स्टेशन बना था. अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए यहां पर एक स्टेशन का निर्माण किया था, लेकिन आजादी के 50 साल बाद 2000 दशक में इस गांव का नाम खेल गांव से जाना जाने लगा.
कबड्डी के जिला उपाध्यक्ष परमानन्द सिंह कहते हैं कि हम लोग लंबे समय से इस स्टेशन का नाम खेल गांव बरौनी करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि वे कहते हैं कि बरौनी की पहचान अंतरराष्ट्रीय इतिहासकार डॉ राम शरण शर्मा से भी है जिसे समय के साथ इतिहास खो रहा है.
हालांकि आज के युवा यमुना भगत जी को नहीं जानते हैं. वे बस इतना जानते हैं कि उनके नाम पर खेल स्टेडियम है. लेकिन इतिहास यह है कि यमुना प्रसाद सिंह उर्फ भगत जी बरौनी एक के स्वर्गीय गंगा प्रसाद सिंह के घर 3 अक्टूबर 1904 को पैदा हुए थे. 1930 से 1941 तक लगभग सभी आंदोलन में वे सक्रिय रहे.
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19 महीने की सजा उन्हें बक्सर, हजारीबाग और पटना कैंप जेल में काटनी पड़ी. लोग कहते हैं कि वे आध्यात्मिक वृति, सादा जीवन उच्च विचार के प्रतीक थे. 1941 के नवंबर में उनकी मृत्यु हो गई थी और उसके बाद लोगों ने उनकी स्मृति में यमुना भगत स्टेडियम का निर्माण कराया था. हालांकि उससे पहले 14 जनवरी 1931 में यहां भक्तियोग पुस्तकालय की स्थापना की गयी थी.
बेगूसराय के वरिष्ठ पत्रकार कुंदन कुमार की कलम से…
Last Updated on May 6, 2025 9:39 am